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बिहार : विभाग से हट रहा था काम, 15 दिन में हुआ शौचालय निर्माण घोटाला

पटना : फिल्म टॉयलेट एक प्रेम कथा को आये अभी कुछ ही दिन हुए हैं. अब बिहार के अभियंताओं ने टॉयलेट के एक घोटाले की कथा रच दी है. प्रधानमंत्री से लेकर सूबे के मुख्यमंत्री भले ही लोगों को खुले में शौच मुक्त करने के अभियान पर लगे हों, लेकिन यह फायदा पीएचईडी के पूर्व […]

पटना : फिल्म टॉयलेट एक प्रेम कथा को आये अभी कुछ ही दिन हुए हैं. अब बिहार के अभियंताओं ने टॉयलेट के एक घोटाले की कथा रच दी है. प्रधानमंत्री से लेकर सूबे के मुख्यमंत्री भले ही लोगों को खुले में शौच मुक्त करने के अभियान पर लगे हों, लेकिन यह फायदा पीएचईडी के पूर्व अभियंता व रोकड़पाल ने उठा लिया है.
जानकारी के अनुसार लोगों को व्यक्तिगत शौचालय की प्रोत्साहन राशि देने का काम वर्ष 2013 से ही लोक स्वास्थ्य नियंत्रण विभाग की ओर से चल रहा था. इस योजना में लाभुकों को राशि सीधे खाता में न देकर एनजीओ के माध्यम से शौचालय का निर्माण कराया जाना था. मगर एनजीओ के माध्यम से शौचालय बनाने का काम वर्ष 2015 में ही बंद कर दिया गया था. इसके बाद योजना को स्वच्छ भारत मिशन के तहत जोड़ दिया गया था और फिर सीधे पैसा लाभुकों के खाते में दिया जाने लगा. बावजूद इसके पीएचईडी के पूर्व अभियंता व रोकड़पाल ने एनजीओ को काम देना बरकरार रखा. वर्ष 2016 में योजना को लोक स्वास्थ्य नियंत्रण विभाग से लेकर ग्रामीण विकास विभाग को दिया जाने लगा.
विभाग बदलने और पहले से बची राशि को लौटाने के बदले अभियंताओं ने लगभग एक जून से लेकर 16 जून, 2016 के भीतर घोटाले की पूरी पटकथा लिख दी और बैक डेट में 15 प्रखंडों के तीन हजार से अधिक लाभुकों की फर्जी सूची तैयार कर पैसा तीन एनजीओ व दो व्यक्तिगत खाते में डाल दिया.
प्रचार में लगे थे 1.5 करोड़, मगर नहीं मिला विवरण : शौचालय निर्माण में 13.5 करोड़ रुपया घोटाला होने के अलावा 1.5 करोड़ रुपया प्रचार-प्रसार में खर्च करने की रिपोर्ट बनायी गयी है. लेकिन जिला प्रशासन की ओर से प्रथम जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि शौचालय निर्माण के लिए जो प्रचार-प्रसार किया गया था, उसका कोई प्रामाणिक विवरण व खर्च का बिल व रिपोर्ट नहीं दिया गया है.
ऐसे में यह तय है कि प्रचार प्रसार के नाम पर भी अवैध रूप से निकासी की गयी है. सूत्रों की मानें, तो जिस खाते में प्रचार वाला पैसा भेजा गया होगा, तो उसकी जांच से भी और आरोपियों के नाम सामने आ सकते हैं.
बिहार : एफएसएल भेजा जायेगा हैंड राइटिंग का सैंपल, चेक पर के हस्ताक्षर से होगा मिलान
पटना : शौचालय निर्माण की 14 करोड़ 37 लाख की धनराशि के घोटाले के बाद पुलिस की तफ्तीश तेज हो गयी है. अपने अनुसंधान को मजबूत करने के लिए पुलिस तकनीकी जांच का सहारा ले रही है. इसके लिए जिस चेक के माध्यम से सरकारी धन राशि का भुगतान किया गया है, उस पर मौजूद हस्ताक्षर की हैंड राइटिंग एक्सपर्ट से जांच कराने की तैयारी है.
इसके लिए फ्रेजर रोड में मौजूद लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण पूर्वी प्रमंडल कार्यालय से कुछ दस्स्तावेज पुलिस ने कब्जे में लिया है. इसमें वे दस्तावेज काफी महत्वपूर्ण हैं, जिन पर तत्कालीन कार्यपालक अभियंता विनय कुमार सिन्हा के हस्ताक्षर हैं. दोनों के हैंड राइटिंग सैंपल की जांच एफएसएल से करायी जायेगी. पुलिस इसके लिए कोर्ट से परमिशन लेगी. वहीं अगर कार्यपालक अभियंता की गिरफ्तारी हो जाती है, तो उनका कोर्ट के सामने हैंडराइटिंग का सैंपल लिया जायेगा. इसकी जांच और रिपोर्ट आने के बाद पुलिस को कोर्ट में यह साबित करना आसान हो जायेगा कि किसने चेक जारी किया था.
फ्रेजर रोड लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण पूर्वी प्रमंडल से पुलिस ने संबंधित दस्तावेज कब्जे में ले लिया है.बख्तियारपुर की पीएनबी शाखा में मां सर्वेश्वरी संस्थान नाम के एनजीओ का बैंक एकाउंट 11 अप्रैल 2016 को खोला गया.1 करोड़ 68 लाख रुपये खाते में ट्रांसफर किये गयेे, जिसे 29 जून, 2016 को निकाल लिया गया.
शौचालय निर्माण की रकम 14 कराेड़ 37 लाख रुपये 1 मई, 2016 से 23 जून, 2016 के बीच चारों एनजीआे में भेजी गयी थी.मां सर्वेश्वरी संस्थान के खाते में अब करीब 17 हजार रुपये बचे हैं.
दो पुलिस टीमें कर रही हैं काम : इस घोटाले की पड़ताल के लिए पुलिस की दो टीमें काम कर रही हैं. एक टीम आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए लगी है. वहीं दूसरी टीम छापेमारी में जुटी है. इस मामले में पूरी तरह से आरोपित चार एनजीओ के लोग टारगेट पर हैं, जिनकी तलाश पुलिस कर रही है. इसके लिए नवादा और बिहारशरीफ में पुलिस ने डेरा डाला है.
हालांकि एनजीओ के लोग फरार चल रहे हैं. इसके अलावा कार्यपालक अभियंता विनय कुमार सिन्हा और लेखपाल विटेश्वर प्रसाद सिंह की तलाश की जा रही है. पुलिस सूत्रों कि मानें, तो इसमें आरोपितों की गिरफ्तारी के बाद कुछ नये खुलासे हो सकते हैं.

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