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‘अस्मिता की पहचान के लिए संस्कृत जरूरी’
पटना. स्वयं को पहचानने के लिए संस्कृत भाषा का ज्ञान आवश्यक है. संस्कृत भाषा की रोचकता सिद्ध है. यह वैज्ञानिक भाषा है. इसके बगैर देश की संस्कृति के बारे में ज्ञान प्राप्त करना मुश्किल है. सोमवार को महावीर मंदिर के परिसर में संस्कृत दिवस कार्यक्रम में बोलते हुए डाॅ रामविलास चौधरी ने संस्कृत और संस्कृति […]
पटना. स्वयं को पहचानने के लिए संस्कृत भाषा का ज्ञान आवश्यक है. संस्कृत भाषा की रोचकता सिद्ध है. यह वैज्ञानिक भाषा है. इसके बगैर देश की संस्कृति के बारे में ज्ञान प्राप्त करना मुश्किल है.
सोमवार को महावीर मंदिर के परिसर में संस्कृत दिवस कार्यक्रम में बोलते हुए डाॅ रामविलास चौधरी ने संस्कृत और संस्कृति की जानकारी दी. पं मार्कण्डेय शारदेय ने कहा कि स्वरोजगार से संस्कृत को जोड़ने की आवश्यकता है, तभी हम संस्कृत का प्रचार-प्रसार कर सकते हैं.मंच का संचालन करते हुए पं भवनाथ झा ने कहा कि हमारी समृद्ध एवं पुरानी विरासत है, हम किसी भी रूप में हीन नहीं हैं. संस्कृत भाषा हमें वसुधैव कुटुम्बकम का पाठ पढाती है.
वहीं दूसरी ओर, समग्र विकास संस्थान व पाटलिपुत्रा संस्कृत के संयुक्त तत्वावधान में करबिगहिया स्थित स्थानीय फिरोज गांधी महाविद्यालय में संस्कृत दिवस सह शांति देवी स्मृति पुरस्कार वितरण समारोह में पाटलिपुत्रा संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष डॉ मुकेश कुमार ओझा ने कहा कि संस्कृत भारत की आत्मा है. इसके बिना भारत की पहचान संभव नहीं है. ऐसे में केवल एक दिन संस्कृत दिवस मना लेने से इस भाषा का विकास नहीं हो सकता. संस्कृत हमारी संस्कृति है, जो अपने ही देश में उपेक्षा की शिकार हो रहा है.
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