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BIHAR : गांधी मैदान में अदा की नमाज, मांगी खुशहाली और तरक्की की दुआ

गांधी मैदान में अदा की गयी मुख्य नमाज कुर्बानी के बाद मजलूमों में हिस्सेदारी वितरित कर मनायी बकरीद पटना : मकासिद जिनके ऊंचे और ऊंचा वक्त होता है, जमाने में उसी का इम्तहां भी सख्त होता है. इस जुमले को हकीकत और अमली शक्ल देने का काम किया पैगंबरे इस्लाम हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने. आज […]

गांधी मैदान में अदा की गयी मुख्य नमाज कुर्बानी के बाद मजलूमों में हिस्सेदारी वितरित कर मनायी बकरीद
पटना : मकासिद जिनके ऊंचे और ऊंचा वक्त होता है, जमाने में उसी का इम्तहां भी सख्त होता है. इस जुमले को हकीकत और अमली शक्ल देने का काम किया पैगंबरे इस्लाम हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने.
आज भी दुनियां के हर कोने में इस मौके पर मुसलमान फरमाने खुदाबंदी पर लब्बैक कहने वाले उस अजीम हस्ती की याद को ताजा करने का काम करते आ रहे हैं. कुर्बानी, त्याग व बलिदान का त्योहार ईद-उल-अजहा भाईचारे व सौहार्द के बीच हजरत इब्राहिम को इसी तरह याद करते हुए संपन्न हुआ. राजधानी में सुबह लोगों ने गांधी मैदान के साथ विभिन्न ईदगाहों व मस्जिदों में ईद-उल-अजहा की नमाज अदा की और एक दूसरे के गले मिले.
पटना के गांधी मैदान में बकरीद के अवसर पर मुख्य नमाज अदा की गयी. लगभग 20 हजार से अधिक लोग मुख्य नमाज अदा की. इस मौके पर लोग बकरीद की नमाज अदा कर अमन-चैन और खुशहाली की दुआ मांगी.
गांधी मैदान के मौलाना मसूद नदवी ने लोगों को ईद-उल-अजहा की नमाज अदा करवायी. नमाज खत्म होने के बाद लोगों ने एक-दूसरे से गले मिलकर ईद-उल-अजहा की मुबारकबाद दी. पर्व को लेकर अन्य सभी मस्जिदों में विशेष खुतबे का आयोजन किया गया था. जिसे लोगों ने ध्यान पूर्वक सुना. नमाज को लेकर शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए सभी मस्जिदों के बाहर पुलिस प्रशासन का बेहतर इंतजाम था.
नमाज अदा करने के बाद बकरों की दी गयी कुर्बानी : इसके पहले कुर्बानी के जानवर को नहाया और उसके बाद स्वयं नहा धोकर कर नये-नये कपडे पहने और इतर- शुर्मा आदी लगाकर मस्जिदों की ओर रवाना हो गये.
सबसे ज्यादा खुशी बच्चों में देखी गयी. वे भी अपने बड़ों के साथ नये कपडे पहनकर सर पर टोपी लगाये उनके साथ जाते हुए दिखे. मस्जिद पहुंच कर लोगों ने ईद-उल-जोहा की नमाज अदा की और सूबे में तरक्की-शांति के लिए दुआएं मांगी. घर पहुंचने के बाद लोगों ने अल्लाह तबारक ताला की राह में खस्सी की कुर्बानी दी और वितरित की. वहीं शाम के समय में विभिन्न धर्मों के लोगों ने अपने मुस्लिम बंधुओं के घर जाकर बकरीद की मुबारक दी और पकवान खाये.
परिवार के साथ गरीबों के बीच खुशियां बांटकर मनायी बकरीद
कंकड़बाग के एकता फेमिली में बकरीद की खुशियां सुबह से ही झलक रही थी. अहले सुबह जागने के बाद परिवार के सदस्य फ्रेश होने के बाद नये कुरते और वस्त्र पहनकर इत्र मांगते हैं. इसके बाद गाड़ी मंगाकर सभी गांधी मैदान रवाना हो जाते हैं.
काजी नसीम एकता, काजी नकीब एकता, काजी शकील एकता और काजी आसिफ एकता गांधी मैदान पहुंचकर नमाज अदा करते हैं और सभी को बधाई देने के बाद जब वापस लौटते हैं तो पूरा मुहल्ला जमा हो जाता है.
एक दूसरे से गले मिलने के बाद बधाईयों का संदेश जारी रहता है. इसके तुरंत बाद बकरे की कुर्बानी की रस्म पूरी होती है. तीन हिस्से लगाये जाते हैं और एक हिस्सा घर में रख कर दूसरा पड़ाेसियों को तीसरा वंचितों को देने के लिए रख लिया जाता है.
ग्रेल, किमामी सेवई, काबुली चना व पनीर के व्यंजन बनाये
इस बीच गांधी मैदान के पास सब्जीबाग में खान परिवार के घर पर भी पूरी व्यवस्था रहती है. रूकैया खान सानिया एजाज खान, जोया एजाज खान, यासमीन खान और हरीश खान भी बकरीद की खुशियां साथ में मना रहे होते हैं.
हरीश काफी दिनों के बाद परिवार में आया है तो यह मौका दोहरी खुशी का होता है. जोया कहती हैं कि यह पर्व हमें सैक्रिफाइश सीखाता है. कुर्बानी में सबसे ज्यादा हक़ ग़रीबों का होता है, हर क़ुर्बानी में तीन हिस्सा ग़रीबों दान किया जाता है, सिर्फ़ एक हिस्सा आपका होता है.
हमें घर के सभी बच्चों का ध्यान रखना होता है, कुछ कमी ना रह जाए इसका ख़ास ध्यान रखना होता है. घर में मांसाहारी के अलावे ग्रेल, किमामी सेंवई, क़ाबली चना एव पनीर के व्यंजन बनाये गये थे. शिर्माल और बखरखानी ज्यादातर लोगों की पहली पसंद थी.

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