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डायलिसिस पर पीएमसीएच, सात मशीनें खराब

बढ़ता मर्ज. सुविधा ठप होने के कारण बाहर महंगी जांच कराने को मजबूर हैं मरीज आनंद तिवारी पटना : दूरदराज से इलाज की आस लेकर आये मरीजों को पीएमसीएच से निराश लौटना पड़ रहा है. 1650 बेडों के इस अस्पताल में सात ऐसी जांच की मशीनें हैं, जो खराब होकर धूल फांक रहीं हैं. इनसे […]

बढ़ता मर्ज. सुविधा ठप होने के कारण बाहर महंगी जांच कराने को मजबूर हैं मरीज
आनंद तिवारी
पटना : दूरदराज से इलाज की आस लेकर आये मरीजों को पीएमसीएच से निराश लौटना पड़ रहा है. 1650 बेडों के इस अस्पताल में सात ऐसी जांच की मशीनें हैं, जो खराब होकर धूल फांक रहीं हैं. इनसे कई गंभीर बीमारियों की जांच होती है. इन उपकरणों की खराबी का सामना मरीजों को करना पड़ रहा है. मरीज अस्पताल से परामर्श लेकर जांच बाहर से करा रहे हैं. जबकि पीएमसीएच में बेहतर इलाज की उम्मीद लेकर पूरे बिहार से मरीजों का आना-जाना होता है. वहीं अस्पताल सूत्रों की मानें, तो अस्पताल के अधिकारियों व बाहर के जांच सेंटरों से मिलीभगत होने के चलते मशीनों को नहीं बनवाया जा रहा है.
बोले जिम्मेवार
पीएमसीएच में मशीनों की जांच करने के लिए बायोमीट्रिक इंजीनियर की नियुक्ति की गयी है. स्किन सहित बाकी के विभाग की मशीनों की जांच करायी जायेगी. खराब मशीनों की लिस्ट बन गयी है, उन्हें जल्द ठीक कराया जायेगा. विकल्प में दूसरी मशीनें मंगवायी जायेंगी.
डॉ लखींद्र प्रसाद, अधीक्षक पीएमसीएच
स्किन विभाग में खराब हैं तीन मशीनें
स्किन विभाग में करीब डेढ़ करोड़ से आइपीएल, एनडी याग एवं आइएंटो फोरेसिस कुल तीन मशीनें खरीदी गयी थीं, लेकिन मेंटनेंस के अभाव में तीनों खराब हैं. इनमें आइपीएल मशीन करीब डेढ़ वर्षों से खराब पड़ी हैं, जबकि एनडी याग व आइएंटो फोरेसिस मशीन छह महीने से खराब है. नतीजा त्वचा संबंधी जांच मरीजों को बाहर से करानी पड़ रही है.
डेढ़ साल से खराब पड़ी हुई हैं डायलिसिस मशीनें
पीएमसीएच में सात डायलिसिस मशीनें जनवरी, 2016 से खराब हैं. 11 में सिर्फ 4 मशीनें ही पूरी तरह से ठीक हैं. किसी में पानी नहीं है, तो किसी की लाइट, स्लाइड और दूसरे पार्ट खराब हैं. मशीन की मरम्मत के लिए सरकार ने एक कंपनी को जिम्मेदारी दी थी, लेकिन आठ महीने का भुगतान नहीं होने से फरवरी, 2017 में कंपनी ने काम करने से इनकार कर दिया.
नहीं होती है कैंसर मरीजों की सिंकाई
पीएमसीएच के कैंसर विभाग में लगी ऑटोएनलाइजर मशीन करीब दो साल से खराब पड़ी है. ऐसे में कैंसर मरीजों की सिंकाई नहीं हो पा रही है. मरीजों को बाहर या फिर आइजीआइएमएस अस्पताल का सहारा लेना पड़ रहा है. अस्पताल अधिकारियों की मानें, तो बजट के अभाव में मशीनों की मरम्मत नहीं हो पा रही है.
एक साल से बंद है टीएमटी जांच मशीन
टीबी एवं चेस्ट विभाग के बगल में बंद पड़े कमरे में रखी टीएमटी (ट्रेड मिल टेस्ट) मशीन एक साल पहले ही पीएमसीएच में लायी गयी, लेकिन आज तक इसे चालू नहीं किया जा सका. जबकि इस मशीन पर मरीज को दौड़ा या चला कर दिल की नसों पर पड़नेवाले जोर को कंप्यूटर पर देख कर रिपोर्ट बनायी जाती है. साथ ही हार्ट अटैक की आशंका एवं दिल की धड़कन की जांच के लिए प्रयोग किया जाता है. इस जांच के लिए मरीज बाहर से 700 से लेकर 1500 रुपये खर्च करते हैं.
बैक्टेक मशीन खराब, एक सप्ताह बाद रिपोर्ट
यूरिन, ब्लड कल्चर व छाती की जांच कराने आ रहे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बैक्टीरियल ऑर्गन जांच के लिए इस्तेमाल की जाने वाली लेटेस्ट बैक्टेक मशीन करीब चार साल से खराब है. ऐसे में मरीजों को प्राइवेट लैब में जाकर 2500 से 3500 रुपये खर्च करना पड़ रहा है. पीएमसीएच में यह जांच नि:शुल्क है. हालांकि अस्पताल वैकल्पिक तौर पर बैक्टीरियल ऑर्गन की जांच रूटीन मैथड से करा रहा है, लेकिन रिपोर्ट के लिए सात दिन बाद बुलाया जा रहा है.

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