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बिहार : नहाना तो छोड़िए… आचमन के लायक भी नहीं रहा गंगा का पानी…यह है स्थिति

कृष्ण कुमार पटना : गंगा में दिन-पर-दिन प्रदूषण बढ़ता जा रहा है. गोमुख से निकलने के बाद बड़े शहरों के पास से गुजरते समय गंगा में डाले जाने वाले प्रदूषित पदार्थ इसके लिए जिम्मेदार हैं. यही हाल बिहार का भी है. राज्य में गंगा बक्सर के पास प्रवेश करती है. इसके बाद पटना तक करीब […]

कृष्ण कुमार
पटना : गंगा में दिन-पर-दिन प्रदूषण बढ़ता जा रहा है. गोमुख से निकलने के बाद बड़े शहरों के पास से गुजरते समय गंगा में डाले जाने वाले प्रदूषित पदार्थ इसके लिए जिम्मेदार हैं. यही हाल बिहार का भी है. राज्य में गंगा बक्सर के पास प्रवेश करती है.
इसके बाद पटना तक करीब 125 किमी में कोई बड़ा शहर नहीं होने से इसमें कम प्रदूषित पदार्थ गिरते हैं. लेकिन पटना पहुंचते ही इसमें सैकड़ों बड़े-छोटे नालों का पानी, कूड़ा-कचरा, कारखानों का प्रदूषित पदार्थ आदि गिरने शुरू हो जाते हैं.
आगे मोकामा, सुल्तानगंज, भागलपुर, मनिहारी तक स्थिति और भयावह हो जाती है. इसका परिणाम यह हुआ है कि पवित्र माना जाने वाला गंगाजल अब इस्तेमाल करने लायक नहीं रह गया है. इसमें रहने वाले जीवों का अस्तित्व भी संकट में है.
बिहार में पटना समेत बड़े शहरों के निकट गंगा का पानी इस्तेमाल के लायक नहीं
बड़े-छोटे नालों का पानी, कूड़ा-कचरा, कारखानों के बेकार पदार्थ से प्रदूषित हुई गंगा
कम प्रवाह भी प्रदूषण का कारण
गंगा सहित अन्य नदियों के प्रदूषित होने का एक बड़ा कारण खेतों का कीटनाशक बह कर मिलना और उनकी प्रवाह में कमी भी है. नदी में प्रवाह अधिक होने से प्रदूषित पदार्थों का अपरदन होता रहता है. साथ ही इन्हें ढोकर नदियां एक जगह से बहुत दूर दूसरी जगह ले जाती हैं. यही कारण है िक बाढ़ के समय नदियों में प्रदूषण की मात्रा कम हो जाती है.
बैक्टीरिया की बढ़ती संख्या खतरनाक
गंगा में प्रदूषण मामलों के विशेषज्ञ, बिहार राज्य पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य और एसईएसी के चेयरमैन डॉ. एके घोष का कहना है कि बिहार के इलाके में बहने वाली गंगा में प्रदूषण का अधिक खतरा बैक्टीरिया की बढ़ती संख्या से है.
हजारों लीटर गंदा पानी गिरता है प्रतिदिन
पटना में छह बड़े नाले हैं जिनसे प्रतिदिन हजारों लीटर गंदा पानी गंगा नदी में गिरता है. इन नालों को कुर्जी, सर्पेंटाइन, मंदिरी, आनंदपुरी, बाकरगंज और पटेल नगर नाला के नाम से जाना जाता है. इन सभी की लंबाई कुल 60,770 फुट है. इसके साथ ही सैकड़ों छोटे नाले भी हैं जिनका पानी गंगा में गिरता है. पटना में गंगा नदी में चल रहे पुल निर्माण से भी पानी में प्रदूषण बढ़ा है.
क्या कहते हैं पर्यावरणविद
पर्यावरणविद और नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. आरके सिन्हा कहते हैं कि गोमुख से निकलने वाली पवित्र गंगा कानपुर पहुंचते-पहुंचते बुरी तरह प्रदूषित हो जाती है. इसका प्रवाह भी कम हो जाता है. इलाहाबाद में इसमें यमुना के मिलने से प्रवाह में तेजी आती है, लेकिन प्रदूषण कम नहीं होता.

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