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पटना : मगध विवि में प्राचार्यों की नियुक्ति मामले में सुनवाई पूरी, आदेश सुरक्षित
पटना : हाईकोर्ट ने मगध विवि में 22 प्राचार्यों की नियुक्ति में बरती गयी अनियमितता से संबंधित मामले की सुनवाई पूरी करते हुए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया. न्यायमूर्ति अजय कुमार त्रिपाठी व न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की खंडपीठ ने बर्खास्त हुए प्राचार्यों की अपील पर एक साथ सुनवाई की. विदित हो कि हाईकोर्ट की […]
पटना : हाईकोर्ट ने मगध विवि में 22 प्राचार्यों की नियुक्ति में बरती गयी अनियमितता से संबंधित मामले की सुनवाई पूरी करते हुए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया. न्यायमूर्ति अजय कुमार त्रिपाठी व न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की खंडपीठ ने बर्खास्त हुए प्राचार्यों की अपील पर एक साथ सुनवाई की. विदित हो कि हाईकोर्ट की एकलपीठ ने एमयू के 22 अंगीभूत कॉलेजों के प्राचार्यों की बहाली में व्यापक धांधली पाते हुए उनकी बहाली को रद्द कर दिया. इस धांधली की गूंज बिहार विधानमंडल के अंदर भी गूंजी थी, जिस पर सरकार ने निगरानी जांच के आदेश भी दिये थे.
इन सभी तथ्यों के आलोक में न्यायमूर्ति शिवाजी पांडेय की एकलपीठ ने उन सभी 22 प्राचार्यों की नियुक्ति को रद्द करने का आदेश सितंबर, 2014 में दिया था. एकलपीठ के इस फैसले पर 19 जनवरी, 2015 को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने रोक लगा दी थी. वहीं दूसरी ओर वीर कुंवर सिंह विवि आरा में प्राचार्यों की नियुक्ति मे बरती गयी अनियमितता से संबंधित मामले की सुनवाई सोमवार को होगी.
पटना. हाईकोर्ट ने सूबे के माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन के मामले में सरकार की कार्यप्रणाली से नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने राज्य सरकार को अंतिम मौका देते हुए 9 अक्तूबर को यह बताने काे कहा कि माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों व नियोजित शिक्षकों को कितना वेतन दिया जा रहा है. मामले की विस्तृत सुनवाई सोमवार को की जायेगी.
चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन व जस्टिस डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने द बिहार सेकेंड्री टीचर्स स्ट्रगल कमेटी व अन्य कई की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया. याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि सूबे के माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत नियोजित शिक्षकों से समान कार्य तो लिया जा रहा है, परंतु समान वेतन नहीं दिया जा रहा है. अदालत को यह भी बताया गया कि नियोजित शिक्षकों का वेतन चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों से भी कम है. वहीं राज्य सरकार की ओर से बहस के मामले में टालमटोल किये जाने पर अदालत ने नाराजगी व्यक्त करते हुए अंतिम मौका देने की बात कही.
आदेश का अनुपालन नहीं होने पर सख्त
पटना. हाईकोर्ट ने सूबे के प्लस-टू विद्यालयों के व्याख्याताओं को बिहार शिक्षा सेवा में मर्ज करने के आदेश का अनुपालन तीन वर्षों बाद भी नहीं किये जाने से नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शिक्षा विभागइस मामले में टालमटोल का रवैया अपना रही है, इसलिए वह स्वयं इस मामले की मॉनीटरिंग करते हुए आदेश का अनुपालन करायेगी.
जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी व जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद की खंडपीठ ने डॉ सुभाष चंद्र सिंह व अन्य की ओर से दायर अवमाननावाद पर सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया. गौरतलब है कि 2014 में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सूबे के प्लस-टू विद्यालयों के व्याख्याताओं को बिहार शिक्षा सेवा में मर्ज करने का निर्देश दिया था.
बावजूद इसके आदेश का अनुपालन करने के राज्य सरकार ने उक्त आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी. परंतु उच्चतम न्यायालय ने रोक लगाने से इन्कार कर दिया. याचिकाकर्ता द्वारा दायर अवमाननावाद पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पूर्व में ही राज्य सरकार को आदेश का अनुपालन हेतु दो सप्ताह की मोहलत प्रदान की थी.
पर्चा लीक मामला राज्य सरकार को पक्ष रखने का निर्देश
पटना : हाईकोर्ट ने बहुचर्चित पर्चा लीक मामले में अभियुक्त बनाये गये आनंद शर्मा की नियमित जमानत याचिका पर सुनवाईकरते हुए मामले की सुनवाई की तिथि 13 अक्तूबर को निर्धारित की है. कोर्ट ने राज्य सरकार को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया.
जस्टिस नीलू अग्रवाल की एकलपीठ ने आनंद शर्मा की ओर से दायर नियमित जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया. गौरतलब है कि बिहार कर्मचारी चयन आयोग यानी बीएसएससी की इंटर (12वीं) स्तरीय पदों के लिए प्रारंभिक परीक्षा में प्रश्नपत्र और उसके उत्तर लीक होने के मामले में अहम सबूत मिलने के बाद बिहार सरकार ने परीक्षा रद्द कर दी थी.
अभी भी गंगा में पशुओं के शव क्यों हो रहे हैं प्रवाहित : पटना. हाईकोर्ट ने करोड़ों रुपये की मशीन लग जाने व लाखों रुपये बिजली पर प्रतिमाह खर्च होने के बावजूद मृत पशुओं के गंगा नदी में विसर्जित होने पर नगर निगम से यह बताने का निर्देश दिया कि आखिर किन कारणों से अभी भी गंगा में मृत पशुओं के शव प्रवाहित किये जा रहे हैं. चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन व जस्टिस डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने विकास चंद्र उर्फ गुड्डू बाबा की ओर से दायर अवमाननावाद पर सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया.
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