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समस्या : 16% लोगों को ही ब्लड बैंकों से मिल पा रहा खून

पटना: ब्लड बैंकों में जीवनदायिनी रक्त की कमी मरीज व उनके परिजनों की परेशानी बढ़ा रही है. आये दिन अस्पतालों में रक्त की कमी के चलते परिजन एक से दूसरे ब्लड बैंकों का चक्कर लगाते दिख जाते हैं. उनकी इस परेशानी का फायदा दलाल व अवैध रूप से निजी ब्लड बैंक चलाने वाले लोग उठाते […]

पटना: ब्लड बैंकों में जीवनदायिनी रक्त की कमी मरीज व उनके परिजनों की परेशानी बढ़ा रही है. आये दिन अस्पतालों में रक्त की कमी के चलते परिजन एक से दूसरे ब्लड बैंकों का चक्कर लगाते दिख जाते हैं. उनकी इस परेशानी का फायदा दलाल व अवैध रूप से निजी ब्लड बैंक चलाने वाले लोग उठाते हैं. ब्लड बैंकों में रक्त की कमी का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि सूबे के ब्लड बैंकों को हर साल 10.5 लाख यूनिट ब्लड की जरूरत होती है, लेकिन पर्याप्त डोनर के अभाव में उनको मात्र 1.5 लाख यूनिट रक्त ही उपलब्ध हो पाता है.
चार दिनों तक नहीं हो पाया ऑपरेशन
निगेटिव ग्रुप का खून नहीं होने के चलते 70 साल की एक महिला का ऑपरेशन चार दिन तक नहीं हो पाया. कोलकाता की मूल निवासी करुणा सेन अपने परिवार के साथ पटना में रहती हैं. बीते दिन वह गिर गयीं, इससे उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गयी. परिजनों ने सिपारा पुल स्थित एक हड्डी के डॉक्टर के पास ले गये, जहां सर्जरी की बात कही गयी. इसके लिए बी निगेटिव ग्रुप के खून का डिमांड डॉक्टरों ने की. ऐसे में मरीज के परिजन चार दिनों तक भटकते रहे.
अस्पतालों में खून की कमी से भी हो जाती हैं मौतें
सर्वे रिपोर्ट से पता चला कि बिहार में महज 16% लोगों को ही ब्लड बैंक से खून मिल पाता है. 84 प्रतिशत लोगों को खून के लिए डोनर पर निर्भर रहना पड़ता है. अगर मरीज की हालत गंभीर हो और अधिक यूनिट ब्लड चाहिए तो स्थिति काफी खराब हो जाती है. पीएमसीएच, आइजीआइएमएस आदि अस्पतालों में आये दिन खून की कमी के कारण मरीज की मौत के मामले सामने आते रहते हैं. रक्तदान को लेकर कई तरह की भ्रांतियां है. 60% लोग मानते हैं कि रक्तदान से कमजोरी आती है.
समाज को जरूरत ऐसे प्रयासों की
लोगों में भले ही जागरूकता की कमी हो, लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं जो ब्लड डोनेशन की दिशा में सराहनीय कार्य कर रहे हैं. मां वैष्णो देवी सेवा समिति के फाउंडर मेंबर मुकेश हिसारिया ऐसे ही शख्स हैं. इन्होंने न सिर्फ पटना बल्कि सूबे के विभिन्न हिस्से व दूसरे प्रदेशों में ब्लड डोनरों का एक ग्रुप बना रखा है, जो आकस्मिक सूचना पर कहीं भी ब्लड डोनेट करने पहुंच जाते हैं. समाज में ऐसे लोगों की संख्या बढ़े तो ब्लड डोनेशन की रफ्तार बढ़ सकती है.
पीएमसीएच प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल है, इसलिए यहां मरीजों की संख्या अधिक होती है. इससे ब्लड की मांग भी यहां अधिक होती है. नतीजतन ब्लड की कमी रहती है. वहीं, जब ब्लड की कमी होती है तो डोनर के दान करने के बाद ब्लड दे दिया जाता है.
डॉ यूपी सिंह, प्रभारी ब्लड बैंक, पीएमसीएच
लोगों में जब तक जागरूकता नहीं आयेगा खून की कमी दूर नहीं हो पायेगी. लगातार कैंप लगाया जाते हैं, लेकिन लोग कम पहुंचते हैं, खासकर महिलाएं व लड़कियां ब्लड डोनेशन में पीछे हैं. अगर लोग खुल के सामने आएं तो ब्लड यूनिट की संख्या बढ़ सकती है. ब्लड बैकों को चाहिए कि वह अधिक से अधिक कैंप लगाये और रक्तदान के प्रति लोगों को जागरूक करे.
डॉ बीबी सिन्हा, चेयरमैन, रेडक्राॅस ब्लड बैंक

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