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नदियों की जमीन बेच कर मालामाल हो रहे अधिकारी-माफिया
प्रमोद झा पटना : राज्य में नदियों की जमीन बेच कर अधिकारी व माफिया मालामाल हो रहे हैं. अधिकारी व माफिया की सांठगांठ से नदी की धारा बदलने से निकलने वाली जमीन को रैयती बता कर उसकी धड़ल्ले से बिक्री हो रही है. उस जमीन को किसी-न-किसी सर्वे में छूटी हुई जमीन बता कर उसका […]
प्रमोद झा
पटना : राज्य में नदियों की जमीन बेच कर अधिकारी व माफिया मालामाल हो रहे हैं. अधिकारी व माफिया की सांठगांठ से नदी की धारा बदलने से निकलने वाली जमीन को रैयती बता कर उसकी धड़ल्ले से बिक्री हो रही है. उस जमीन को किसी-न-किसी सर्वे में छूटी हुई जमीन बता कर उसका बड़े पैमाने पर खेल हो रहा है.
इस कार्य में अफसर, अमीन और दलालों की मिलीभगत सामने आ रही है. तीनों के गठजोड़ से जमीन की रजिस्ट्री के बाद उसका आसानी से दाखिल-खारिज भी हो रहा है. पटना सहित छपरा, बेगूसराय, समस्तीपुर, लखीसराय, मुंगेर, नालंदा, खगड़िया, गोपालगंज, बक्सर, मुजफ्फरपुर, पश्चिमी चंपारण में ऐसी जमीन के बारे में पता चला है. पटना, सारण सहित अन्य जिलों में नदियों से निकलने वाली जमीन पर लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है.
नदी की जमीन के सर्वेक्षण के दौरान इस तरह के मामले उजागर हुए हैं. सरकार को ऐसी जमीन के बारे में पता चलने पर जब सर्वेक्षण किया गया, तो पाया गया कि ऐसी जमीन का सर्वेक्षण रिविजनल सर्वेक्षण के समय नहीं किया. इस वजह से इस प्रकार की जमीन का खाता, खेसरा, चौहद्दी, जमीन के प्रकार व स्वामित्व के बारे में कोई रिकॉर्ड नहीं है. नतीजा इसका फायदा अधिकारी व माफिया मिल कर उठा रहे हैं.
अवैध तरीके से हो रही जमीन की जमाबंदी
पटना में एलसीटी घाट के किनारे लगभग 397 एकड़ असर्वेक्षित जमीन है. यह जमीन गंगा नदी की धारा में परिवर्तन होने के कारण बाहर आयी है. सारण में 110 मौजाें में इस प्रकार की जमीन चिह्नित हुई है, जिस पर लोगों ने ईंट भट्ठे खोल रखे हैं. खेत के रूप में अनेक रैयतों ने अवैध दखल कर रखा है.
समस्तीपुर में तीन हजार एकड़ व लखीसराय में दो हजार एकड़ असर्वेक्षित जमीन है. इस पर दखल को लेकर विवाद होता है. असर्वेक्षित या टोपोलैंड से संबंधित अधिकांश जमीन की जमाबंदी अनेक रैयतों के नाम अवैध ढंग से की गयी है. इसके बाद उन जमीन की खरीद-बिक्री होने के बाद दाखिल-खारिज भी हो रहा है.
नदी में जमीन के होने से नहीं हुआ सर्वेक्षण
नदी किनारे की ऐसी जमीन जो नदी के अंदर होने के कारण सर्वे के समय उन जमीन का सर्वेक्षण नहीं हो सका. बाद में नदी की धारा बदलने पर वह जमीन निकली है. अगर ऐसी जमीन का सर्वे नहीं हुआ है, तो वह सारी जमीन असर्वेक्षित या फिर टोपोलैंड है.
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