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केंद्र सरकार ने नहीं दिये पैसे, स्कूलों में नहीं पहुंच पायीं किताबें
राज्य ने हलफनामा दायर कर कोर्ट को दिया जवाब पटना : राज्य सरकार ने पटना उच्च न्यायालय को हलफनामा दायर कर कहा है कि केंद्र सरकार ने पैसे नहीं दिये इसलिए सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के लिए किताबें नहीं पहुंच पायी हैं. जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह की कोर्ट में मंगलवार को राज्य सरकार […]
राज्य ने हलफनामा दायर कर कोर्ट को दिया जवाब
पटना : राज्य सरकार ने पटना उच्च न्यायालय को हलफनामा दायर कर कहा है कि केंद्र सरकार ने पैसे नहीं दिये इसलिए सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के लिए किताबें नहीं पहुंच पायी हैं. जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह की कोर्ट में मंगलवार को राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता आशुतोष रंजन पांडेय नेे ये बात कहीं. अपर महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार के पैसे नहीं देने से कक्षा एक से आठ तक के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे दो करोड़ बच्चों को पाठ्य पुस्तकें नहीं दी जा सकी हैं. सुनवाई के दौरान शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन कोर्ट में उपस्थित थे.
याचिकाकर्ता आनंद किशोर सिंह ने राज्य सरकार पर आरोप लगाते
हुए कहा था कि बच्चों को किताबें नहीं मिल रही हैं. इससे उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. अपर महाधिवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार ने पूर्व छात्रों से उनकी पुस्तकों को लेकर एक पुस्तक बैंक बनाया है. जिसके द्वारा 30 प्रतिशत बच्चों को पुस्तकें मुहैया करायी गयी हैं.
उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार अब भी केंद्र सरकार द्वारा बच्चों को पुस्तकें मुहैया कराने के लिए पैसे का इंतजार कर रही है. केंद्र सरकार से पैसे मिलते ही सभी छात्रों या उनके अभिभावकों के बैंक एकाउंट में पुस्तकें खरीदने के लिए पैसा जमा कर दिये जायेंगे. इस केस की सुनवाई बुधवार को भी होगी. साथ ही कोर्ट ने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को सुनवाई के दौरान हाजिर रहने का आदेश दिया है.
पटना : पटना उच्च न्यायालय ने पथ निर्माण विभाग के इंजीनियर चंद्रदीप राम को प्रोन्नति दिये जाने को जायज करार दिया है. जस्टिस ज्योति शरण की एकल पीठ ने राज्य सरकार के उस आदेश को निरस्त कर दिया जिसमें उन्हें कारण बताओ नोटिस दिया गया था कि वो झारखंड राज्य के गढ़वा जिले के निवासी हैं, इसलिए उन्हें 2003 के अनुसूचित जाति-अनुसचित जनजाति अमेंडमेंट एक्ट के अनुसार दूसरे राज्य के निवासी होने के कारण पदोन्नति के लिए आरक्षण नहीं दिया जा सकता है.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीपक कुमार सिन्हा ने कहा कि 2003 के अमेंडमेंट एक्ट के अनुसार दूसरे राज्य के अनुसूचित जाति के निवासी को बिहार में पदोन्नति के लिए आरक्षण नहीं प्रदान किया जायेगा, यह आधार याचिकाकर्ता पर लागू नहीं होता है. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता को आरक्षण के आधार पर पदोन्नति बिहार एवं झारखंड राज्य के पुनर्गठन के पहले एकीकृत बिहार राज्य में हुआ था.
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