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डेयरी फार्मिंग से जुड़ेंगे 50 हजार युवा
अभी राज्य में दूध प्रसंस्करण की क्षमता 2560 हजार लीटर प्रतिदिन की है पटना : राज्य के तीसरे कृषि रोडमैप (2017-22) में पशुपालन उसमें भी खासकर दुग्ध उत्पादन पर फोकस किया गया है. अगले पांच साल में दूध उत्पादन को करीब दोगुना करने का लक्ष्य है. साथ ही दूध उत्पादन से बेरोजगार युवाओं को जोड़ा […]
अभी राज्य में दूध प्रसंस्करण की क्षमता 2560 हजार लीटर प्रतिदिन की है
पटना : राज्य के तीसरे कृषि रोडमैप (2017-22) में पशुपालन उसमें भी खासकर दुग्ध उत्पादन पर फोकस किया गया है. अगले पांच साल में दूध उत्पादन को करीब दोगुना करने का लक्ष्य है. साथ ही दूध उत्पादन से बेरोजगार युवाओं को जोड़ा जायेगा ताकि उनको आमदनी का साधन मिल सके. पांच साल में 50 हजार बेरोजगार युवाओं को पशुपालन (डेयरी फार्मिंग) से जोड़ने की योजना है.
कृषि रोड मैप के ड्राफ्ट के अनुसार राज्य में अभी दूध का पर्याप्त उत्पादन हो रहा है. अभी राज्य में 8709.65 एमटी दूध का उत्पादन हो रहा है. इसको 2022 तक बढ़ाकर 15990 एमटी करने की योजना है. दूध उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ दूध के प्रसंस्करण को भी राज्य सरकार बढ़ावा देगी. अभी राज्य में दूध प्रसंस्करण की क्षमता 2560 हजार लीटर प्रतिदिन की है. इसे पांच साल में बढ़ाकर 5070 हजार लीटर रोजाना करने की है. इसके लिए जरूरत के हिसाब से डेयरी प्लांट लगाया जायेगा.
सहकारी तंत्र होगा मजबूत : दूध उत्पादन बढ़ाने से लेकर उसके वितरण और प्रसंस्करण बढ़ाने के लिए सहकारी तंत्र को और मजबूत करने तथा इसके विस्तार करने की योजना है. दूध खरीद से लेकर इसके बिक्री बढ़ाने के लिए कोल्ड चेन निर्माण करने की योजना है.
अभी दूध उत्पादन से जुड़ी 20961 सहकारी संस्था है इसे इस वित्तीय वर्ष के अंततक 22191 और 2022 तक 28191 करने की योजना है. इस दिशा में पर्याप्त काम किया जा रहा है. सहकारी संस्थाओं के जरिये अभी 16.13 लाख किलो दूध प्रतिदिन संग्रहित हो रहा है. चालू वित्तीय वर्ष के अंत तक 17.74 और 2022 तक इसे 25.98 लाख किलो प्रतिदिन करने की योजना है. कोऑपरेटिव के माध्यम से 13.35 लाख किलो दूध की बिक्री हो रही है. इसे चालू वित्तीय वर्ष के अंततक 14.84 और 2022 तक 21.66 लाख किलो प्रतिदिन करने की योजना है.
दूध उत्पादन में बिहार नौवें स्थान पर : बिहार अभी दूध उत्पादन में नौवें स्थान पर है. 2013-14 में राज्य में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन दूध की उपलब्धता 194 ग्राम थी जो 2016-17 में बढ़कर 229 ग्राम हो गयी. यह भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की अनुशंसा से नौ ग्राम अधिक है. परिषद की अनुशंसा 220 ग्राम प्रतिदिन की है.
पिछले दो रोड मैप में भी दूध उत्पादन पर फोकस किया गया था उसमें सफलता भी मिली लेकिन टारगेट के अनुसार काम नहीं हो पाया. टारगेट पूरा करने में जो दिक्कत आयी उसका निदान तीसरे रोड मैप में किया गया है.
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