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नि:शक्तों के लिए बनेगा अलग निदेशालय
सरकार ने समाज कल्याण विभाग को दी अनुमति, तीन करोड़ रुपये का रखा गया है बजट पटना : नि:शक्तों को होने वाली समस्याओं के अविलंब समाधान के लिए अलग निदेशालय का गठन किया जायेगा. इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी समाज कल्याण विभाग को अनुमति दे दी है और इसके अविलंब गठन का निर्देश […]
सरकार ने समाज कल्याण विभाग को दी अनुमति, तीन करोड़ रुपये का रखा गया है बजट
पटना : नि:शक्तों को होने वाली समस्याओं के अविलंब समाधान के लिए अलग निदेशालय का गठन किया जायेगा. इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी समाज कल्याण विभाग को अनुमति दे दी है और इसके अविलंब गठन का निर्देश दिया है. इस पर काम शुरू हो चुका है.
कुछ ही दिनों में यह निदेशालय अपने अस्तित्व में आ जायेगा. इसके लिए फिलहाल तीन करोड़ रुपये का बजट रखा गया है. सूत्रों की मानें तो नि:शक्तों को विभिन्न तरह के कागजात और प्रमाणपत्र प्राप्त करने, अपनी परेशानियों की शिकायत और उनका समाधान कराने से लेकर कई तरह की समस्याओं के लिए कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे. इसके लिए अलग से निदेशालय नहीं होने के कारण उनकी समस्याओं पर खासतौर से ध्यान देने के लिए अलग से काम नहीं हो पाता था. इससे समाधान होने में देरी होती थी.
समाज कल्याण विभाग ने नि:शक्तों की जरूरतों के स्थायी समाधान के लिए अलग से निदेशालय बनाने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री के पास रखा. इस पर विस्तृत चर्चा के बाद अनुमति मिल गयी. इस बारे में सभी वैधानिक प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद जल्द ही इसका गठन हो जायेगा.
नि:शक्तों को विकलांगता प्रमाणपत्र सहित कई तरह के कागजात की समय-समय पर आवश्यकता पड़ती है. साथ ही उनको पढ़ने-लिखने और इलाज सहित कई तरह की सरकारी सुविधाएं भी दी जाती हैं. निदेशालय बनने के बाद इन सभी कामों के लिए अलग से अधिकारी रहेंगे.
ये अधिकारी केवल नि:शक्तों से जुड़ी समस्याओं के समाधान संबंधी कामकाज ही देखेंगे. इसका सीधा लाभ यह होगा कि उन्हें समय पर उचित सहायता और मार्गदर्शन मिल सकेगा.
समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव अतुल प्रसाद ने कहा कि नि:शक्त भी समाज का अभिन्न हिस्सा हैं. विकलांगता के अनुसार इन्हें कई श्रेणियों में बांटा गया है, लेकिन कुल मिलाकर शारीरिक रूप से ये अक्षम होते हैं. इनमें से कई विलक्षण प्रतिभा के धनी भी होते हैं जो समाज, राज्य और देश के विकास में मददगार साबित हो सकते हैं.
ऐसे में इनकी विशेष देखरेख की आवश्यकता है. इनकी समस्याओं के समाधान के लिए अलग निदेशालय की बहुत जरूरत है जिसमें केवल इन्हीं के लिए काम करने वाले समर्पित अधिकारी रहेंगे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अनुमति के बाद इसके गठन की प्रक्रिया जारी है. जल्द ही यह निदेशालय अस्तित्व में आ जायेगा और काम करने लगेगा.
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