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बीमार कर सकता है ब्रेथ एनलाइजर : एक के मुंह से निकाल कर और दूसरे में डाल रहे है पुलिस
नितिश पटना : पटना पुलिस इन दिनों शराबियों को पकड़ने के लिये अल्कोहल ब्रेथ एनलाइजर का इस्तेमाल कर रही है. अगर किसी ने शराब पी रखी है, तो फिर इस एनलाइजर की मदद से शरीर में अल्कोहल के अंश की आसानी से जानकारी ली जा सकती है. पटना पुलिस को करीब 100 ब्रेथ एनलाइजर पुलिस […]
नितिश
पटना : पटना पुलिस इन दिनों शराबियों को पकड़ने के लिये अल्कोहल ब्रेथ एनलाइजर का इस्तेमाल कर रही है. अगर किसी ने शराब पी रखी है, तो फिर इस एनलाइजर की मदद से शरीर में अल्कोहल के अंश की आसानी से जानकारी ली जा सकती है.
पटना पुलिस को करीब 100 ब्रेथ एनलाइजर पुलिस मुख्यालय से मिला है और किसी थाने को दो तो किसी थाने को एक ब्रेथ एनलाइजर मिला है. पटना पुलिस इस एनलाइजर की मदद से चौक-चौराहों पर अभियान भी चलाया जा रहा है.
लेकिन, इस ब्रेथ एनलाइजर में लगे ब्रेथ कीप को साफ नहीं किया जा रहा है. बल्कि, अगर एक व्यक्ति की जांच हो गयी, तो फिर तुरंत ही दूसरे व्यक्ति के मुंह में डाल दिया जाता है. यह नजारा पटना शहर के हर चेकिंग प्वाइंट पर गुरुवार की रात देखा गया.
ब्रेथ कीप को पूरे मुंह में लेकर छोड़ी जाती है सांस : ब्रेथ कीप की बनावट इस तरह की है कि जब तक उसे पूरी तरह मुंह के अंदर लेकर सांस को जोर से नहीं छोड़ा जाये, तो फिर वह एनलाइजर काम नहीं करता है. इसके लिए काफी दम लगा कर सांस को उक्त ब्रेथ एनलाइजर में फूंका जाता है.
ब्रेथ कीप को मुंह में लेने के दौरान व फूंकने के दौरान किसी ने खांस दिया, तो फिर थूक या लार कीप के अंदर चला जाता है और बाहर से भी लग जाता है. लेकिन, इसे साफ करने या धोने के बजाय फिर से उसी अवस्था में इस्तेमाल किया जा रहा है. परेशानी यह है कि जांच के लिए जो ब्रेथ एनलाइजर मिले हैं, उसमें कीप अटैच है. उसे निकाला भी जा सकता है, लेकिन दूसरे ब्रेथ कीप की व्यवस्था नहीं है. खास बात यह है कि प्रतिदिन दर्जनों लोगों को एक ही ब्रेथ कीप से जांच की जाती है.
संक्रमण फैलने का खतरा : ब्रेथ एनलाइजर के इस तरह के उपयोग से एक व्यक्ति का संक्रमण दूसरे व्यक्ति तक पहुंच सकता है. क्योंकि, कई बीमारियां ऐसी है, जो एक दूसरे के संपर्क में आने से फैलती है. चूंकि ब्रेथ एनलाइजर ऑपरेट करने के लिए हर थाने में प्रशिक्षित लोग नहीं है.
थानों में तैनात कांस्टेबल उसका प्रयोग करते हैं. जिसके कारण ब्रेथ कीप की सफाई तक नहीं होती है. चिकित्सकों का भी मानना है कि इस तरह से अगर ब्रेथ कीप का इस्तेमाल किया जा रहा है, तो इसके कारण बीमारियां एक व्यक्ति से दूसरे में ट्रांसफर हो सकती है.
क्या कहते हैं डॉक्टर
पहल के वरीय फिजिशयन डाॅ दिवाकर तेजस्वी से जब इस संबंध में बात की गयी, तो उन्होंने बताया कि ब्रेथ कीप को संक्रमण मुक्त कर ही दूसरे व्यक्ति की जांच की जानी चाहिए. अगर यह नहीं किया जाता है, तो कई तरह की बीमारियां एक से दूसरे में आसानी से स्थानांतरित हो सकती है. अगर एक की जांच कर ली गयी है, तो फिर दूसरा नया ब्रेथ कीप उपयोग में लाया जाना चाहिए, अन्यथा अगर किसी को टीवी का इंफेक्शन हो और उसकी पहले जांच की जायेगी और दूसरे के लिए फिर से नया ब्रेथ कीप का इस्तेमाल या संक्रमण युक्त नहीं किया जायेगा, तो फिर उक्त टीवी की बीमारी उक्त दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकता है.
इसके अलावे स्वायन फ्लू, बैक्टीरियल निमोनिया और फेफड़े की बीमारी एक से दूसरे में स्थानांतरित हो सकती है. डाॅ तेजस्वी का मानना है कि उक्त ब्रेथ कीप को पानी से धोने या पाेछने से भी काम नहीं चलेगा. क्योंकि, संक्रमण युक्त करने के लिये उसे एक खास तापमान की जरूरत होती है और यह सड़क पर संभव नहीं है.
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