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भ्रष्टाचार का है मामला : इडी के सहायक निदेशक को सीबीआइ ने किया गिरफ्तार

पटना: सीबीआइ ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (इडी) के सहायक निदेशक शशि शेखर को पद का दुरुपयोग करने और भ्रष्टाचार से जुड़े अन्य आरोपों के मामले में गिरफ्तार कर लिया है. वर्तमान में उनकी पदस्थापना विशाखापट्टनम में है. इससे पहले वह पटना में ही पदस्थापित थे और हाल में ही रिलीव हुए […]

पटना: सीबीआइ ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (इडी) के सहायक निदेशक शशि शेखर को पद का दुरुपयोग करने और भ्रष्टाचार से जुड़े अन्य आरोपों के मामले में गिरफ्तार कर लिया है. वर्तमान में उनकी पदस्थापना विशाखापट्टनम में है. इससे पहले वह पटना में ही पदस्थापित थे और हाल में ही रिलीव हुए थे. अपनी रिलीविंग के चक्कर में वह अभी पटना आये हुए थे. इसी दौरान उनकी गिरफ्तारी पटना से की गयी और फ्रेजर रोड स्थित उनके फ्लैट की तलाशी भी सीबीआइ की टीम ने ली है.

इनके साथ पटना के एक अन्य व्यक्ति दिलीप को भी गिरफ्तार किया गया है. इसके जरिये ही इन्होंने रुपये लिये हैं. अधिकारी के खिलाफ सीबीआइ की पटना इकाई में ही एफआइआर दर्ज की गयी है. इन पर गलत तरीके से कमाये लाखों रुपये को कोलकाता स्थित एक निजी कंपनी मेसर्स सेट स्कवायर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड के मालिक राज कुमार अग्रवाल से 10 लाख रुपये किसी मामले में पैरवी करने के लिए गलत तरीके से लिये गये थे.

ये रुपये इसी कंपनी के पटना स्थित प्रतिनिधि दिलीप के जरिये लिये गये थे. अवैध तरीके से लिए इन रुपये को फिर इसी निजी कंपनी के मालिक के जरिये पार्क भी किया गया था. इनकी लेन-देन से जुड़ा पूरा सबूत सीबीआइ को मिल गया है. इसके अलावा सहायक निदेशक ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए कई दूसरे तरीकों से काफी रुपये कमाये हैं.

अवैध तरीके से लिये गये इस रुपये को दिलीप के माध्यम से ही आरके अग्रवाल ने भेजवाया था. इसके बदले में इडी के सहायक निदेशक को कंपनी निदेशक ने कई स्तर पर अवैध तरीके से फायदा पहुंचाया था. किन-किन स्तर पर किस तरह का फायदा पहुंचाया गया था, उसकी गहन जांच सीबीआइ कर रही है. इसके बाद ही पूरी स्थिति स्पष्ट हो पायेगी. जांच के मुताबिक, फर्जी कंपनियों के माध्यम से ब्लैक मनी को व्हाइट करने के खेल में इस कंपनी की भूमिका अहम थी. इस मामले की जांच में फायदा पहुंचाने के लिए सहायक निदेशक को घूस में लाखों रुपये दिये जा रहे थे. जांच में यह बात भी सामने आयी है कि इडी अधिकारी को जो रुपये मिले हैं, उसके साथ एक ब्लैंक चेक भी दिया गया था. इसके अलावा जिस एकाउंट से पैसे का लेन-देन हुआ है, उसमें दो लाख रुपये से ज्यादा कैश से ट्रांजैक्शन भी हुआ है. आयकर नियमों के अनुसार भी 1 अप्रैल 2017 के बाद से यह लेन-देन पूरी तरह से गैर-कानूनी है

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