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बिहार : हाइपरटेंशन की ”गोद” में गरीबी
परेशानी. सात लाख गर्भवतियों की जांची गयी सेहत राजेश कुमार सिंह पटना : ‘हाइपरटेंशन’ अब अमीरों की बीमारी नहीं रह गयी. आप सुनकर शायद हैरान होंगे, पर यह बात सच है. यह अब गरीब गर्भवतियों को गिरफ्त में ले रहा है. राज्य स्वास्थ्य समिति के आंकड़े तो यही कह रहे हैं. प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान […]
परेशानी. सात लाख गर्भवतियों की जांची गयी सेहत
राजेश कुमार सिंह
पटना : ‘हाइपरटेंशन’ अब अमीरों की बीमारी नहीं रह गयी. आप सुनकर शायद हैरान होंगे, पर यह बात सच है. यह अब गरीब गर्भवतियों को गिरफ्त में ले रहा है. राज्य स्वास्थ्य समिति के आंकड़े तो यही कह रहे हैं. प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत सात लाख गर्भवतियों की सेहत जांची गयी है. इसमें से 24765 महिलाएं जटिल गर्भावस्था में पायी गयी हैं. इनका इलाज विभिन्न सरकारी अस्पतालों में चल रहा है.
इसके अलावा नयी बात यह सामने आयी है कि 6800गर्भवती ‘हाइपरटेंशन’ की चपेट में हैं. प्रतिशत में आंका जाये तो यह यहबहुत अधिक नहीं है, लेकिन जिस हिसाब से ऐसी महिलाओं कीसंख्या बढ़ रही है वह चिंताजनक है. खास तौर पर शहरी गर्भवतियोंमें हाइपरटेंशन की बढ़ती संख्या अलार्मिंग है.
प्रत्येक माह की नौ तारीख है खास : हर माह की नौ तारीख गर्भवतियों के लिए खास है. दरअसल गरीब गर्भवतियों की सेहत की देखभाल ठीक से नहीं हो पाती. न ही उनके पास समय होता है, न ही आर्थिक रूप से वह इतनी सक्षम होती हैं.
इस वजह से शिशु को जन्म देने से पहले ही महिलाएं विभिन्न बीमारियों की चपेट में आ जाती हैं. सरकार के सामने जब आंकड़े आये तो नये सिरे से सोचा गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर प्रत्येक माह की नौ तारीख को विशेष अभियान चलाया जाता है. प्रदेश के 588 स्वास्थ्य संस्थानों (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पताल तक) में इस अभियान के तहत गर्भवतियों की जांच होती है. आर्थिक रूप से कमजोर महिलाएं ही यहां पहुंचती हैं.
सभी तरह की सुविधाएं
गर्भवती को उसकी द्वितीय व तृतीय तिमाही में सभी एएनसी (एंटी नेटल केयर) के लिए हर तरह की सुविधाएं मुहैया करायी जाती हैं. पैथोलॉजिकल जांच, चिकिस्तकीय जांच सहित सभी तरह की जरूरी दवाएं भी उपलब्ध करायी जाती हैं. मकसद इतना है कि गर्भवती की जांच समय से हो जाये. कोई परेशानी है तो समय पर उसका समाधान कर लिया जाये.
‘हाइपरटेंशन’ खतरनाक
‘हाइपरटेंशन’ को साइलेंट किलर भी कहा जाता है. अमूमन ‘हाइपरटेंशन’ को लेकर यह माना जाता है कि शरीरिक श्रम नहीं करना, ज्यादा सोचना, खराब खान-पान आदि के कारण यह चपेट में लेता है. आंकड़ों की मानें तो शहरों में 30-40 फीसदी और गांवों में 15 फीसदी गर्भवती महिलाएं ‘हाइपरटेंशन’ की लपेटे में आती हैं.
– गर्भवती को बीपी की समस्या होने पर जीवनशैली में सुधार लाना चाहिए. शारीरिक गतिविधि करनी चाहिए.
– पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें. तीनों टाइम भोजन करें.
– फूड चार्ट तैयार करें. बीपी को संतुलित बनाएं रखने के लिए कुछ खाद्य पदार्थो जैसे-लहसुन आदि का सेवन करें.
– गर्भवती को नियमित रूप से अपना ब्लड प्रेशर चेक करवाते रहना चाहिए और समय-समय पर डॉक्टरी परामर्श लेना चाहिए.
– गर्भावस्था के दौरान खुश रहें. दिमाग को शांत रखने के लिए ध्यान लगाएं. पूरी नींद लें और सभी नियमों का पालन करें.
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