अमृत योग में कलश स्थापना एवं श्री दुर्गा पूजन करने की परंपरा के अतिरिक्त अभिजीत मुहूर्त में भी कलश स्थापना के बाद श्रद्धालुओं ने अपने अराध्य की पूजा की . कहीं भक्त ने एक साथ 108 कलश स्थापित किया, तो कहीं उपासक ने सीने पर कलश रख कर श्रद्धा के साथ पूजा शुरू की.
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शारदीय नवरात्र: अमृत व अभिजीत मुहूर्त में हुई कलश स्थापना, कहीं छाती पर कलश स्थापना कहीं निकाली गयी कलशयात्रा
पटना : वंदे वांछित लाभाय चंद्रार्धकृत शेखराम् । वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम्।। नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः। नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणता स्मरताम।। आदिशक्ति की आराधना के पहले दिन माता के पहले स्वरूप शैलपुत्री की उपासना इस मंत्र से की गयी. शक्तिपीठ, मंदिर, घर हो या पूजा पंडाल सभी जगह गुरुवार को शुभ मुहूर्त […]
पटना : वंदे वांछित लाभाय चंद्रार्धकृत शेखराम् । वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम्।। नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः। नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणता स्मरताम।। आदिशक्ति की आराधना के पहले दिन माता के पहले स्वरूप शैलपुत्री की उपासना इस मंत्र से की गयी. शक्तिपीठ, मंदिर, घर हो या पूजा पंडाल सभी जगह गुरुवार को शुभ मुहूर्त में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की विधान से पूजा-अर्चना हुई.
नौलखा दुर्गा मंदिर में नागेश्वर बाबा ने सीने पर रखे 21 कलश : न्यू सचिवालय स्थित नौलखा दुर्गा मंदिर में 21 कलशों को शृंखलाबद्ध अपने छाती पर रखकर नागेश्वर बाबा सबकी श्रद्धा का केंद्र बने हुए हैं. उन्होंने अपने सीने पर 21 छोटे-बड़े कलशों को स्थापित किया है. गंगा जल से भरे हुए कलशों को बाबा कई सालों से अपने सीने पर रख कर मां की आराधना करने की परंपरा निभा रहे हैं. मंदिर के व्यवस्थापक विजय यादव ने बताया कि दरभंगा निवासी नागेश्वर बाबा इस मंदिर में 21 सालों से अन्न-जल और नित्य क्रिया का त्याग कर नवरात्र की कलश स्थापना अपने सीने पर करते आ रहे हैं. बाबा के दर्शन के लिए राज्य के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.
108 महिलाओं ने निकाली कलशयात्रा : बांसघाट स्थित सिद्धेश्वरी काली मंदिर में पूजा के पहले 108 महिलाओं ने कलशयात्रा निकाली. लाल वस्त्र में सजी महिलाएं दरभंगा हाउस स्थित काली घाट से कलश में गंगा जल भर कर वापस मंदिर तक पहुंचीं और फिर मंदिर परिसर में पं शशि जी द्वारा कलश स्थापित की गयी. काली मंदिर के उपाध्यक्ष डोमन राय और देवेंद्र प्रसाद, उमेश कुमार आदि ने बताया कि 108 कलशों की स्थापना 75 साल से ज्यादा प्राचीन काली मंदिर में की गयी है.
महावीर मंदिर में दो जगहों पर कलश स्थापित किया गया. पहले तल्ले पर स्थित दुर्गा मंदिर के पास और ग्राउंड फ्लोर पर भी पंडाल बनाकर पूजा शुरू हो गयी है. पंडित जटेश झा की अगुआई में तीन यजमानों द्वारा पूजा करायी जा रही है. महावीर मंदिर के पं भवनाथ झा ने बताया कि जो घर में कलश स्थापना नहीं कर पाये उनके लिए यह व्यवस्था की गयी. यहां दुर्गा सप्तशती का पाठ प्रतिदिन होता है. कंकड़बाग के जलेश्वर महादेव मंदिर में भी विधान के साथ कलश स्थापित हुई.
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