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गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना देश और राज्य की बड़ी चुनौती
कार्यशाला में बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष बोले पटना : देश के नौनिहालों को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले तो देश की सारी बुराइयों और कुरीतियों से मुक्ति मिल जायेगी. देश और राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा चुनौती के रूप में सामने आ रही है जिससे हर हाल में निबटना है. यह कहना है बिहार […]
कार्यशाला में बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष बोले
पटना : देश के नौनिहालों को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले तो देश की सारी बुराइयों और कुरीतियों से मुक्ति मिल जायेगी. देश और राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा चुनौती के रूप में सामने आ रही है जिससे हर हाल में निबटना है.
यह कहना है बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष केदार नाथ पांडेय का. वे शनिवार को अखिल भारतीय माध्यमिक शिक्षक संघ, अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ और नेशनल कोएलिशन ऑफ एजुकेशन के संयुक्त तत्वावधान में जमाल रोड स्थित कार्यालय में यूनाइटेड नेशंस द्वारा निर्धारित लक्ष्य सतत विकास 2030 के तहत चौथे श्रेणी में शामिल शिक्षा विषय पर आयोजित कार्यशाला में बाेल रहे थे. मौके पर अखिल भारतीय माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव इंद्र शेखर मिश्र, नेशनल कोएलिशन ऑफ एजुकेशन के राज्य समन्वयक रितु, बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के मीडिया प्रभारी अभिषेक कुमार, सोसाइटी फॉर चाइल्ड राइट्स के मुख्तार अली, बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के परीक्षा सचिव देववंश, पटना प्रमंडल माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव चंद्र किशोर, पटना जिला माध्यमिक शिक्षक संघ के सचिव सुधीर कुमार समेत अन्य उपस्थित रहे.
3.4 करोड़ बच्चे अब भी स्कूल से वंचित हैं
राज्य अपीलीय प्राधिकार के अध्यक्ष उमेश नारायण पांजियार के कहा कि बिहार में जहां शिक्षा के विकास को लेकर अनेकों समस्याएं हैं. इस कार्यशाला के माध्यम से देश के शिक्षा नीति बनाने में तथा कार्यान्वयन में काफी मदद मिलेगी. नेशनल कोएलिशन ऑफ एजुकेशन के राष्ट्रीय संयोजक रामाकांत राय ने कहा कि सितंबर 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन में दुनिया के सभी 193 सदस्य देशों ने सतत विकास के लिए शिक्षा 2030 तक नयी वैश्विक विकास रूपरेखा को अपनाया है.
इसमें कुल 17 सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) हैं, जिनमें सतत विकास लक्ष्य-4 भी शामिल हैं, जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात करता है. उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य है कि भारत में अभी भी 2011 की जनगणना के हिसाब से 3.4 करोड़ बच्चे शिक्षा से वंचित हैं. एजुकेशन फॉर ऑल के इस अधूरे लक्ष्य को पूरा करना हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए
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