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कचरे से बनानी है बिजली कंपनी बना रही सिर्फ पैसा
बैंक लोन में फंसा प्रोजेक्ट, कब शुरू होगा पता नहीं अनिकेत त्रिवेदी पटना : शहर से निकलनेवाले कचरे का निस्तारण व उसके सकारात्मक उपयोग का प्रोजेक्ट हवा में है. कंपनी कचरा से बिजली बनाने के बदले निगम से कचरा खपाने के नाम पर पैसा बना रही है. प्रोजेक्ट कब जमीन पर उतरेगा इसका कोई अता-पता […]
बैंक लोन में फंसा प्रोजेक्ट, कब शुरू होगा पता नहीं
अनिकेत त्रिवेदी
पटना : शहर से निकलनेवाले कचरे का निस्तारण व उसके सकारात्मक उपयोग का प्रोजेक्ट हवा में है. कंपनी कचरा से बिजली बनाने के बदले निगम से कचरा खपाने के नाम पर पैसा बना रही है.
प्रोजेक्ट कब जमीन पर उतरेगा इसका कोई अता-पता नहीं है. लेकिन, लैंड फिल करने का हवाला देकर रामाचक बैरिया मुख्य डंपिंग यार्ड में कचरे से पैसे बनाने का खेल चल रहा है. कंपनी के आने से पहले जहां निगम को स्वयं व लोकल ठेकेदार से कचरा खपाने के लिए लगभग सात लाख रुपये मासिक खर्च लगता था, वहीं अब उसी काम के लिए कंपनी 21 लाख रुपये प्रतिमाह वसूली कर रही है. निगम के अधिकारी नगर विकास व आवास विभाग के माध्यम से बुडको से हुए एग्रीमेंट का हवाला देकर प्रोजेक्ट पर टिप्पणी करने से बच रहे हैं.
अक्तूबर से मार्च तक 12 करोड़ से अधिक का खर्च : पूरे शहर का कचरा संग्रह कर मुख्य डंपिंग यार्ड मेंं निगम की ओर से पहुंचाने के बाद भी कंपनी ने केवल कचरा को वहीं डंप कर और भविष्य में उसमें मिट्टी डालने के नाम पर बीते छह माह में लगभग 12 करोड़ 60 लाख से अधिक का बिल थमा दिया है. जानकारी के अनुसार 16 अक्तूबर, 2016 को कंपनी रामाचक बैरिया में काम करनी शुरू की थी. इसके बाद कंपनी ने जनवरी तक 80 लाख 90 हजार से अधिक का बिल वसूला. जबकि, फरवरी और मार्च के बीच 45 लाख 12 हजार रुपये से अधिक का बिल दिया गया है.
कंपनी व बुडको के बीच एग्रीमेंट भी अजीब है. नाम नहीं छापने की शर्त पर निगम के अधिकारी बताते हैं कि ऐसा एग्रीमेंट कहीं नहीं होता है कि कचरा देने के बाद नगर निगम को प्रति टन के हिसाब से पैसा भी देना है.
शहर से निकलने वाले कचरे से बिजली बनाने का प्रोजेक्ट तीन वर्ष से अधिक पुराना है. इस प्रोजेक्ट पर सुनील हाइटेक कंपनी पटना ग्रीन एनर्जी के नाम से काम कर रही है. बिजली बनाने के लिए प्रतिदिन कंपनी को 600 टन से अधिक कचरे की जरूरत है. वहीं, नगर निगम प्रतिदिन 650 टन की औसत कचरा दे रहा है. इसके बावजूद कंपनी ने अपना प्रोजेक्ट नहीं लगाया है. इसकी लागत 230 करोड़ है. कंपनी के प्रतिनिधि अजीत ने बताया कि अब तक कंपनी को बैंक लोन नहीं मिला है. कई कागजात निगम व बुडको की तरफ से तैयार नहीं हुए हैं, इसलिए सुस्ती है.
प्रति टन अलग-अलग रेट भी है तय
कचरा लेने के लिए अलग-अलग रेट तय है. अगर केवल कचरा को रामाचक में ऐसे ही डंप किया जाता है, तो इसके लिए सौ रुपये प्रति टन का हिसाब है. जब लैंड फिल किया जायेगा, तो कंपनी प्रति टन कचरा दो सौ रुपये लेगी. वहीं, जब बिजली का उत्पादन होगा, तो Rs 330 प्रति टन की दर नगर निगम को देनी होगी.
कचरा देने की जिम्मेवारी केवल नगर निगम की है. प्लांट कब तक शुरू होगा इसके लिए बुडको को कंपनी का काम देखना है. प्रोजेक्ट में देरी होने से संभवत: बुडको की ओर से कार्रवाई की जायेगी.
अभिषेक सिंह, नगर आयुक्त
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