इंदिरा आवास योजना : पैसा मिलने के बावजूद आवासों का निर्माण अधूराराज्य में 4 लाख 77 हजार ऐसे मामले हैं, जिनका निर्माण अधूरा, सरकार ने लाभुकों को सफेद नोटिस भी किया है जारीसरकार ने पैसा जारी कर दिया, पैसे इंदिरा आवास के लाभुकों के खाते में पहुंच भी गये इसके बावजूद मकान का पूर्ण निर्माण नहीं हो पाया. राज्य में चार लाख 77 हजार ऐसे मामले हैं जिनमें निर्माण अधूरा है. सरकार ने इसके लिए लाभुकों को सफेद नोटिस भी जारी किया है.
कई मामले ऐसे हैं कि जिनमें अफसर और बिचौलियों की मिलीभगत के कारण स्वीकृत पैसों का कुछ ही हिस्सा लाभुकों के खाते में पहुंच पाया. जितने पैसे मिले उसका भी उपयोग नहीं हो पा रहा. विभागीय मंत्री श्रवण कुमार ने भी स्वीकार किया है कि इस वित्तीय वर्ष में भी आवास स्वीकृति लक्ष्य के अनुरूप नहीं हुआ है. ग्रामीण विकास विभाग के कागज बताते हैं कि प्रदेश में केंद्र प्रायोजित इंदिरा आवास के तहत राज्य के गरीबों को मिलने वाले आवासों का निर्माण कभी समय सीमा पर पूरा नहीं होता. आवास पूर्ण नहीं होने की स्थिति में गरीबों को गरमी, सर्दी और बारिश की मार झेलनी पड़ती है.
अधूरे आवासों की स्थिति तो यहां तक हो गयी कि वर्ष 2016 तक अपूर्ण आवासों की संख्या 16-17 लाख तक पहुंच गयी. वर्तमान में करीब सात लाख अपूर्ण आवासों का निर्माण कराना है. आवास निर्माण कार्य नहीं करानेवाले 4 लाख 77 हजार 977 लोगों को सफेद नोटिस जारी की गयी है. अभी इन लोगों ने काम आरंभ नहीं किया है. चेतावनी के रूप में इनको नोटिस भेजी गयी है. इसके साथ ही एक लाख 99 हजार 877 को दूसरी नोटिस जारी की गयी है. 13 हजार 267 पर नीलाम पत्र दायर किया गया है.
इनसे पैसे की वसूली की प्रक्रिया की जा रही है. इंदिरा आवास निर्माण के लिए लाभुकों को 70 हजार सामान्य जिलों को जबकि 75 हजार नक्सल प्रभावित जिलों के लाभुकों को मिलता था. इसमें वित्तीय वर्ष 2012-13 से 2013-14 तक प्रति लाभुक को प्रथम किस्त के रूप में प्रति लाभुक को 35 हजार दिया गया था. इसी तरह से वित्तीय वर्ष 2014-15 और 2015-16 में लाभुकों को प्रति लाभुक 60 हजार की राशि दी गयी है. इन लाभुकों ने अभी तक भवन निर्माण का कार्य ही शुरू नहीं किया है.
पैसा मिला तो दूसरे कामों में कर देते हैं खर्च : इंदिरा आवास योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2012-13 से आवासों के निर्माण की गहन मॉनीटरिंग की जा रही है. इसके पहले इंदिरा आवास का आवंटन और निर्माण की जिम्मेवारी पंचायत सचिव और मुखिया की मनमर्जी पर चलती थी.
आवास निर्माण को लेकर पदाधिकारी सुस्त पड़े तो लोगों ने राशि उठाकर घर का निर्माण नहीं कराकर अन्य कार्यों में खर्च कर दिया. आवास स्वीकृति के बाद पहली किस्त जारी करने के 18 माह के अंदर निर्माण की अवधि निर्धारित की गयी. इसकी कभी गहन मॉनीटरिंग ही नहीं की जाती. इससे यह पता ही नहीं चलता था कि कौन लोग आवासों का निर्माण करा रहे हैं और कौन लोग नहीं. जिला स्तर पर अनुश्रवण की लचर व्यवस्था थी. इसका असर पड़ा कि हर साल राज्य को नये गरीब लोगों को आवास उपलब्ध कराने के लिए लक्ष्य निर्धारित किये जाते रहे.
दूसरी ओर पिछले वर्ष के अधूरे आवास के निर्माण की संख्या भी उसमें जुटती गयी.
2013-14 में निगरानी की हुई पहल भी नहीं आ रहा काम
वर्ष 2013-14 में पहली बार ग्रामीण विकास विभाग ने इंदिरा आवास निर्माण में समर्पित लोगों की टीम तैयार की.
इसके लिए हर पंचायत में एक आवास सहायक, प्रखंड स्तर पर आवास पर्यवेक्षक और लेखा सहायक, जिला स्तर पर एमआइएस ऑफिसर और राज्यस्तर पर एमआइएस टीम व अनुश्रवण टीम तैयार की गयी. इन टीमों को शामिल कराने के बाद भी लक्ष्य पूरा नहीं हो रहा है. वर्ष 2016 में ग्रामीण विकास विभाग ने अभियान चलाकर अधूरे आवासों के निर्माण कार्य आरंभ कराया. 2016-17 में विभाग की गहन मॉनीटरिंग के बाद अधूरे आवासों के निर्माण में थोड़ी गति तो जरूर आयी पर शत प्रतिशत लक्ष्य अभी तक प्राप्त नहीं किये गये.
ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि इंदिरा आवास के लक्ष्य प्राप्ति की जिम्मेवारी अधिकारियों पर निर्भर करती है. उनके पहले के मंत्री ने भी गरीबों के आवास निर्माण में रुची नहीं ली. इसके कारण भी आवास का निर्माण समय पर पूरा नहीं हुआ. 13 लाख अपूर्ण इंदिरा आवासों का निर्माण पिछले साल कराया. आवास निर्माण की प्रक्रिया में इंदिरा आवास सहायकों द्वारा भी बाधा डाली जा रही है. लाभुकों को समय पर भुगतान नहीं किया जा रहा है.
इसे देखते हुए सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वह विज्ञापन जारी करें जिसमें आवास की पहली किस्त पानेवाले लाभुक काम पूरा करने के बाद दूसरी किस्त के लिए सीधे डीएम के पास आवदेन करे. जिन आवास सहायकों द्वारा छह माह से अधिक राशि रोक कर रखी गयी है उनकी सेवा समाप्त की जाये. कोशिश यह है कि हर साल के लक्ष्य को पूरा किया जाये.
वित्तीय वर्ष लक्ष्य निर्माण
2012-13 834826 384040
2013-14 730249 266128
2014-15 274981 115606
2015-16 233668 7325