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प्रसन्नजीत के दो पासपोर्ट मामले में फंसेगी जांच पदाधिकारी की गरदन
पटना : जालसाज प्रसन्नजीत के पास से बरामद किये गये दो पासपोर्ट मामले में जांच पदाधिकारी की गरदन फंसनी तय है. क्योंकि, पुलिस की ओर से जांच की जाती है और फिर ओके करने के बाद ही पासपोर्ट बनने की प्रक्रिया प्रारंभ होती है. आमतौर पर पासपोर्ट में लोकल एड्रेस के साथ ही पैतृक एड्रेस […]
पटना : जालसाज प्रसन्नजीत के पास से बरामद किये गये दो पासपोर्ट मामले में जांच पदाधिकारी की गरदन फंसनी तय है. क्योंकि, पुलिस की ओर से जांच की जाती है और फिर ओके करने के बाद ही पासपोर्ट बनने की प्रक्रिया प्रारंभ होती है. आमतौर पर पासपोर्ट में लोकल एड्रेस के साथ ही पैतृक एड्रेस का जिक्र करना होता है.
लेकिन जांच पदाधिकारी मात्र लोकल एड्रेस की जांच करने के बाद अपनी मुहर लगा देते हैं और फिर वह व्यक्ति आसानी से पासपोर्ट बनवा लेता है. प्रसन्नजीत के मामले में भी ऐसा ही हुआ, उसने एक आवेदन मसौढ़ी के पैतृक गांव से दिया और दूसरा आवेदन गर्दनीबाग इलाके से दिया. न मसौढ़ी पुलिस ने गर्दनीबाग आ कर जांच की और न ही गर्दनीबाग पुलिस ने मसौढ़ी जा कर जांच की.
2007 में जब उसने पासपोर्ट बनवाया था, तो उस समय ऑनलाइन की भी व्यवस्था नहीं थी, जिसके कारण वह पकड़ में नहीं आया और आसानी से दो जगहों से पासपोर्ट बन गया. अब उन दोनों ही पासपोर्टों के आवेदन की जांच किस पुलिस पदाधिकारी ने की, उनके नाम की जानकारी ली जा रही है. उन दोनों पर ही कार्रवाई तय है. एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि सही तरीके से जांच नहीं की गयी, जिससे उसने दो पासपोर्ट बनवा लिये. उन्होंने बताया कि प्रसन्नजीत को रिमांड पर लेकर पूछताछ की जायेगी.
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