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झारखंड के मुकाबले बिहार में अभी हैं आधे पुलिसकर्मी
पुलिस और पब्लिक अनुपात में बिहार का 33वां रैंक विजय सिंह पटना : बिहार से अलग होकर (15 नवंबर, 2000 को बिहार से अलग हुआ झारखंड ) नये राज्य के रूप में उभरा झारखंड पुलिस स्ट्रैंथ के मामले में बिहार से आगे हैं. पुलिस-पब्लिक अनुपात के आंकड़े के मुताबिक झारखंड के सामने बिहार में आधे […]
पुलिस और पब्लिक अनुपात में बिहार का 33वां रैंक
विजय सिंह
पटना : बिहार से अलग होकर (15 नवंबर, 2000 को बिहार से अलग हुआ झारखंड ) नये राज्य के रूप में उभरा झारखंड पुलिस स्ट्रैंथ के मामले में बिहार से आगे हैं. पुलिस-पब्लिक अनुपात के आंकड़े के मुताबिक झारखंड के सामने बिहार में आधे पुलिसकर्मी हैं. झारखंड में 436 लोगों पर एक पुलिसकर्मी है, तो बिहार में 839 लोगों पर एक पुलिसकर्मी है. वहीं, पड़ोसी राज्य यूपी में 596 लोगों पर एक पुलिसकर्मी है. हालांकि, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और दादर नागर हवेली से बिहार की स्थिति अच्छी है. पश्चिम बंगाल में 918, आंध्र प्रदेश में 875 और दादर नागर हवेली में 1,358 लोगों पर एक पुलिसकर्मी है. सबसे बेहतर स्थिति मणिपुर की है. यहां 80 लोगों पर एक पुलिसकर्मी है.
अनुसंधान होता है बाधित, वक्त पर नहीं हो पाती चार्जशीट
थाने में तैनात दारोगा की कमी होने के कारण अापराधिक घटनाओं का अनुसंधान समय पर नहीं हो पाता है. अतिरिक्त दबाव के कारण कई बार दारोगा केस का अनुसंधान हाथ में लेना ही नहीं चाहते हैं. ले भी लेते हैं, तो तय सीमा के अंदर अनुसंधान पूरा नहीं हो पाता है. केस डायरी नहीं लिखी जाती है. इससे 60 और 90 दिन में होनेवाला चार्जशीट साल भर तक नहीं हो पाता. इसका लाभ कांड के आरोपितों को मिलता है. पुलिस की ओर से चार्ज नहीं किये जाने से न्यायालय से उन्हें जमानत मिल जाती है.
34,000 पुलिसकर्मियों की है कमी
बीपीआरडी के आंकड़े को देखने के बाद एक अनुमानित तौर पर सबसे ज्यादा कमी इंस्पेक्टर से लेकर कांस्टेबल रैंक तक की है. करीब 34 हजार पुलिसकर्मियों की कमी है. बिहार सरकार अगर इन पदों को भर देता है, तो पुलिस विभाग में कछुआ गति से होने वाले में काम तेजी आयेगी.
फोर्स की कमी, नहीं िमल पाती हैं छुट्टियां
होली, दीपावली, दशहरा, ईद, बकरीद, मुहर्रम जैसे त्योहारों पर भी पुलिसकर्मियों को छुट्टियां नहीं मिल पाती हैं. इसके अलावा घर में शादी, दवा, इलाज व अन्य जरूरी मौके पर भी पुलिसकर्मियों को पदाधिकारियों द्वारा अवकाश नहीं दिया जाता है. ऐसे में तनावपूर्ण स्थिति में पुलिसकर्मी काम करते हैं.
सबसे खराब स्थिति : दादर नागर हवेली में 1,358 लोगों पर है एक पुलिसकर्मी
सबसे बेहतर : मणिपुर, यहां 80 लोगों पर एक पुलिसकर्मी
बिहार में अभी जो पुलिस-पब्लिक अनुपात है उसके मुताबिक पुलिसकर्मियों की कमी है. इस कारण पुलिसकर्मियों पर बहुत ज्यादा दबाव है. राष्ट्रीय मानक के अनुसार इस अनुपात को बराबर करना चाहिए.
मृत्युंजय कुमार, अध्यक्ष, बिहार पुलिस एसोसिएशन
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