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पटना : जू में मौतों का नहीं थम रहा सिलसिला

पहले बाघिन और अब गैंडा के बच्चे की मौत से फिर सामने आयी जू प्रशासन की लापरवाही पटना : बिहार की राजधानी पटना स्थित संजय गांधी जैविक उद्यान में गैंडे हड़ताली के शावक की मौत ने एक बार फिर जू प्रशासन पर सवाल खड़े कर दिए हैं. मादा गैंडे का बच्चा चल फिर नहीं रहा […]

पहले बाघिन और अब गैंडा के बच्चे की मौत से फिर सामने आयी जू प्रशासन की लापरवाही
पटना : बिहार की राजधानी पटना स्थित संजय गांधी जैविक उद्यान में गैंडे हड़ताली के शावक की मौत ने एक बार फिर जू प्रशासन पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
मादा गैंडे का बच्चा चल फिर नहीं रहा था और दो दिन भी वह जिंदा नहीं रह पाया. इसके बाद सवाल उठना लाजिमी है क्योंकि इसके पहले 25 जुलाई की देर रात अचानक शरनी सरस्वती की मौत हो गई थी.
इसके बाद हरेक जन्मे शावक के बारे में मेडिकल बुलेटिन जारी करने की बात कही गयी थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हालांकि जू प्रशासन ने कहा है कि गैंडा शावक की पूरी देखभाल की गयी. मालूम हाे कि चिड़िया घर में 2012 से अब तक केवल बाघ के कुल सात शावकों और एक शेरनी की मौत हो चुकी है. इन पांच सालों में चार अलग अलग दिनों में सात शावकों और एक बाघिन की मौत पटना जू प्रशासन में बाघ और शेर के रखरखाव को कठघरे में खड़ा कर चुकी है.
सबसे पहले 2012 में स्वर्णा बाघिन के तीन शावक नहीं बच पाये थे. इसके बाद 2014 में चार शावकों को जन्म दी थी जिसमें एक की मौत हो गयी थी. वहीं इसके बाद 13 मार्च 17 को दो शावक की मौत हुई, 20 जुलाई को तीसरे शावक की मौत हुई और 25 जुलाई को सरस्वती नामक शेरनी की मौत हुई.

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