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सर्टिफिकेट किसी और का, बीटेक की पढ़ाई कर नौकरी करता है कोई और
जालसाजी. एससी-एसटी के छात्रों के दस्तावेज पर विशाखापट्टनम में नामांकन पटना : एससी-एसटी छात्रों के शैक्षणिक दस्तावेजों पर दूसरे छात्रों का विशाखापट्टनम में स्थित विशाखा इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी कॉलेज में बीएड, बीटेक, बीबीए आदि कोर्सों में नामांकन कराया जा रहा था. यह सारा खेल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर श्रीनिवास की मदद से खेला […]
जालसाजी. एससी-एसटी के छात्रों के दस्तावेज पर विशाखापट्टनम में नामांकन
पटना : एससी-एसटी छात्रों के शैक्षणिक दस्तावेजों पर दूसरे छात्रों का विशाखापट्टनम में स्थित विशाखा इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी कॉलेज में बीएड, बीटेक, बीबीए आदि कोर्सों में नामांकन कराया जा रहा था. यह सारा खेल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर श्रीनिवास की मदद से खेला जा रहा था. इसका खुलासा उस समय हुआ, जब एसएसपी मनु महाराज की ओर से गठित टीम ने फर्जीवाड़ा करनेवाले गिरोह के दो सदस्य मंजीत कुमार पंडित (सीवान) व एमडी अरशद आलम (गया) को गिरफ्तार किया.
उनके पास से कई छात्रों के शैक्षणिक दस्तावेज मसलन मार्कशीट, आय प्रमाणपत्र, जाति प्रमाणपत्र आदि बरामद किये गये. इन दोनों से मिली जानकारी के बाद कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर श्रीनिवास को भी गिरफ्तार कर लिया गया.
पूछताछ में गिरोह के सदस्यों ने बताया कि ये लोग कई वर्षों से यह धंधा कर रहे हैं और जिस छात्र का एडमिशन कराते थे, उससे 50 हजार लेते थे. इसके अलावा भी उन्हें असिस्टेंट प्रोफेसर के माध्यम से कमीशन भी मिलता था. ये अब तक कई युवकों को एससी-एसटी के शैक्षणिक दस्तावेज पर प्रोफेशनल कोर्स में एडमिशन करा चुके हैं और वहां से पढ़ने के बाद कई अभी नौकरी भी कर रहेे हैं.
कैसे पकड़े गये
एसएसपी मनु महाराज को किसी ने जानकारी दी कि श्रीकृष्णापुरी थाने के रामकृष्ण पथ में एक कार्यालय चल रहा है, जहां एडमिशन का फर्जीवाड़ा चल रहा है. इसके बाद एसएसपी ने श्रीकृष्णापुरी थानाध्यक्ष अरविंद कुमार को तुरंत ही कार्रवाई करने का निर्देश दिया. पुलिस उसके कार्यालय में पहुंची, तो काफी संख्या में शैक्षणिक दस्तावेज बरामद किये गये. लेकिन, इन लोगों ने पुलिस को भी उलझा दिया था. इसके बाद थानाध्यक्ष ने अभिषेक नाम के युवक के आवेदन में दिये गये मोबाइल नंबर पर फोन किया, तो वह संजीत का निकला. इसके बाद ही गोरखधंधे का राज खुल गया.
पकड़ा गया मंजीत विशाखा कॉलेज का ही है बीटेक पास : मंजीत उसी विशाखा कॉलेज से बीटेक पास छात्र है. इसी दौरान उसकी जान-पहचान श्रीनिवास से हुई और उसने उसे दिमाग दिया और फिर कॉलेज में पढ़ाई करते हुए आसानी से सेटिंग करने लगा. बीटेक की डिग्री उसने दो साल पहले ली.
एससी-एसटी के दस्तावेज पर ही क्यों कराते थे नामांकन
एससी-एसटी के शैक्षणिक दस्तावेज पर ही यह गिरोह नामांकन कराता था. क्योंकि, एक तो एससी-एसटी के नाम पर हर साल कॉलेज को लगभग एक लाख रुपये का अनुदान प्राप्त हो जाता और वहां वह आसानी से फ्री में पढ़ाई कर लेता था और जब सर्टिफिकेट लेकर निकलता, तो उसकी जाति भी बदल जाती. यानी वह एससी-एसटी के दायरे में आ जाता. जिसके कारण उसे नौकरी प्राप्त करने में भी परेशानी नहीं होती.
ऐसे करते थे गोरखधंधा
यह गिरोह एससी-एसटी छात्रों के रोल नंबर व रोल कोड की जानकारी ले लेते थे. इसके बाद बिहार बोर्ड में आवेदन देकर उनके मार्कशीट निकाल लेते थे. इसके अलावा ऑनलाइन भी मार्कशीट निकाल लेते थे और उसमें नाम, पिता का नाम व अंक उसी तरह छोड़ देते थे और स्कैनिंग कर केवल फोटो बदल देते थे. मसलन सिहार जिला के चमापुर इलाके के रहनेवाले अभिषेक का शैक्षणिक दस्तावेज पुलिस ने बरामद किया है. इसमें इन लोगों ने अभिषेक के मार्कशीट पर संजीत कुमार नाम के युवक का फोटो डाल दिया है. अब संजीत का नाम अभिषेक हो गया और उसके पिता का नाम भी बदल गया.
इसके बाद विशाखा इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में बीटेक में एडमिशन के लिए जो आवेदन फॉर्म था, उस पर उसने अभिषेक ही नाम लिखा और सारी डिटेल अभिषेक वाला ही डाल दिया. यहां तक की पिता का नाम व पता भी वहीं अंकित किया. लेकिन, मोबाइल नंबर संजीत का दे दिया. ताकि, अगर कॉलेज से फोन आये, तो उसे संजीत रिसीव करे. साथ ही आय प्रमाणपत्र व जाति प्रमाणपत्र भी आवेदन के साथ लगा दिया गया है. अब इस आवेदन की जांच की जायेगी कि वह सही है या फिर उसे भी स्कैनिंग व फर्जी हस्ताक्षर कर बनाया गया है.
पूरे आवेदन को विशाखा कॉलेज में भेज दिया जाता और वहां अभिषेक के शैक्षणिक दस्तावेज पर संजीत का एडमिशन हो जाता और वह आराम से अभिषेक के नाम पर चार साल बीटेक की पढ़ाई करता और वहां से कोर्स पूरा करने के बाद बीटेक का सर्टिफिकेट भी प्राप्त कर लेता. यह इतनी चालाकी से किया गया है कि कोई भी इसे नहीं पकड़ सकता है. क्योंकि, अगर कॉलेज या नौकरी के समय किसी प्रकार का सत्यापन के लिये पत्र बिहार बोर्ड या विशाखा कॉलेज में आता, तो सारे सर्टिफिकेट उसके सही निकलते.
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