जुवेनाइल कोर्ट में चल रहा मुकदमा, अधिकतर मामले साल भर से अधिक से लंबित
पटना : जिन हाथों में अभी पढ़ने की किताबें और खेलने के लिए बल्ले होने चाहिये थे, वह हाथ कानून के शिकंजे में जकड़ा हुआ है. राज्य के विभिन्न जिलों के साढ़े छब्बीस हजार से अधिक बच्चे कोर्ट कचहरी के चक्कर काट रहे हैं.
18 वर्ष से कम उम्र के इन बच्चों में कुछ पर जघन्य अपराध के मामले भी दर्ज हैं. कानूनी भाषा में इन्हें विधि विवादित बच्चा कहा जाता है. कुल 26502 मामलों में 31.8 प्रतिशत मामले सीरियस हैं. 37.7 प्रतिशत हीनियस क्राइम के दायरे में आता है.
जबकि 31.2 प्रतिशत मामले साधारण हैं. सरकार और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक जुवेनाइल कोर्ट को इनके ऊपर चल रहे मुकमदाें की सुनवाई अधिकतम चार महीने में पूरी कर लेनी है. स्पेशल मामलों में यह अवधि छह महीने से अधिक नहीं होनी चाहिए. लेकिन, अधिकतर मामले साल भर से अधिक दिनों से लंबित हैं. 62.5 प्रतिशत मुकदमें एक साल से अधिक समय से चल रहे हैं.
आम मुकदमों की तरह इन मुकदमों मेें भी तिथि दर तिथि पड़ रही है. सुप्रीम कोर्ट के प्रावधानों के अनुसार 18 वर्ष पूरे होने के बाद ही इन्हें अभियुक्त माना जा सकता है और ऐसे बच्चों को जेल में रखा जा सकता है. पटना हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ प्रति माह बैठक करने का निर्देश दिया है.
राज्य सरकार इन मुकदमों की पैरवी के प्रति वकील प्रति तिथि पंद्रह सौ रुपये भी खर्च कर रही है. इसके बावजूद तेजी से इन मामलों का निबटारा नहीं हो पा रहा है. जिन बच्चों पर मुकदमे चल रहे हैं उनमें कुछ रिमांड होम में रखे गये हैं तो कुछ बाहर भी है. मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने विधिक सेवा प्राधिकार को दखल देने का निर्देश दिया है.