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दहेजमुक्त BIHAR : जानें इन वीरांगनाओं के बारे में, समाज की बंदिशें तोड़ करा रहीं बिना दहेज की शादी
मिलिए दहेज प्रथा के खिलाफ लड़ रहीं इन वीरांगनाओं से अनुपम कुमारी पटना : समाज में औरतों के लिए कई बंदिशें हैं. इन बंदिशों का उनकी उम्र और जाति-समुदाय से कोई लेना-देना नहीं है. गांव की हो या फिर शहर की, पढ़ी-लिखी हो या फिर निरक्षर, समाज के सभी तबकों की महिलाएं किसी-न-किसी प्रकार की […]
मिलिए दहेज प्रथा के खिलाफ लड़ रहीं इन वीरांगनाओं से
अनुपम कुमारी
पटना : समाज में औरतों के लिए कई बंदिशें हैं. इन बंदिशों का उनकी उम्र और जाति-समुदाय से कोई लेना-देना नहीं है. गांव की हो या फिर शहर की, पढ़ी-लिखी हो या फिर निरक्षर, समाज के सभी तबकों की महिलाएं किसी-न-किसी प्रकार की बंदिशों की शिकार हैं. इसका परिणाम कभी बाल-विवाह के रूप में, तो कभी दहेज प्रथा के रूप में देखा जा सकता है.
बिहार सरकार ने भले ही बीते दो अक्तूबर को बाल विवाद व दहेज प्रथा के उन्मूलन का शंखनाद किया है, लेकिन राज्य में ऐसे योद्धा और वीरांगनाएं भी हैं, जो लंबे अरसे से इस कुप्रथा के खिलाफ लड़ रहे हैं और कई शादियां बिना दहेज के करायी हैं. अब तो इनके जीवन का मंत्र ही दहेजमुक्त बिहार बन चुका है. पढ़िए, मसौढ़ी की प्रमिला कुमारी, पटना की कुमारी मोनिका व राकेश कुमार की संघर्ष गाथा.
जहां दहेज देकर शादी की सूचना िमलती है, वहां पहंुच जाती हैं मोिनका
कुमारी मोनिका ने बस ठान लिया है कि अब वह बेटियों को दहेज की बलि नहीं चढ़ने देंगी और समाज से ऐसी कुप्रथा को मिटायेंगी. अपने इस प्रण के साथ वह अब बेटियों को दहेज के खिलाफ जागरूक कर रही हैं. इसकी शुरुअात उन्होंने अपने विद्यालय से की है.
मोनिका पेशे से शिक्षिका हैं, पर अब वह समाज के लिए कार्य कर रही हैं. उनके इस काम में साथ दे रहें हैं उनके स्कूल के शिक्षक राकेश कुमार. दोनों उत्क्रमित मध्य विद्यालय, हथियाकंद, दानापुर के शिक्षक हैं. दोनों ने अब समाज से दहेज के खिलाफ लोगाें को जागरूक करने का बीड़ा उठाया है.
मोनिका शुरू से ही दहेज के खिलाफ रही हैं. इसलिए जब उनकी खुद की शादी की बारी आयी, तो उन्होंने बिना दहेज लेने वाले लड़के से ही शादी करने का निर्णय लिया. कई मुश्किलें आयीं. पर मोनिका ने हिम्मत नहीं हारी और अपने निर्णय पर अड़ी रहीं. आज मोनिका अपने पति के साथ खुशहाल जीवन जी रही हैं.
उन्हें भी परिवार में कई बंदिशों का सामना भी करना पड़ा था. उसी समय उन्होंने दहेज जैसी कुप्रथा के खिलाफ काम करने का ठान लिया था. अब तक दानापुर इलाके में करीब 10 से 12 लोगों को बिना दहेज की शादी करवा चुकी हैं.
अपने स्कूल में आठ लोगों की शादी बिना दहेज की करवायी है. जहां भी दहेज देकर शादी की सूचना मिलती है, वहां राकेश और मोनिका पहुंचते हैं और बिना दहेज की शादी के लिए उन्हें प्रमोट करते हैं.
लोगों को साक्षर करने के साथ प्रमिला करा रही बेटियों का दहेजमुक्त विवाह
मसौढ़ी की प्रमिला भी बिना दहेज की शादी करवाने के काम में लगी हैं. 47 वर्षीया प्रमिला वर्ष 2003 से साक्षर भारत योजना कार्यक्रम से जुड़ कर काम कर रही हैं. वर्तमान में वह महादलित, अल्पसंख्यक, अति पिछड़ा अक्षर आंचल योजना के साथ केआरपी रूप में काम कर रही हैं.
काम के दौरान इन्होंने पाया कि कई परिवारों में बेटियों की शादी दहेज के कारण नहीं हो पा रही है. इस चिंता में माता-पिता अपनी कम उम्र की बेटियों की शादी अधिक उम्र के लड़कों से करने को तैयार हो जाते हैं.
प्रमिला बताती हैं, ऐसे में बेटियों को सुरक्षित करने के लिए पहले दहेज प्रथा को समाप्त करना होगा. तब मैंने सोच लिया कि कुछ करना ही है, तो इन बेटियों के लिए करूंगी. जिस परिवार में बेटियों की शादी की बात चलती, उनकी शादी के लिए लड़के वाले को बिना दहेज की शादी के लिए तैयार करती हूं.
फिर उनकी शादी करवाती हूं. इस काम में पंचायत के मुखिया और वार्ड पार्षद भी मदद करते हैं. इस कार्य की शुरुआत मैंने अपने घर से की. छोटे भाई और बहन की शादी भी बिना दहेज के ही करवायी. प्रमिला बताती हैं कि मैट्रिक परीक्षा देने के बाद ही मेरी शादी हो गयी थी. कम उम्र में शादी और उसकी जिम्मेदारियों को बोझ तले दब कर मेरी कई इच्छाएं भी दब गयी थीं. ऐसे में जब घर में छोटी बहन की शादी की बारी अायी, तो सबसे पहले मैंने इसका विरोध किया.
कहा कि शादी बहन की इच्छा और बिना दहेज की हाेगी. उन्होंने मसौढ़ी पंचायत में चंपा और जोसना की शादी भी बिना दहेज के करवायी है. इसके अलावा वह पंचायतों में संवाद बैठकों और टोला सेवकों के बीच भी बिना दहेज की शादी को लेकर प्रमोट कर रही हैं.
मोनिका की कहानी से हुए इंस्पायर
राकेश बताते हैं, मोनिका की स्टोरी से इंस्पायर होकर मैं इसके खिलाफ लोगों को जागरूक कर रहा हूं. यहां तक कि इसका विरोध करने वाली बेटियों को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें सरकारी योजनाओं से भी जोड़ने का काम करते हैं. बीइओ और डीएम से मिल कर उन्हें योजना का लाभ दिलाते हैं, ताकि उनसे सीख लेकर अन्य परिवार अपनी बेटियों की शादी बिना दहेज के करें.
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