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जिला पर्षदों में 79 फीसदी पद हैं रिक्त : सीएजी
रिपोर्ट में पटना नगर निगम के कामकाज पर भी सवाल उठाया गया पटना : भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के स्थानीय निकाय का मार्च 2016 के समाप्त हुए वित्तीय वर्ष की रिपोर्ट विधानसभा में पेश की गयी. सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि राज्य के जिला पर्षदों में पर्याप्त संख्या में कर्मचारी नहीं […]
रिपोर्ट में पटना नगर निगम के कामकाज पर भी सवाल उठाया गया
पटना : भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के स्थानीय निकाय का मार्च 2016 के समाप्त हुए वित्तीय वर्ष की रिपोर्ट विधानसभा में पेश की गयी. सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि राज्य के जिला पर्षदों में पर्याप्त संख्या में कर्मचारी नहीं हैं.
जनवरी 2017 तक स्वीकृत पद के एवज में 79 फीसदी पद रिक्त था. बक्सर और सुपौल में तो स्वीकृत पद के एवज में 10 फीसदी लोग ही कार्यरत थे. पंचायत सचिवों का पद भी रिक्त हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च, 2016 तक स्वीकृत 8397 पद के विरुद्ध 3160 पद रिक्त था. इसके अलावा जनवरी 2017 तक वित्तीय वर्ष 2007-16 की अवधि का 6924.71 करोड़ का उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं दिया गया.
यह भी सवाल उठा है कि चतुर्थ वित्त आयोग ने जिला परिषद, पंचायत समिति व ग्राम पंचायतों को क्षमता संवर्द्धन के लिए 15 लाख, एक लाख और दो लाख दिये जाने की अनुशंसा की थी. 2010-15 के बीच 901.35 करोड़ की जगह तीन साल (2011-14) के लिए केवल 538.11 करोड़ जारी किया गया. पटना जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक आठ मंजिले एनेक्सी भवन की वर्तमान स्थिति में बदोबस्त किये जाने से सितंबर 2011 से अगस्त 2016 को दौरान किराया के रूप में 3.78 करोड़ की हानि हुई.
14वें वित्त आयोग की राशि समय पर सरकार द्वारा जारी नहीं किये जाने से ग्राम पंचायतों को 8.12 करोड़ ब्याज के रूप में भुगतान किया गया. सीएजी ने पटना नगर निगम के कामकाज पर भी सवाल उठाया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2009 से 2016 को दौरान 17 पार्कों के निर्माण के लिए 11.56 करोड़ रुपये जारी किये गये. इसमें से मात्र 10 पार्क का ही निर्माण हुआ.
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