राज्य में शैक्षिणिक सत्र 2017-18 की पढ़ाई शुरू हुए दो महीने से अधिक हो चुके हैं, लेकिन अब तक नि:शुल्क किताब उपलब्ध नहीं करायी जा सकी है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मृत्युंजन कुमार ने इसे शिक्षा के अधिकार का हनन और बच्चों को मौलिक अधिकार से वंचित करने वाला कदम बताया.
वहीं, याचिकाकर्ता आनंद कौशल सिंह ने बताया कि सरकार को लिखित आवेदन देकर उन्होंने बच्चों को किताब देने की मांग की थी, लेकिन अब तक बच्चों को किताबें उपलब्ध नहीं करायी गयी है. दोषी अधिकारियों पर भी कार्रवाई की मांग की गयी थी, लेकिन उन पर भी कार्रवाई नहीं गयी. बच्चों का भविष्य खराब न हो और जल्द से जल्द किताब मिले, इसके लिए जनहित याचिका दायर की गयी है.