पटना: निगम क्षेत्र के सैरातों की बंदोबस्ती एक वर्ष के लिए की जाती है. इसकी अवधि एक अप्रैल से 31 मार्च तक की होती है. वित्तीय वर्ष 2013-14 में की गयी बंदोबस्ती की अवधि खत्म होने में आठ दिन शेष रह गये हैं, लेकिन अब तक वित्तीय वर्ष 2014-15 के लिए सैरातों की बंदोबस्ती नहीं की गयी है. इसकी मुख्य वजह चुनाव आचार संहिता का लागू होना है. इस बाबत नगर आयुक्त कुलदीप नारायण ने राज्य मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से बंदोबस्ती किये जानेवाले सैरातों की सूची के साथ पत्र भेज कर मार्गदर्शन की मांग की थी. हालांकि, चुनाव आयोग से इस पर अभी तक जवाब नहीं आया है.
बंदोबस्ती के लिए लगती है बोली : नगर निगम के शौचालय, तार पेड़, तालाब, पार्किग स्टैंड, सब्जी मंडी आदी की बंदोबस्ती की जाती है. इसमें प्रत्येक सैरात की अलग-अलग प्रारंभिक राशि तय की जाती है. निगम प्रशासन द्वारा तय तिथि पर लोग जुटते हैं और प्रारंभिक राशि से नीलामी के दौरान बोली लगती है. सबसे अधिक राशि की बोली लगानेवाले को उस सैरात की बंदोबस्ती उसके नाम की जाती है.
कई टेंडरों पर फिलहाल ग्रहण : ठोस कचरा प्रबंधन योजना के तहत टेंडर निकाला गया. इसमें डोर टू डोर कचरा कलेक्शन, हाथ गाड़ी, वाहन और टीपर आदि के लिए अलग-अलग टेंडर शामिल हैं. फिलहाल कई टेंडरों में सिर्फ एक ही एजेंसी शामिल हुई है. ऐसे टेंडर को रद्द कर निगम प्रशासन फिर से दूसरा टेंडर निकालने की योजना बना रहा था, लेकिन तब तक आचार संहिता लागू हो गया है.
मॉनसून का सता रहा डर : गर्दनीबाग रोड नंबर एक से तीन तक और समनपुरा इलाकों में भयंकर जलजमाव की समस्या है. नये नालों की योजना बना कर टेंडर निकाला जाना है. लेकिन, आचार संहिता लागू होने की वजह से इन योजनाओं को पूरा करने के लिए टेंडर नहीं निकला जा रहा है.
नये नालों के नहीं बनने से स्थानीय लोगों को अभी से ही मॉनसून का डर सताने लगा है. वर्तमान में गर्दनीबाग से डीजल पंप के माध्यम से पानी की निकासी की जा रही है, जबकि समनपुरा के नाले का वैकल्पिक जाम हटाया गया है.