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राजधानी के तीन गोलंबर व चौराहों पर तीन साल में 64 दुर्घटनाएं, 11 मौतें

पटना : वर्ष 2016 में प्रदेश के 124 स्थलों को ब्लैक स्पॉट में शामिल किया गया. इसमें पटना शहर के तीन गोलंबर व चौराहें भी शामिल थे. प्रदेश के पथ निर्माण विभाग द्वारा पिछले तीन वर्षों के दुर्घटनाओं की संख्या को आधार बना कर इन स्थलों का चयन किया गया था. यहां 2014 से 2016 […]

पटना : वर्ष 2016 में प्रदेश के 124 स्थलों को ब्लैक स्पॉट में शामिल किया गया. इसमें पटना शहर के तीन गोलंबर व चौराहें भी शामिल थे. प्रदेश के पथ निर्माण विभाग द्वारा पिछले तीन वर्षों के दुर्घटनाओं की संख्या को आधार बना कर इन स्थलों का चयन किया गया था. यहां 2014 से 2016 के बीच 64 दुर्घटनाएं हुई थीं, जिनमें 11 व्यक्ति की मौत हो गयी थी. उम्मीद थी कि ब्लैक स्पॉट घोषित होने के बाद इन स्थलों पर बार बार होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए अतिरिक्त कोशिश की जायेगी पर स्पॉट निर्धारण के 3 महीने बाद भी ऐसी कोई कोशिश दिखाई नहीं देती है.
राजधानी के ब्लैक स्पॉट
आर ब्लॉक गोलंबर से गर्दनीबाग: यहां वर्ष 2016 में 10 दुर्घटना हुई. इसमें तीन लोगों की मौत हुई. इससे पहले 2015 में चार व 2014 में भी छह दुर्घटना हो चुकी है, जिनमें एक व्यक्ति की माैत हुई. हेवी ट्रैफिक लोड, फ्लाईओवर निर्माण के कारण संकरी सड़क व दारोगा राय पथ से बेहतर कनेक्टिविटी नहीं होना दुर्घटना की वजह है.
पुनाईचक चाैराहा : सचिवालय के समीप स्थित पुनाईचक चाैराहा के आसपास वर्ष 2016 में 12 दुर्घटना हो चुकी है. इसमें दो लोगों की मौत हुई. यहां दुर्घटना होने की बड़ी वजह कोने पर स्थित मंदिर व सचिवालय गेट के कारण सचिवालय की तरफ से आती गाड़ी का बिल्कुल बेली रोड पर पहुंच जाने तक नजर नहीं आना है.
कोतवाली थाने से आयकर गोलंबर : यहां 2016 में 10 दुर्घटना हुई. इसमें एक की मौत हो गयी. 2015 व 2014 में भी यहां क्रमश: 10 और 12 दुर्घटनाएं हुई थी, जिनमें दो-दो लोगों की मौत हुई थी. यहां दुर्घटना की बड़ी वजह देर रात या अहले सुबह खाली सड़क मिलने के कारण वाहन चालकों का तेज गति से गाड़ी चलाना है.
साइनेज लगा चालक को करेंगे सावधान
तीन में से दो स्थलों पर दुर्घटना अधिक होने की वजह जंक्शन प्वाइंट पर आती गाड़ियों का नहीं दिखना है. ऐसे स्थलों पर साइनेज लगा कर चालक को सावधान करेंगे.
– यूके राय, कार्यपालक अभियंता, नूतन राजधानी पथ प्रमंडल
2014 से 2016 का समग्र आंकड़ा
प्रदेश में
860 दुर्घटनाएं, जिनमें 400 मौतें हुईं.
पटना में
167 दुर्घटनाएं, जिनमें 56 मौत हुई.

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