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BIHAR : जानिए क्यों IGIMS के डेढ़ दर्जन डॉक्टरों की बहाली पर उठ रहे सवाल
दो अधिवक्ताओं ने स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय व डायरेक्टर से लिखित में की है शिकायत आनंद तिवारी पटना : इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आईजीआईएमएस) में लगभग डेढ़ दर्जन से अधिक डॉक्टर व नर्सों की बहाली पर सवाल उठे रहे हैं. गलत ढंग से हुई इस बहाली को लेकर कई सामाजिक कार्यकर्ता व अधिवक्ताओं ने स्वास्थ्य […]
दो अधिवक्ताओं ने स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय व डायरेक्टर से लिखित में की है शिकायत
आनंद तिवारी
पटना : इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आईजीआईएमएस) में लगभग डेढ़ दर्जन से अधिक डॉक्टर व नर्सों की बहाली पर सवाल उठे रहे हैं. गलत ढंग से हुई इस बहाली को लेकर कई सामाजिक कार्यकर्ता व अधिवक्ताओं ने स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे व अस्पताल के डायरेक्टर से लिखित में शिकायत की है. शिकायत में कहा गया है कि मनमाने ढंग से आरक्षण के नियमों की अनदेखी कर बहाली की गयी है. बिना अनुभव के ही अपने चहेतों को मनचाहे पद पर प्रोमोशन दिया गया है.
रिजर्व कोटा में दूसरे कोटा की बहाली :आईजीआईएमएस में डॉक्टर, प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर सहित कई ऐसे पद हैं जिसे रिजर्व कोटा में रखा गया था. इस कोटे में सामान्य व ओबीसी जाति के पदों पर बहाली होनी थी. लेकिन, इस नियम का पालन नहीं कर अन्य कोटे के डॉक्टरों की बहाली की गयी है. साथ ही यह भी आरोप लगा है कि इनका अनुभव भी तय नियम के अनुसार नहीं है. जिसका विरोध अस्पताल के रिजर्व कोटे वाले डॉक्टरों ने भी किया है.
शिकायत के बाद गठित हुई थी टीम, कार्रवाई नहीं हुई : डॉक्टर, नर्स और टेक्निशियन की गलत बहाली सहित 14 प्वाइंटों पर शिकायत दर्ज करायी गयी थी.
इसके बाद स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव प्रदीप कुमार झा की देखरेख में 2 अगस्त, 2016 को तीन सदस्यीय टीम गठित की गयी. जिसकी पत्रांक संख्या 1031 (1/स्वास्थ्य विभाग 3 अगस्त, 2016) है. इस टीम में प्रदीप कुमार झा, अपर सचिव, अनिल कुमार उप सचिव स्वास्थ्य विभाग और शिव नंदन प्रसाद सदस्य के रूप में शामिल हैं. 14 प्वाइंटों में प्वाइंट नंबर 6 पर डॉक्टर, नर्स व टेक्निशियन की बहाली मामले की जांच की जा रही थी. जांच में टीम ने दोषी भी पाया था, लेकिन अब तक कार्रवाई नहीं हो सकी है.
आइजीआइएमएस के डायरेक्टर डॉ एनआर विश्वास से जब बात की गयी तो उन्होंने बताया कि मै पटना में नहीं हूं. प्रदेश से बाहर हूं. इसलिए आप के सवालों का जवाब नहीं दे पाऊंगा.
क्या कहता है बहाली का नियम
आईजीआईएमएस, दिल्ली एम्स का नियम का पालन करता है. यहां दिल्ली एम्स के नियमानुसार ही डॉक्टरों सहित अन्य कर्मचारियों की बहाली की जाती है. एम्स के नियमानुसार अनुसूचित जाति, जनजाति के पदों पर उन्हें अनुभव आदि में एक साल तक की छूट दी जाती है. लेकिन, संबंधित कोटे में ही दी जाती है. जनरल व ओबीसी के कोटे में बहाली नहीं की जा सकती है. एम्स का यह नया नियम 004 इंप्लाॅयमेंट /2014 के तहत अस्पताल प्रशासन को भी दिया गया है. विज्ञापन भी दिल्ली एम्स ने निकाला था.
क्या-क्या हुईं शिकायतें
25 अगस्त को संतोष कुमार, अधिवक्ता, पटना हाइकोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्री व अस्पताल के निदेशक से गलत बहाली को लेकर लिखित में शिकायत की है16 अगस्त को विपिन कुमार, अधिवक्ता, पटना हाइकोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्री व निदेशक से इस मामले की शिकायत की
5 मई को आरटीअाइ से जानकारी मांगी गयी, लेकिन आधा अधूरा ही जवाब दिया गया. 10 जून, 2016 को सामाजिक कार्यकर्ता शिवशंकर राम नेइस मामले में लिखित मेंशिकायत की.
इनकी बहाली को लेकर शिकायत
एक डॉक्टर को मेडिसिन विभाग का हेड बना दिया गया. इसके लिए 14 सालों का अनुभव होना चाहिए, जबकि उस डॉक्टर का अनुभव 10 साल 8 माह है और ज्यादा अनुभव वाले विभाग में काम कर रहे हैं.
एक डॉक्टर को मेडिसिन विभाग का एसोसिएट प्रोफेसर बना दिया गया, जबकि इनके पास असिस्टेंट प्रोफेसर का अनुभव नहीं है. एमसीआई के अनुसार चा साल का अनुभव होना चाहिए. जबकि इनका एक साल का भी अनुभव नहीं है.
डॉ राजेश कुमार, हेड कैंसर विभाग को दवा कंपनी से सांठगांठ के लिए दोषी माना गया था, लेकिन अब तक कार्रवाई नहीं हुई.
डीन डॉ राघवेंद्र को बनाया गया, जबकि हाइकोर्ट ने डॉ उदय कुमार को बनाने के लिए आदेश जारी किया था. एक डॉक्टर को जनरल सर्जरी का एडिशनल प्रोफेसर बना दिया गया, इसके लिए 10 साल का अनुभव होना चाहिए. जबकि, इनके पास आठ साल का ही अनुभव है.
एक डॉक्टर को संविदा पर हड्डी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर बहाली कर दी गयी.एक डॉक्टर को मेडिसिन विभाग का प्रोफेसर बना दिया गया, जबकि उनके पास अनुभव कम था.
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