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कोलकाता, धनबाद और असम में था दुर्गेश शर्मा का ठिकाना

पटना : पिछले छह सालों से पटना में कुख्यात दुर्गेश शर्मा को भले ही किसी ने नहीं देखा, लेकिन उसकी धाक कभी कम नहीं हुई. बोरिंग रोड चौराहा इलाके में मौजूद बड़े व्यवसायी, वाहन शोरूम के मालिक और राजापुल के दुकानदार उसकी मुट्ठी से कभी आजाद नहीं हो पाये. दुर्गेश शर्मा झारखंड के धनबाद, कोलकाता […]

पटना : पिछले छह सालों से पटना में कुख्यात दुर्गेश शर्मा को भले ही किसी ने नहीं देखा, लेकिन उसकी धाक कभी कम नहीं हुई. बोरिंग रोड चौराहा इलाके में मौजूद बड़े व्यवसायी, वाहन शोरूम के मालिक और राजापुल के दुकानदार उसकी मुट्ठी से कभी आजाद नहीं हो पाये. दुर्गेश शर्मा झारखंड के धनबाद, कोलकाता के पॉश इलाके साल्टलेक और असम में अपना ठिकाना बदल कर खुद को छिपाये रखा.
उसने अपनी फैमिली को तिनसुकिया में शिफ्ट कर दिया था. अपने गुर्गों के जरिये पटना से रंगदारी वसूलता रहा. 2.50 से 3 लाख रुपये महीने की रंगदारी वसूलता था. कुछ डॉक्टर, बिल्डर, बालू के ठेकेदार भी उसे रंगदारी भेजते थे. गिरफ्तारी के बाद करीब पांच घंटे तक एसएसपी मनु महाराज ने उससे पूछताछ की, जिसमें अहम जानकारी हाथ लगी है. पूछताछ में उसने छह लोगों के नाम बताये हैं, जिनके बैंक एकाउंट में उसके द्वारा वसूली गयी रंगदारी का पैसा भेजा जाता था. इसमें जीतू उपाध्याय समेत अन्य लोग शामिल हैं. जीतू झारखंड का रहनेवाला है. अन्य लोग पटना, असम और कोलकाता के हैं. जिन लोगों के नाम पुलिस के हाथ लगे हैं, उनका बैंक एकाउंट पुलिस फ्रिज करवायेगी. अब तक कितने पैसों का टर्नओवर हुआ है, इसका हिसाब पुलिस लेगी.
दुर्गेश शर्मा गैंग के मुनचुन समेत अन्य अपराधियों को सलाखों के पीछे धकेल चुकी पुलिस अब उसके पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने में जुट गयी है. अब तक की जांच में जो कुछ पता चला है उसके हिसाब से पटना, आरा, धनबाद, कोलकाता, असम में उसकी सक्रियता रही है. पुलिस दुर्गेश से जुड़े सभी लोगों की कुंडली तैयार करने में जुट गयी है. पटना में कई लोगों को सूचीबद्ध किया गया है, जो दुर्गेश के लिये काम करते थे या फिर रंगदारी वसूलवाने में मदद करते थे. छापेमारी शुरू हो गयी है. बहुत जल्द गैंग के अन्य अपराधी पुलिस के हत्थे चढ़ जायेंगे.
कुख्यात दुर्गेश शर्मा वर्ष 2000 से पटना मेें सक्रिय है. तब सुल्तान मियां गैंग का लीडर था. दुर्गेश, छोटका संतोष सुल्तान मियां के लिए काम करते थे. इस दौरान बोरिंग रोड इलाके से दोनों ने दो डॉक्टरों का अपहरण किया था. इसमें डॉक्टर भरत सिंह और डॉक्टर रमेश चंद्रा शामिल हैं. दोनों डॉक्टरों से फिरौती ली गयी थी. यहीं से दुर्गेश जरायम की दुनिया में बड़ा चेहरा बनकर उभरा. इसके बाद उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. पटना से लेकर आरा तक उसने करीब तीन दर्जन जघन्य अपराधों को अंजाम दिया. वर्ष 2010 में आरा टाउन में मौजूद ओरियंटल बैंक में 26 लाख रुपये की डकैती कर दुर्गेश ने हड़कंप मचा दिया था.
इसके बाद दुर्गेश की तलाश तेज हो गयी थी. उसे पटना पुलिस ने दिल्ली के मालवीय नगर से गिरफ्तार किया था. लेकिन, वह वर्ष 2011 में हाइकोर्ट से फर्जी दस्तावेज लगाकर जमानत लेने में सफल हो गया था.दुर्गेश से लंबी पूछताछ हुई है. उसने अपने गुनाह कबूल किया है. आगे की जांच जारी है. इसके पास फर्जी दस्तावेज मिले हैं. कोतवाली थाने में धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ है. उसे जेल भेज दिया गया है.
मनु महाराज, एसएसपी, पटना

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