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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नेत्रदान करने का किया एलान
इस साल के अंत तक सभी मेडिकल कॉलेज व जिला अस्पतालों में आइबैंक पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों में इस वर्ष के अंत तक आइबैंक खोल दिया जायेगा, ताकि यहां अपनी आंखें दान करने वाले लोगों की कॉर्निया को सुरक्षित स्टोर करके रखा जा […]
इस साल के अंत तक सभी मेडिकल कॉलेज व जिला अस्पतालों में आइबैंक
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों में इस वर्ष के अंत तक आइबैंक खोल दिया जायेगा, ताकि यहां अपनी आंखें दान करने वाले लोगों की कॉर्निया को सुरक्षित स्टोर करके रखा जा सके. इसके अलावा इस वर्ष के अंत तक पटना स्थित आइजीआइएमएस (इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान चिकित्सा संस्थान) में लिवर और पीएमसीएच में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा बहाल करा दी जायेगी.
सीएम रविवार को अंतरराष्ट्रीय अंगदान दिवस के मौके पर दधीचि देहदान समिति की तरफ से विद्यापति भवन में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. सीएम ने इस मौके पर अपनी आंखें दान करने की घोषणा करते हुए कहा कि सभी आम और खास से इसके लिए आगे आने की अपील की. उन्होंने समिति के अधिकारियों से कहा कि इसके लिए वे संबंधित कागजात लाकर उनसे हस्ताक्षर करवा लें.
उन्होंने कहा कि पहले राज्य में किसी मरीज को ब्रेन डेथ घोषित करने की सुविधा किसी अस्पताल में नहीं थी, लेकिन आइजीआइएमएस में यह सुविधा शुरू हो गयी है. इस काम को करने के लिए यहां डॉक्टरों की पूरी एक टीम तैयार हो गयी है. इस तरह की सुविधा अन्य बड़े अस्पतालों में बहाल करने पर विचार किया जा रहा है.
ब्रेन डेथ होने पर मरीज के अन्य सभी अंग काम करते हैं, जो किसी दूसरे मरीजों के काम भी आ सकते हैं. उन्होंने लोगों से नेत्र के साथ-साथ अन्य अंग और देह दान करने के लिए भी आगे आने की अपील की. कहा कि देहदान के इस अभियान का वह पूरी तरह से समर्थन करते हैं. राज्य सरकार इसके लिए हर संभव मदद करेगी. इसके लिए किसी तरह की नयी नियमावली बनाने की जरूरत नहीं है, बल्कि केंद्र में पहले से बनी नियमावली को सिर्फ अपनाना है.
बहुत बड़ा सामाजिक अभियान है यह सीएम ने कहा कि देहदान बहुत बड़ा सामाजिक अभियान है.इसके प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए शराबबंदी, बाल विवाह और दहेज के खिलाफ चलने वाले अभियान के साथ जोड़ कर चलाया जायेगा. उन्होंने कहा कि जीवित नहीं रहने के बाद भी याद किये जायेंगे, यह मूल बात लोगों के मन में बैठाने की जरूरत है, ताकि लोग देहदान और अंगदान के लिए प्रेरित हो सके. मौत के बाद भी अपने अंगों के माध्यम से वह व्यक्ति दूसरे व्यक्ति में अंश के रूप में जीवित रहेंगे. यह सबसे बड़ी बात है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में वर्ष 2015 की तरह ही फिर से कार्य किये जायेंगे. दूसरे चरण में पूरे स्वास्थ्य व्यवस्था को हर स्तर पर दुरुस्त कर दिया जायेगा, ताकि लोगों को मजबूरी में बिहार के बाहर जाकर इलाज नहीं कराना पड़े. स्वेच्छा से कोई बाहर जाना चाहता है, तो जाकर इलाज करवा सकता है.
स्वास्थ्य के अलावा शिक्षा, कृषि, कल्याण समेत प्राथमिकता वाले सभी क्षेत्रों पर खासतौर से ध्यान दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सभी सरकारी अस्पतालों में वर्ष 2006 नवंबर में दो हजार प्रति महीने आते थे, जो वर्तमान में बढ़ कर 11 हजार मरीज प्रति महीने हो गये हैं. इनमें इलाज कराने के लिए आने वाले सभी मरीजों की समुचित देखभाल के लिए सभी तरह की सुविधा मुहैया करा दी जायेगी.
2015 की तरह होगा स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य
जीते जी करें रक्तदान, मरने के बाद नेत्र व अंगदान : मोदी
पटना : डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा कि व्यक्ति को जीते जी रक्तदान और मरने के बाद नेत्र और अंगदान करना चाहिए. दधीचि देहदान समिति के कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि जिस तरह लोग अपनी संपत्ति का दान करते हैं, ठीक उसी तरह देह का भी दान करें. दक्षिण भारत के राज्य अंग और देहदान में काफी आगे हैं.
दो-तीन साल में बिहार भी इसमें आगे हो जायेगा. प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में आइबैंक की स्थापना के साथ ही राज्य के किसी भी बड़े अस्पताल को अंग प्रत्यारोपण केंद्र के रूप में विकसित किया जायेगा. उन्होंने कहा कि स्वभाविक मौत में सिर्फ आंखों का दान किया जा सकता है, जबकि ब्रेन डेथ की स्थिति में अंगों का भी दान हो सकता है.
बिहार में ब्रेन डेथ घोषित करने की व्यवस्था हाल में ही सिर्फ आइजीआइएमएस में शुरू हुई है, जिसे जल्द ही अन्य सभी अस्पतालों में शुरू करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हर वर्ष 12 से 13 हजार लोगों की मौत सड़क दुर्घटना में होती है. अगर इनके अंगों का दान किया जाये, तो बहुत बड़ी समस्या समाप्त हो जायेगी. उन्होंने कहा कि आरएसएस के नानाजी देशमुख और ज्योति बसु ने अपना देहदान किया था. देश के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर प्रत्येक तीन महीने में रक्तदान करते हैं. बिहार में श्रम संसाधन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने अपने पिता का देहदान आइजीआइएमएस में किया था.
स्वास्थ्य मंत्री ने की नेत्रदान की घोषणा
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि देहदान के लिए समाज में जागरूकता पैदा करने की जरूरत है. इस मौके पर उन्होंने नेत्रदान करने की घोषणा की. कार्यक्रम को विधायक संजीव चौरसिया ने भी संबोधित किया. मौके पर मेयर सीता साहू, पूर्व एमएलसी गंगा प्रसाद, डॉ सुभाष प्रसाद, डॉ नीलेश मोहन, डॉ राजीव कुमार समेत अन्य मौजूद थे.
कई सम्मानित
सीएम ने डीएम संजय अग्रवाल को नेत्रदान के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए सम्मानित किया. आइजीआइएमएस के निदेशक डॉ एनआर विश्वास को भी आइबैंक के सफल संचालन के लिए सम्मानित किया. इसके अलावा मुख्यमंत्री ने उन नौ परिवारों को सम्मानित किया, जिनके परिवार वालों ने अंगदान किया है. इनमें मुनेश्वरी देवी, नैना देवी, विमल किशोर श्रीवास्तव, बिहारी शर्मा, भुनेश्वरी देवी, शांति देवी जैन, मनोज अग्रवाल, अनिमेश सैनी और मुन्नी देवी का परिवार शामिल है.
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