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गबन के आरोपित एसबीआइ क्लर्क को 21 साल बाद कारावास

पटना : सीबीआइ एक के विशेष जज मनोज कुमार सिंह की अदालत द्वारा एसबीआइ मुख्य शाखा आरा के तत्कालीन क्लर्क कम-कैशियर भरत मुनि मिश्रा को गबन करने के एक मामले में पांच साल के सश्रम कारावास व 4 लाख 39 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनायी. उक्त मामला सीबीआइ ने 13 नवंबर 1985 को दर्ज […]

पटना : सीबीआइ एक के विशेष जज मनोज कुमार सिंह की अदालत द्वारा एसबीआइ मुख्य शाखा आरा के तत्कालीन क्लर्क कम-कैशियर भरत मुनि मिश्रा को गबन करने के एक मामले में पांच साल के सश्रम कारावास व 4 लाख 39 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनायी. उक्त मामला सीबीआइ ने 13 नवंबर 1985 को दर्ज किया था.
तथा मामले में सीबीआइ ने दिसंबर 1986 में विशेष अदालत में अनुसंधान के पश्चात आरोप पत्र दाखिल किया. अनुसंधान के क्रम में सीबीआइ ने पाया कि अभियुक्त पद का दुरुपयोग करते हुए जमाकर्ताओं का पैसा लेकर उनके पासबुक में इंट्री कर देता था.
लेकिन बैंक के लेजर में इंट्री न कर उस पैसे को अपने पास रख लेता था. उसने जमाकर्ताओं की अनुमति के बगैर फर्जी तरीके से उनके खाते से पैसा निकाले तथा जमाकर्ताओं का जो भी ड्राफ्ट मिलता था, उसे फर्जी तरीके से अपने पक्ष में भुना लेता था. इस प्रकार अभियुक्त ने आठ लाख 21 हजार से अधिक की धनराशि का गबन कर ग्राहकों और बैंक का चूना लगाया.
अदालत में सीबीआइ ने 21 वर्षों में कुल 36 गवाहों से गवाही करवायी. सुनवाई के दौरान अभियुक्त के ऊपर केवल तीन लाख 69 रुपये के गबन को ही साबित किया जा सका. अदालत ने अभियुक्त को भादवि की धाराएं 120 बी 420, 409, 467, 468,477 ए 471 सहपठित धारा 467 भादवि व पीसी एक्ट की विभिन्न धाराओं में दोषी पाते हुए अभियुक्त को उपरोक्त सजा दी. अदालत ने अपने निर्णय में कहा है कि जुर्माने की तीन लाख 69 हजार की राशि अभियुक्त की व्यक्तिगत संपत्ति से जब्त की जायेगी. अभियुक्त के पास संपत्ति नहीं रहने पर अलग से एक साल के साधारण कारावास की अवधि अभियुक्त को व्यतीत करनी पड़ेगी.
पटना. निगरानी एक की विशेष अदालत में टॉपर घोटाला मामले में अभियुक्तों द्वारा दाखिल किये गये आरोप विमुक्ति आवेदन पर बुधवार को सुनवाई हुई.
इसमें सुनवाई के दौरान जेल में बंद पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद, सचिव हरिहरनाथ झा व बच्चा राय समेत जेल में बंद अभियुक्तों को विशेष अदालत में पेश किया गया. उक्त मामले में कुल 32 अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया है तथा एसआइटी अभी भी कुछ अभियुक्तों के खिलाफ अनुसंधान जारी रखे हुए है. मामला आरोप गठन पर चल रहा है. अभियुक्तों ने अाराेप गठन के खिलाफ आरोप विमुक्ति आवेदन दाखिल कर रखा है. इसकी सुनवाई आज गुरुवार को भी जारी रहेगी.

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