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हठधर्मिता छोड़ें लालू प्रसाद स्वीकार करें सच्चाई : संजय सिंह

पटना : जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद अपनी हठधर्मिता छोड़े और सच्चाई को स्वीकार करें. वे मान लें कि सीएम नीतीश कुमार की बदौलत ही महागठबंधन को भारी मैंडेट मिला था. नीतीश कुमार ऑन डिमांड नेता हैं. नीतीश को महागठबंधन के नेता बनाने के […]

पटना : जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद अपनी हठधर्मिता छोड़े और सच्चाई को स्वीकार करें. वे मान लें कि सीएम नीतीश कुमार की बदौलत ही महागठबंधन को भारी मैंडेट मिला था. नीतीश कुमार ऑन डिमांड नेता हैं. नीतीश को महागठबंधन के नेता बनाने के लिए लालू से लेकर मुलायम तक ने उनकी चिरौरी की थी. नीतीश कुमार उनके पास नहीं गये थे.

लालू प्रसाद ने अपनी राजनीतिक नैया को डूबते हुए देखा तो उन्होंने महागठबंधन बनाने की कवायद शुरू की. इस महागठबंधन में राजद, कांग्रेस व जदयू को शामिल किया गया. फिर जब नेता चुनने की बारी आयी तो नीतीश कुमार के सामने प्रस्ताव रखा गया कि वह महागठबंधन के नेता बने. उसके बाद नीतीश कुमार ने यह प्रस्ताव स्वीकार किया था. नीतीश कुमार कभी नहीं कहने गये थे कि वह बिहार के सीएम बनना चाहते हैं, उन्होंने तो इस्तीफा दे दिया था, लेकिन लालू प्रसाद और मुलायम सिंह यादव ने जबरदस्ती उनपर सीएम बनने का दबाव बनाया.

और पूरे बिहार में नीतीश कुमार के चेहरे को भुनाया.

संजय सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार की छवि ही थी कि हागठबंधन को 2015 में इस कदर की सफलता मिली थी. नहीं तो 2014 में भाजपा की जो आंधी चली थी उसमें आरजेडी कहां उड़ जाती पता ही नहीं चलता.

वो तो नीतीश कुमार ही थे, जिन्होंने भाजपा की इस आंधी को रोका था और बिहार में अपना परचम लहराया था. लालू प्रसाद काल्पनिक बातों को छोड़कर यथार्थ में बात करें. नीतीश कुमार महागठबंधन के नेता अपनी शर्तों पर बने थे और जब उनसे छल किया जाने लगा तो उन्होंने महागठबंधन को छोड़ दिया. उन्होंने कहा कि पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव सौ चूहे खाकर बिल्ली चली हज को वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं.

करोड़ों-अरबों की अकूत संपत्ति जमा करके अब महात्मा गांधी के रास्ते पर चलना चाहते हैं. उनसे अपील है कि पहले वह अपनी संपत्ति का त्याग करें. उसके बाद चंपारण से अपनी यात्रा शुरू करें. जब तक वह अपने पिता के दिये गये धन का उपयोग करते रहेंगे तब तक उनकी इस यात्रा का कोई मतलब नहीं होगा.

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