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एनबीसीसी की मनमानी : 100 करोड़ से भी ज्यादा बढ़ चुकी है लागत

एनबीसीसी की मनमानी : तीन साल का काम आठ साल बाद भी पूरा नहीं बिहटा : बिहटा में बिहार का इकलौते ईएसआईसी अस्पताल का निर्माण कार्य एनबीसीसी की मनमानी से अधर में है. अस्पताल के निर्माण में जहां छह वर्ष का समय बढ़ गया है,वहीं करीब 100 करोड़ से ज्यादा रुपया भी अतिरिक्त खर्च होने […]

एनबीसीसी की मनमानी : तीन साल का काम आठ साल बाद भी पूरा नहीं
बिहटा : बिहटा में बिहार का इकलौते ईएसआईसी अस्पताल का निर्माण कार्य एनबीसीसी की मनमानी से अधर में है. अस्पताल के निर्माण में जहां छह वर्ष का समय बढ़ गया है,वहीं करीब 100 करोड़ से ज्यादा रुपया भी अतिरिक्त खर्च होने वाला है.
यही नहीं सूबे के करीब 20 लाख श्रमिक इसके लाभ से वंचित हैं.अत्याधुनिक ईएसआईसी अस्पताल के निर्माण कार्य में लगी एनबीसीसी सह सहायक कंस्ट्रशन कंपनी और ईएसआईसी के अधिकारियों की उदासीनता के कारण निर्धारित समय- सीमा तीन साल की जगह आठ साल बीतने के बाद भी पूरा नहीं हो पाया है.
समय-सीमा और कंस्ट्रक्शन कंपनियों की लापरवाही के कारण दिनोंदिन इसकी लागत 100 करोड़ से भी ज्यादा बढ़ चुकी है, लेकिन किसी की कान में जूं तक नहीं रेंग रही है. बताते चलें कि इस अस्पताल के निर्माण के लिए सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल से बीते छह साल पूर्व मेगा औद्योगिक पार्क योजना के तहत करीब 25 एकड़ भूमि मुहैया करायी गयी थी.
25 सितंबर, 2009 में राष्ट्रीय उच्च पथ -30 पर बिहटा के सिकंदरपुर के समीप इस अस्पताल की आधारशिला रखी गयी थी. उस समय 500 बेड के इस अस्पताल की लागत करीब 637 करोड़ रुपये थी और निर्माण कार्य तीन साल में पूरा किया जाना था. लेकिन आज आठ साल से भी ज्यादा समय बीतने के बाद भी अब तक कार्य पूरा नहीं हो सका है. अस्पताल निर्माण कार्य में विलंब होने के कारण से इसके निर्माण कार्य का खर्च करीब 100 करोड़ रुपये बढ़ चुका है.
क्या कहना है कंपनी का : प्रतिभा कंस्ट्रक्शन से काम छीने जाने के बाद निर्माण कार्य में लगी रामा कंस्ट्रक्शन के जीएम सुनील चौधरी ने बताया कि डेढ़ साल समय देकर काम दिया गया है. हम समय- सीमा पर काम पूरा कर लेंगे.
20 लाख लोगों को मिलेगा फायदा
अगर जल्द बिहटा में नियोजित श्रमिक परिवारों का इलाज शुरू हुआ, तो मरीजों को सारी सुविधा मिलने वाला बिहटा का एकमात्र अस्पताल होगा. राज्य में एक अनुमान के मुताबिक नियोजित श्रमिक परिवार की संख्या करीब 20 लाख है, जिनका इलाज इस अस्पताल में होना था, लेकिन ये दीगर की बात है कि आज भी इनका इलाज एकमात्र 50 बेड वाले मॉडल अस्पताल फुलवारीशरीफ में हो रहा है. जहां असाध्य बीमारियों का इलाज नहीं हो पाता है.
मजदूरों व संवेदकों का पैसा है बकाया
मजदूर नेता डॉ आनंद कुमार का कहना है कि इस अस्पताल में निर्माण करने वाले मजदूर एवं कुछ सह संवेदकों का पैसा पिछले एक वर्ष से अधिक समय से बकाया है. पहले काम कराने वाली कंपनी प्रतिभा कंस्ट्रक्शन को ब्लैक लिस्टेड कर उसका पैसा सीज कर लिया गया. उसके समय निर्माण कार्य में लगे मजदूरों एवं सह संवेदकों ने जब बकाया पैसों की मांग की, तो एनबीसीसी के अधिकारियों ने आश्वासन दिया था आपका पैसा काम शुरू होने से पहले मिल जायेगा, लेकिन उनलोगों की पैसा नहीं मिला.
जल्द काम पूरा नहीं हुआ तो आंदोलन
कर्मचारी संगठन इंटक के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रप्रकाश का कहना है कि मामला काफी गंभीर है .वर्ष 2013 के जून में ही केंद्रीय मंत्री ने अस्पताल को चालू करने का निर्देश दिया था, लेकिन विभाग के अधिकारियों व निर्माण कार्य मे लगी कंपनी की लापरवाही के कारण यह स्थिति बनी हुई है.
अगर जल्द अस्पताल को चालू नहीं किया जायेगा, तो इंटक इसके लिए आंदोलन करेगा. वहीं, ईएसआईसी व एनबीसीसी के अधिकारी से बात करने की कोशिस की गयी, तो वे कुछ भी बोलने से कतराते नजर आये .

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