पटना : बिहार में शौचालय निर्माण के मकसद के लिए दी गयी करीब 13.50 करोड़ रुपये की सरकारी राशि को कथित तौर पर चार गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) को स्थानांतरित किया गया. इस संबंध में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) के एक अभियंता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है. अधिकारियों ने बताया कि मई 2016 में पीएचइडी विभाग के तत्कालीन कार्यकारी अभियंता विनय कुमार सिन्हा ने शौचालय निर्माण के लिए दी गयी सरकारी राशि को कथित तौर पर चार एनजीओ और कुछ व्यक्तियों के खाते में स्थानांतरित किया जब शौचालय निर्माण का कार्य पीएचइडी से लेकर ग्रामीण विकास विभाग को दे दिया गया था.
-पटना जिला मजिस्ट्रेट संजय कुमार अग्रवाल ने बतायाहै कि यह राशि सीधे लाभ कर्ताओं को स्थानांतरित की जानी थी क्योंकि शौचालय के निर्माण में एनजीओ की कोई भूमिका नहीं थी.
-डीएमने यह भी कहा कि इस संबंध में कोई रिकॉर्ड नहीं है कि यह राशि असल में लाभकर्ताओं के खाते में पहुंची भी या नहीं.
-यह फंड वर्ष 2012-12, 2013-14 और वर्ष 2014-15 के दौरान राज्य सरकार की योजना के तहत
शौचालयों के निर्माण के लिए दिया गया था.
-बिहार के बहुचर्चित सृजन घोटाले का शोर अभी थमा भी नहीं था कि पटना जिला में एक और घोटाला सामने आ गया है. इस बार शौचालय के नाम पर तेरह करोड़ रुपये का घोटाला करने की खबर है.
-हैरानी तो इस बात की है कि जिस योजना के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार पहल कर रहे हैं.
-उसी योजना में लाभुकों को शौचालय बनाने का पैसा नहीं मिला लेकिन करोड़ों का वारा न्यारा हो गया.
– घोटालेबाजों ने 4 साल में निकाले 13 करोड़ रुपये. मनमाने ढंग से किया खर्च.
-बिहार सरकार के लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) में तेरह करोड़ रुपये से अधिक की निकासी बीते 4 वर्षों में की गयी है. पीएचइडी विभाग में पटना जिले में यह मामला सामने आया है.
-पटना जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल ने विभागीय समीक्षा बैठक के दौरान वित्तीय अनियमितता को पकड़ा है. पिछले दिनों पटना जिलाधिकारी पीएचईडी की समीक्षा कर रहे थे.
-समीक्षा में ही यह स्पष्ट हुआ कि लाभुकों को पैसा देने के बजाय फर्जीवाड़ा किया गया है. एनजीओ के खाते में डाला गया है पैसा.
-सूत्रों के अनुसार लाभुकों को पैसा देने के बजाय बीते 4 सालों में आधा दर्जन से अधिक NGO के खाते में शौचालय निर्माण की राशि डाल दी गयी है.
-कई एनजीओ को लाभांवित किया गया है. दो लाख रुपये से 10 करोड़ तक रुपये विभिन्न NGO के खाते में डाले गये हैं.
-मामले में पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता विनय कुमार सिन्हा और लेखापाल बिटेश्वर प्रसाद सिंह को प्रथम दृष्टया दोषी माना गया है. लेखापाल बिटेश्वर प्रसाद सिंह को डीएम ने सस्पेंड कर दिया है.
-वहीं कार्यपालक अभियंता विनय कुमार सिन्हा के निलंबन की अनुशंसा की गई है.
-पटना जिले में दस हजार से अधिक शौचालय बनाने की बात थी लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो रहा है कितने शौचालय बने.
-जांच के दौरान यह भी स्पष्ट नहीं हुआ कि किन-किन लोगों के खाते में पैसे डाले गए हैं. पैसे का कोई लेखा-जोखा नहीं होने के कारण डीएम ने प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है.
-डीएम ने दोषी पाये गये सभी एनजीओ का खाता सील कर दिया है और सभी NGO को ब्लैक लिस्ट करने की प्रक्रिया हुई शुरू कर दी है.
-दोषी पाये गये अभियंता विनय कुमार, लेखापाल बिटेश्वर प्रसाद सिंह सहित एनजीओ के संचालकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया गया है.
-डीएम ने अभियंता लेखापाल और सभी एनजीओ के सर्टिफिकेट केस दायर कर संपत्ति जब्ती की कार्रवाई का भी निर्देश दिया गया है.
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