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अररिया में सेना तैयार करेगी बेली ब्रिज, चालू होगा आवागमन
राहत. पथ निर्माण विभाग ने एक प्रस्ताव केंद्र को भेजा पटना : सीमांचल में बाढ़ से प्रभावित नेशनल हाइवे 327 ई में अररिया के समीप ध्वस्त हुए दो पुल के निर्माण में सेना सहयोग करेगी. सेना द्वारा स्थल पर जाकर स्थिति का आकलन किया गया है. सेना द्वारा बेली ब्रिज बनाकर आवागमन को चालू किया […]
राहत. पथ निर्माण विभाग ने एक प्रस्ताव केंद्र को भेजा
पटना : सीमांचल में बाढ़ से प्रभावित नेशनल हाइवे 327 ई में अररिया के समीप ध्वस्त हुए दो पुल के निर्माण में सेना सहयोग करेगी. सेना द्वारा स्थल पर जाकर स्थिति का आकलन किया गया है. सेना द्वारा बेली ब्रिज बनाकर आवागमन को चालू किया जा सकता है.
पुल की स्थिति को लेकर सेना रिपोर्ट तैयार कर रही है. इस संबंध में पथ निर्माण विभाग ने एक प्रस्ताव केंद्र को भेजा है, जिसमें सेना से सहयोग लेकर बेली ब्रिज तैयार कराये जाने की बात है. आपदा विभाग को इसमें कोर्डिनेशन करने के लिए कहा गया है. सूत्र ने बताया कि ध्वस्त हुए पुल के नये आरसीसी पुल निर्माण में देरी होगी. इससे पहले आवागमन को चालू करने के लिए पुल का होना अनिवार्य है.
अररिया-गलगलिया के बीच 10 जगहों पर पुल-पुलिया क्षतिग्रस्त हुआ है. इसमें अररिया जिले में 81वें किलोमीटर व 86वें किलोमीटर पर स्थित पुल क्षतिग्रस्त हो गया है. इस वजह से आवागमन ठप है. पुल का अधिकांश भाग क्षतिग्रस्त होने के कारण तुरंत उसका दुरुस्त होना संभव नहीं है. नये पुल के निर्माण में काफी समय लगेगा.
विभागीय सूत्र ने बताया कि छह जगहों पर क्षतिग्रस्त पुलिया को दुरुस्त किया जा रहा है. बाढ़ से प्रभावित जिलों में लगभग एक हजार किलोमीटर सड़कों के क्षतिग्रस्त होने का अनुमान है. एनएच 327ई, 104 व 28 के अलावा स्टेट हाइवे व जिला सड़कें क्षतिग्रस्त हुई है. सबसे अधिक क्षति 327ई को हुआ है. इसमें अररिया के समीप दो बड़े पुल सहित आठ छोटे पुलिया क्षतिग्रस्त हुआ है. दोनों बड़े पुल का अधिकांश भाग में कटाव हुआ है. दोनों पुल का पाया ध्वस्त हुआ है. गलगलिया से जोकीहाट तक सड़कें दुरुस्त है. उस पर आवागमन चालू है.
जोकीहाट से अररिया के बीच सड़कें अधिक क्षतिग्रस्त हुई है. बाढ़ से 200 सड़कें जहां-तहां सड़कें क्षतिग्रस्त हुई है. क्षतिग्रस्त सड़कों की क्षति का वास्तविक आकलन पानी घटने के बाद होगा. फिलहाल कम क्षतिग्रस्त सड़कों को दुरुस्त करने का काम शुरू हुआ है. इसके लिए उन जगहों पर सड़क निर्माण सामग्री भेजने की व्यवस्था हो रही है. सीमांचल इलाके सहित बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में सड़कों के क्षतिग्रस्त होने से आवागमन प्रभावित है.
चौबीस घंटे में सीमांचल की मुख्य सड़कों पर बहाल होगा यातायात
सीमांचल के सभी महत्वपूर्ण सड़कों पर अगले चौबीस घंटे में आवागमन बहाल होगा. इसके लिए क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत का काम तेजी से हो रहा है. पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव ने अगले चौबीस घंटे के भीतर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में आवागमन को लेकर सड़कों की मरम्मत का काम तेजी से करने के संबंध में निर्देश दिये हैं.
