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शौचालय निर्माण धांधली : पांच साल में बनने थे 48 हजार शौचालय, पर बने मात्र 5000, नहीं मिला अनुदान

जिन्होंने शौचालय का निर्माण कराया, उनमें से आधे लोगों को भी नहीं मिला अनुदान मोनु कुमार मिश्र बिहटा : स्वच्छता अभियान मिशन बिहटा प्रखंड में एक मजाक बन कर रह गया है. अधिकारियों की उदासीनता के कारण लक्ष्य के पांच साल के बाद भी लगभग 10 प्रतिशत ही शौचालयों का निर्माण हो सका है. हद […]

जिन्होंने शौचालय का निर्माण कराया, उनमें से आधे लोगों को भी नहीं मिला अनुदान
मोनु कुमार मिश्र
बिहटा : स्वच्छता अभियान मिशन बिहटा प्रखंड में एक मजाक बन कर रह गया है. अधिकारियों की उदासीनता के कारण लक्ष्य के पांच साल के बाद भी लगभग 10 प्रतिशत ही शौचालयों का निर्माण हो सका है. हद तो यह है कि जिन लोगों ने शौचालयों का निर्माण कराया भी, उनमें से करीब आधे लोगों को अभी तक अनुदान नहीं मिल सका है. हर घर में शौचालय के निर्माण के लिए स्वच्छता अभियान मिशन के माध्यम से अनुदान की शर्त पर सभी घरों में शौचालय निर्माण के वास्ते हर प्रखंड में सरकारी अनुसेवक और अधिकारियों को निर्देशित किया गया है.
बताया जाता है कि बिहटा प्रखंड में पांच साल पूर्व 2011 में पूर्ण स्वच्छता अभियान के तहत प्रखंड के 26 पंचायतों में करीब 48 हजार घरों में शौचालय निर्माण का लक्ष्य रखा गया था. एनजीओ के माध्यम से प्रखंड में करीब 28 सौ शौचालयों का निर्माण कराया गया था, लेकिन गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखने के कारण 2 अक्तूबर, 2014 से लाभार्थियों को शौचालय का निर्माण प्रखंड समन्वयक की देख-रेख में स्वयं कराने की तथा योजना का अनुदान प्रखंड या जिला से सीधा लाभार्थी के खाते में देने की बात कही गयी.
इसके बाद बिहटा में करीब पांच हजार लोगों ने शौचालयों का निर्माण कराया, लेकिन मात्र 24 सौ लोगों का आवेदन प्रखंड समन्वयक द्वारा लिया गया और उन्हें अनुदान का लाभ मिला. शेष आज भी अनुदान की बाट जोह रहे हैं. लोगों का कहना कि जिन लोगों ने घूस दी, उन्हें ही अनुदान मिला है. दर्जनों लोगों का कहना है कि करीब छह माह पहले शौचालय का निर्माण प्रखंड समन्वयक संजय कुमार के निर्देश पर करवाया था. शौचालय निर्माण के बाद सारी कागजी प्रक्रिया पूर्ण की गयी. लेकिन आज तक अनुदान का भुगतान नहीं हो सका.
बिहटा प्रखंड में शौचालय निर्माण योजना दलालों के हाथ में है. उनके कहे अनुसार काम नहीं करवाते, तो योजना का लाभ नहीं ले सकते. दलाल जैसे-तैसे निर्माण करवा कर लाभार्थी का पैसा निकलवा ले रहे हैं.
राहुल मिश्र, निवासी
शौचालय निर्माण में धांधली की बातें सामने आयीं हैं. मैंने जिलाधिकारी को जांच के लिए लिखा है.
नीरज कुमार राय, प्रखंड विकास पदाधिकारी
12 हजार में बनाया शौचालय, निर्माण ऐसा कि 6000 भी लागत न आये
पटना. गांव में हर घर में शौचालय का निर्माण हो, इसके लिए सरकार की ओर से लोगों को प्रोत्साहन राशि के नाम पर 12 हजार रुपये दिये जाते हैं. सरकार के मानक मॉडल के अनुसार पूरे निर्माण में 9,950 रुपये की लागत आती है. बसौढ़ा गांव के तीन वार्डों (चार, पांच और छह) के लोगों के लिए शौचालय निर्माण के नाम पर सरकार ने रकम आवंटित कर दिया. पर रकम लोगों को नहीं मिल पायी. जनप्रतिनिधि व बिचौलियों ने उनके एकाउंट से पैसे निकालने के बाद खुद रख लिया. उनका कहना है कि शौचालय के निर्माण में 12 हजार की लागत आयी है, जबकि जनप्रतिनिधियों द्वारा ऐसा शौचालय बना दिया गया है की तेज आंधी अाये, तो छप्पर तक उड़ कर दूर चला जाये. जिला प्रशासन के मॉडल के अनुसार वैसा शौचालय 6,000 में बन जायेगा.
पैसा कमाने में बिगाड़ दिया निर्माण
एक गड्ढा तीन फुट का और दूसरा चार फुट गहरा होगा और इसमें एक परिवार के पांच-छह सदस्य शौच के लिये जाते हैं. अगर एक गड्ढा भर जाये, तो उसे बंद कर देना है और दूसरे गड्ढे का उपयोग प्रारंभ कर देना चाहिए. क्योंकि, एक से दो माह के बाद यह एक बढ़िया खाद बन जायेगा. इस खाद में न तो कोई दुर्गंध होगी, न ही कोई हानिकारक जीवाणु होंगे. तब पहले गड्ढा को खोला जाये और दूसरे गड्ढे को बंद कर दिया जाता है. पर इसमें भी धांधली हुई है.
क्या कहते हैं गांववासी
तीन माह में ही शौचालय भरने लगा है. इसलिए हमारे यहां लोग बाहर शौच को जाते हैं.
श्यामा देवी, वार्ड 4
तीन माह पहले जैसे-तैसे शौचालय बनाया गया, लेकिन उसकी हालत अब खराब हो गयी है.
बिमलेश कुमार, वार्ड 4
पैसा नहीं मिला है, एकाउंट में पैसा आया, बस मैंने पैसा निकाला और पैसा किसी और ने ले लिया. ऐसा शौचालय बनाने से अच्छा था कि नहीं बनवाते.
रामनाथ ठाकुर, वार्ड 4

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