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कृषि क्षेत्र में आज लंबी छलांग लगायेगा बिहार, तीसरे कृषि रौडमैप की लांचिंग आज, जानें क्‍या है खास

तीसरे कृषि रौडमैप में जैविक खेती के साथ-साथ उत्पादन बढ़ाने पर दिया जायेगा जोर दीपक कुमार मिश्रा पटना : दो कृषि रोडमैप के जरिये कृषि के क्षेत्र में अच्छी तरह पांव जमा लेने के बाद गुरुवार को बिहार तीसरे कृषि रोडमैप के तहत कृषि के सेक्टर में लंबी छलांग लगायेगा. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सम्राट अशोक […]

तीसरे कृषि रौडमैप में जैविक खेती के साथ-साथ उत्पादन बढ़ाने पर दिया जायेगा जोर
दीपक कुमार मिश्रा
पटना : दो कृषि रोडमैप के जरिये कृषि के क्षेत्र में अच्छी तरह पांव जमा लेने के बाद गुरुवार को बिहार तीसरे कृषि रोडमैप के तहत कृषि के सेक्टर में लंबी छलांग लगायेगा. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर के बापू सभागार में समारोह पूर्वक लांच करेंगे. 2017 से 22 तक पांच साल में तीसरे कृषि रोडमैप पर 1.54 लाख करोड़ रुपया खर्च होगा.
तीसरे कृषि रौडमैप में जैविक खेती के साथ- साथ उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया गया है. राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि का 18 प्रतिशत योगदान है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सपना है कि हर भारतीय की थाली में कम-से-कम एक व्यंजन बिहार का हो. पहले के दो कृषि रोडमैप से कृषि के क्षेत्र में काफी परिवर्तन देखने को मिला. खासकर इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में काफी काम हुआ. तीसरे कृषि रोडमैप से 12 विभागों को जोड़ा गया है.
राज्य में कृषि के समग्र विकास के लिए पहला कृषि रोडमैप 2008 में
लागू किया गया. इसके बाद 2012 में दूसरा कृषि रोडमैप लागू किया
गया. अब नौ नवंबर को तीसरा
कृषि रोडमैप लांच हो रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2005 में जब
बिहार की सत्ता संभाली तभी से कृषि उनकी प्राथमिकता में रहा. उन्होंने कृषि कैबिनेट का भी गठन किया. राज्य के 91 प्रतिशत किसान सीमांत श्रेणी के हैं.
कृषि रोडमैप से जुड़े विभाग: कृषि, पशु एवं मत्स्य संसाधन, संपर्क पथ, जल संसाधन, लघु जल संसाधन, सहकारिता, गन्ना, राजस्व एवं उपभोक्ता संरक्षण, ऊर्जा, पर्यावरण एवं वन और उद्योग
1. कृषि
-बीज उत्पादन को बढ़ाकर आत्मनिर्भर बनना साथ ही बिहार राज्य उद्यमिता विकास कार्यक्रम के माध्यम से बीज उत्पादन, भंडारण, प्रसंस्करण और विपणन में स्थानीय निजी उद्यमियों को बढ़ावा देना.
-प्रत्येक जिला के लिए मुख्य बागवानी फसल की चिन्हित कर उसके विकास के लिए कार्यक्रम चलेगा.
-गंगा की अविरलता को बनाये रखने के लिए पटना घोषणा के अनुरूप राज्य में जैविक खेती हेतु गंगा के तटवर्ती क्षेत्रें एवं राष्ट्रीय/राजकीय सड़क के दोनों तरफ पड़ने वाले गांवों का चयन कर जैविक कोरिडोर बनेगा
-कृषि इनपुट सब्सिडी कार्यक्रम के अंतर्गत जैविक सब्जी उत्पादन को प्रोत्साहन
-जलवायु परिवर्तन की असुरक्षा को कम करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने के लिए उपायों को लागू करना.
– जैविक कोरिडोर योजना
– जैविक सब्जी के लिए इनपुट अनुदान की कार्ययोजना
– किशनगंज में बिहार मात्स्यिकी कालेज की स्थापना
– मधुबनी जिला के लक्ष्मीपुर गांव के पास बिहुल नदी पर, दरभंगा के अलीनगर प्र्रखंड के पुराना कमला नदी पर गरौल, मोहद्दीनपुर पकड़ी और वधेला गांव के पास वीयर सिंचाइ योजना
– बिहार राज्य त्रिस्तरीय सहकारी सब्जी प्रसंस्करण एवं विपणन व्यवस्था
– पटना के नौबतपुर प्रखंड में दीनदयाल उपाद्याय
ग्राम ज्योति योजना के तहत कृषि के लिए अलग फीडर का निर्माण
2. पशु एवं मत्स्य संसाधन
-व्यावसायिक स्तर पर अंडों के उत्पादन हेतु निजी क्षेत्र में लेयर पोल्ट्री फार्म की स्थापना.
-बकरी–मांस के उत्पादन में वृद्धि हेतु उन्नत नस्ल की बकरी/बकरा की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु निजी क्षेत्र में कम क्षमता वाले बकरी फार्म की स्थापना.
-दुग्ध उत्पादन में वृद्धि के लिए पशुओं के नस्ल सुधार को प्राथमिकता
-25 लाख लीटर प्रतिदिन क्षमता का नये आधुनिक डेयरी प्लांट स्थापना
3. जल संसाधन
4.238 लाख हे. सिंचाई क्षमता का पुनस्र्थापन, सिंचाई क्षमता को बढ़ाकर मार्च 2022 तक 36.313 लाख हे. करना.
पहले और दूसरे कृषि रोडमैप से हुए ये लाभ
कृषि रोडमैप से बिहार को काफी लाभ हुआ. कृषि सेक्टर में आधारभूत संरचना मजबूत हुई, फसल उत्पादन भी बढ़ा. सुखाड़ और बाढ़ जैसे प्राकृतिक आपदा को झेलने के बाद भी राज्य में फसल के उत्पादन में बहुत कमी नहीं आयी. केंद्र सरकार ने 2012 में चावल. 2013 में गेहूं और 2016 में मक्का उत्पादन में उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए बिहार को कृषि कर्मण पुरस्कार दिया.
साल 2012 में 224 क्विंटल प्रति हेक्टयर और आलू का 729 हेक्टयर प्रति क्विंटल का विश्व रिकार्ड बनाया. आधारभत संरचना के क्षेत्र में काफी काम हुआ. राज्य बीज निगम को दुरूस्त किया गया. भंडारण की क्षमता बढ़ी. इंटर स्तर पर कृषि की पढ़ाई शुरू हुई. नये कृषि विवि व कालेज खुले. किशनगंज का कृषि कालेज देश का इकलौता एेसा कालेज है जहां कृषि की समग्र पढ़ाई होती है.
दूध उत्पादन में बिहार राष्ट्रीय उपलब्धता की सीमा को पार कर गया. कृषि रोड मैप के पहले राज्य में औसतन चावल का उत्पादन 44 लाख टन प्रति वर्ष था जो अब बढ़कर 76.67 लाख टन हो गया. वर्ष 2016- 17 में तो 83 लाख टन चावल का उत्पादन हुआ. बागवानी के क्षेत्र में बिहार ने लंबी रेखा खीच दी. फूड प्रोसेसिंग के सेक्टर में भी काफी काम हुआ. मछली, दूध अंडा व मांस का उत्पादन बढ़ा. राज्य में साला 87 लाख टन दूध का उत्पादन हो गया है. 111 करोड़ अंडा व 326 हजार टन मांस व पांच लाख टन से अधिक मछली का उत्पादन हो रहा है.

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