उन्होंने कहा कि कार्य के तुरंत संपादन में किसी नियम या निर्देश में संशोधन की आवश्यकता हो तो नियमानुसार तत्काल कार्यवाही सुनिश्चित करें. ओपीआरएमसी पर मरम्मत हो रहे सड़कों को एजेंसी के जरिये काम कराया जा रहा है. शेष सड़कों की मरम्मत के लिए संबंधित कार्यपालक अभियंताओं को राशि उपलब्ध करायी गयी है.
बाढ़ से प्रभावित सीमांचल के किशनगंज-बहादुरगंज, बहादुरगंज-टेढ़ागाछी, बहादुरगंज-दिग्घल बैंक, किशनगंज-बलवगा, अररिया-कुर्साकाटा-सिकटी, जोकीहाट-पलासी मार्ग पर आवागमन चौबीस घंटे के भीतर चालू हो जायेगा. बाढ़ के कारण सड़कों की हुई क्षति के संबंध में पुनर्स्थापना को लेकर ‘स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिडयोर’ निर्गत कर सभी क्षेत्रीय अभियंताओं को अवगत कराया गया है.
मंत्री ने सड़कों की मरम्मत की कार्ययोजना के बारे में कहा कि पानी कम होने पर कटान के स्थानों को बालू से भरी बोरियां, ईंट के टुकड़ों व ह्यूम पाइप से भरा जा रहा है. ताकि सड़कों पर आवागमन चालू हो सके. जहां कटान बड़े आकार में हैं वहां बांस का पाइलिंग कराकर सैंड बैग, ह्यूम पाइप व ईंट के टुकड़ों/जीएवी से भरा जा रहा है. वे राज्य के विभिन्न भागों में उत्पन्न बाढ़ से सड़कोें की हुई क्षति के बारे में विभागीय अधिकारियों से निरंतर जानकारी ले रहे हैं. एनएचएआइ, एनएच के अधिकारी क्षेत्र में रहकर कार्य संपन्न करा रहे हैं.
मंत्री ने अररिया, पूर्णिया, किशनगंज एवं अन्य जिलों के महत्वपूर्ण संपर्कता वाले रूटों में प्राथमिकता के आधार पर यातायात को बहाल करने का निर्देश दिया है.
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अल्प अवधि की लगेगी फसल
बाढ़ से हुए फसल क्षति के आकलन में कृषि विभाग जुट गया है. कृषि मंत्री ने क्षति के आकलन का निर्देश दिया है. इधर विभाग खेती से हुए नुकसान की भरपायी के लिए इन क्षेत्रों में अल्प अवधि की फसल भी लगवायेगा. प्रारंभिक अनुमान के अनुसार किसानों को अबतक दो हजार करोड़ से अधिक की चपत लग चुकी है. बाढ़ से सबसे अधिक धान के फसल को नुकसान हुआ है. कई जगह धान के पौधे गल गये. जरूरत हुई तो इन खेतों में खुरहन विधि से अल्प अवधि की धान की फसल लगायी जायेगा. इसके अलावा तेलहनी फसलों की खेती होगी.
इधर कृषि मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने कृषि विभाग के पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि किसानों को खेती के लिए आवश्यक बीज, उर्वरक आदि समय पर उपलब्ध करायें. उन्होंने रविवार को विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर बाढ़ से हुए नुकसान की स्थिति की समीक्षा की. मंत्री ने कहा कि उत्तर बिहार में आयी विनाशकारी बाढ़ से खेती को हुए नुकसान का सर्वेक्षण युद्धस्तर पर कराया जाये तथा क्षति का आकलन प्रतिवेदन आपदा प्रबंधन विभाग को अविलंब भेजी जा सके.
समीक्षा बैठक में विभाग के विशेष सचिव-सह-प्रभारी प्रधान सचिव रविन्द्र नाथ राय ने कहा कि बाढ़ से फसलों को हुए क्षति का सर्वेक्षण किया जा रहा है. अभी तक लगभग 6.50 लाख हेक्टेयर में फसलों के नुकसान का प्रारंभिक आकलन किया गया है. कृषि निदेशक हिमांशु कुमार राय ने बताया कि बाढ़ प्रभावित जिलों के जिला कृषि पदाधिकारियों को बाढ़ से उत्पन्न स्थिति पर सतत निगरानी रखने का निर्देश दिया गया है.
तथा क्षति के वास्तविक आकलन के लिए पूरे कृषि प्रसार तंत्र को लगाया गया है. बाढ़ का पानी निकलते ही आवश्यकतानुसार किसानों के लिए वैकल्पिक खेती की व्यवस्था सुनिश्चित की जायेगी इसके लिए प्रारंभिक तैयारी कर ली गयी है.
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