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सब्सिडी खत्म होने का असर नहीं, पर गया से उड़ान बंद होने से होगी कठिनाई केंद्र सरकार द्वारा पेश की गयी नयी हज नीति पर मुस्लिम धर्मावलंबियों व बुद्धिजीवियों की अलग-अलग राय है. हज के लिए सब्सिडी खत्म किये जाने पर धर्मावलंबियों को एतराज नहीं है. लेकिन गया से उड़ान बंद होने पर होने वाली […]
सब्सिडी खत्म होने का असर नहीं, पर गया से उड़ान बंद होने से होगी कठिनाई
केंद्र सरकार द्वारा पेश की गयी नयी हज नीति पर मुस्लिम धर्मावलंबियों व बुद्धिजीवियों की अलग-अलग राय है. हज के लिए सब्सिडी खत्म किये जाने पर धर्मावलंबियों को एतराज नहीं है. लेकिन गया से उड़ान बंद होने पर होने वाली कठिनाई को लेकर उनकी आपत्ति है. मेहरम के लिए कोटा बढ़ाये जाने पर मुस्लिम महिलाओं ने काफी खुशी जतायी है. इमारत-ए-शरिया के नाजिम मौलाना अनिसुर्ररहमान कासमी का कहना है कि हज के लिए सब्सिडी पहले भी जायज नहीं थी.
नयी हज नीति के लागू होने से यात्रियों को नयी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा. भारत में हज पर जाने वाले ज्यादातर यात्रियों की उम्र अधिक होती है और वे शारीरिक रूप से कमजोर होते हैं. ऐसे में उड़ान केंद्रों की संख्या 21 से घटा कर 9 करना गलत है. उड़ान केंद्रों के दूर होने से यात्रियों की परेशानी बढ़ जायेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है तो हज के लिए दी जाने वाली सब्सिडी खत्म होना ही चाहिए. प्राइवेट टूर ऑपरेटरों को हज यात्रा का प्रबंध करने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए क्योंकि कई बार उनके द्वारा लोगों का पैसा लेकर भागने की घटनाएं हो चुकी हैं. हज कमेटी का हज के प्रबंध पर एकाधिकार होना चाहिए.
पानी के जहाज से भेजने की योजना भी तार्किक प्रतीक नहीं होती है. इसमें महीनों का समय लगता है, जबकि जहाज की उड़ान से चंद घटों में लोग पहुंच जाते है. 45 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को बिना मेहरम के हज पर जाने की इजाजत शरीयत से जुड़ा है और हज में जानेवाली औरत का मेहरम जरूरी है.
सरकार अनुदान दे नहीं दे, इससे अंतर नहीं पड़ने वाला है. हज एक व्यवस्था है. जिसमें खुद के पैसे से ही करना चाहिए. उन्होंने सरकार के फैसलों को न्यायोचित नहीं बताते हुए कहा कि अनुदान से गरीब लोग भी हज कर लेते थे, यह गरीबों को सोचना होगा. बुलावा आने पर पैसे का भी जुगाड़ अल्लाह कर देंगे.
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