अस्पताल अधीक्षक के दो टूक जवाब पर विद्यार्थियों के बीच तनातनी की स्थिति बन गयी. अधीक्षक ने बताया कि मंगलवार को कॉलेज में प्राचार्या डॉ शिव कुमारी प्रसाद की अध्यक्षता में बैठक होगी, बैठक में जो निर्णय लिया जायेगा. उसे अस्पताल प्रशासन अमल में लायेगा. जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि मंगलवार की बैठक में वे लोग भी शामिल होंगे.
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नालंदा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के छात्रावास का मामला, छात्रों ने बतायी पीड़ा, आपका रहना अवैध, खाली कीजिए हॉस्टल
पटना सिटी: सर हम लोगों के रहने की वैकल्पिक व्यवस्था कर दीजिए, हम खाली कर देंगे, नहीं आपका वहां रहना अवैध है, आप लोगों को खाली करना होगा, हम इसमें कुछ नहीं कर सकते है. कुछ इसी संवाद के बीच नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के नवनिर्मित छात्रावास में रहने वाले पीजी छात्रों ने अस्पताल अधीक्षक […]
पटना सिटी: सर हम लोगों के रहने की वैकल्पिक व्यवस्था कर दीजिए, हम खाली कर देंगे, नहीं आपका वहां रहना अवैध है, आप लोगों को खाली करना होगा, हम इसमें कुछ नहीं कर सकते है. कुछ इसी संवाद के बीच नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के नवनिर्मित छात्रावास में रहने वाले पीजी छात्रों ने अस्पताल अधीक्षक डॉ आनंद प्रसाद सिंह से सोमवार को मिल कर अपनी पीड़ा सुनायी. इस पर अधीक्षक ने उक्त बातें विद्यार्थियों को कही.
छात्रावास नहीं नर्सेज आवास है : अस्पताल के अधीक्षक डॉ आनंद प्रसाद सिंह का कहना है कि छात्र जिसे छात्रावास बता रहे है, दरअसल वो भवन निर्माण की ओर से नर्सों के लिए फैमिली आवास है. जिसे अस्पताल की जमीन पर बनाया गया है. इसमें अभी बिजली-पानी की सुविधा नहीं है. नहीं विभाग की ओर से अस्पताल प्रशासन को नवनिर्मित भवन सौंपा गया है. जबकि छात्र इसे जबरन छात्रावास बता रहे है. बताते चले कि बीते शनिवार को अस्पताल प्रशासन की ओर से 48 घंटे के अंदर छात्रावास को खाली करने के फरमान रहने वाले पीजी स्टूडेंट को दिया था. इसके बाद से आक्रोशित छात्र विरोध प्रदर्शन पर उतर आये है. छात्रों का कहना है कि प्रशासन जबरन खाली करायेगी, तो रणनीति बना स्वास्थ्य सेवा ठप करने का आंदोलन चलाया जायेगा.
कैंपस में हो रहने की व्यवस्था : जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमानुसार पीजी स्टूडेंट को अस्पताल के परिसर के अंदर रहने की व्यवस्था का दायित्व अस्पताल प्रशासन को करना होता है. लेकिन इस मामले में अस्पताल प्रशासन अभी तक चुप है.
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