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एनजीओ द्वारा संचालित योजनाओं का हो रहा सर्वे
पटना : बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों के कल्याण के लिए एनजीओ द्वारा संचालित की जा रही योजनाओं पर समाज कल्याण विभाग की पैनी नजर है. बुजुर्गों के लिए संचालित की जा रही योजना सहारा हो या फिर मानसिक रूप से विक्षिप्त महिलाआें के लिए अासरा या फिर बच्चों के लिए चलाया जा रहा चिल्ड्रेन होम. […]
पटना : बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों के कल्याण के लिए एनजीओ द्वारा संचालित की जा रही योजनाओं पर समाज कल्याण विभाग की पैनी नजर है. बुजुर्गों के लिए संचालित की जा रही योजना सहारा हो या फिर मानसिक रूप से विक्षिप्त महिलाआें के लिए अासरा या फिर बच्चों के लिए चलाया जा रहा चिल्ड्रेन होम. एनजीआे द्वारा संचालित सभी योजनाओं का सर्वे विभाग करा रहा है, ताकि उनकी स्थिति में सुधार किया जा सके.
इसकी जिम्मेदारी टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस की इकाई ‘कोशिश’ को दी गयी है. यह अब बिहार भर में संचालित वैसी योजनाआें की मॉनीटरिंग करेगी, जिनका संचालन गैर सरकारी संस्थाओं के जरिये किया जा रहा है. विभाग की मानें, तो बिहार भर में समाज कल्याण विभाग की ओर से 200 से अधिक योजनाओं का संचालन किया जा रहा है. इसके लिए सरकार करोड़ों रुपये खर्च भी कर रही है. पर कई योजनाओं की खानापूर्ति सिर्फ कागजों पर ही हो रही है. ऐसे में अब उन योजनाओं की जांच करायी जा रही है.
ताकि कार्यरत एनजीआे की रिपोर्ट तैयार की जा सके. इसकी शुरुआत पटना जिले से ही की गयी है. कोशिश नाम की संस्था द्वारा प्रत्येक होम में विजिट कर रिपोर्ट तैयार करने का काम शुरू कर दिया गया है.
कुछ महीने पहले बाल संरक्षण आयोग की ओर से चार प्रमंडलों में संचालित चिल्ड्रेन होम, पर्यवेक्षण गृह और खुला आश्रय का दौरा किया गया था. इनमें मुंगेर, भागलपुर, पूर्णिया और कोशी प्रमंडल में संचालित सभी होम का विजिट किया. इसमें पाया गया कि बच्चों से काम कराया जाता है, खाना बनवाने और बर्तन धुलवाने, ऊमस भरी कोठरी में बच्चों को रखे जाने की बात सामने आयी थी.
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