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रेकॉर्ड रूम को नहीं पता किस मरीज को कितने लगे इंजेक्शन
प्रतिबंधित इंजेक्शन मामला. पीएमसीएच पर उठ रहे सवाल पटना : पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) को यह नहीं पता है कि उसके यहां किस मरीज को कौन सा इंजेक्शन दिया गया है. अस्पताल के रेकाॅर्ड रूम में भी इसकी जानकारी नहीं है. यह आरोप औषधि विभाग की टीम ने पीएमसीएच के रेकाॅर्ड रूम पर लगाया […]
प्रतिबंधित इंजेक्शन मामला. पीएमसीएच पर उठ रहे सवाल
पटना : पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) को यह नहीं पता है कि उसके यहां किस मरीज को कौन सा इंजेक्शन दिया गया है. अस्पताल के रेकाॅर्ड रूम में भी इसकी जानकारी नहीं है.
यह आरोप औषधि विभाग की टीम ने पीएमसीएच के रेकाॅर्ड रूम पर लगाया है. इंजेक्शन व दवाओं के स्टॉक की जानकारी नहीं मिलने से नाराज ड्रग इंस्पेक्टरों की चार सदस्यीय टीम ने पीएमसीएच प्रशासन पर सवाल खड़ा कर दिया है. साथ ही छापेमारी में बाधा उत्पन्न करने को लेकर ड्रग कंट्रोलर को लिखित में शिकायत कर दी है. इसमें बताया गया है कि अस्पताल प्रशासन से बीएचटी एवं टीआर चार्ट की मांग करने के बाद भी उपलब्ध नहीं कराया गया. इधर, अस्पताल के अधीक्षक का कहना है कि रेकाॅर्ड चार्ट लेने के लिए कोई भी इंस्पेक्टर नहीं आ रहा है, जबकि शनिवार से ही सभी दस्तावेज रखा है.
इंजेक्शन की कालाबाजारी पर उठे सवाल : पिछले महीने पीएमसीएच में मिलने वाले सरकारी इंजेक्शन की कालाबाजारी पकड़ में आने के बाद औषधि विभाग की ओर से गठित ड्रग इंस्पेक्टरों की टीम पीएमसीएच में लगातार जांच करने पहुंच रही है. ड्रग इंस्पेक्टर सच्चिदानंद विक्रांत का कहना है कि रेकाॅर्ड रूम के अधिकारियों को पेशेंट ट्रीटमेंट चार्ट और एडवाइस पब्लिक प्रिस्क्रीप्शन रजिस्टर देना था. इसी आधार पर इंजेक्शन की जांच और किस मरीज को लगाया गया उनसे पूछताछ की जानी थी. लेकिन, रेकाॅर्ड रूम के पदाधिकारी चार्ट देने से मना कर रहे हैं. दो जून को जब जानकारी नहीं मिली तो तीन जून को रजिस्टर व चार्ट देने के लिए कहा गया. इसके बावजूद संबंधित दस्तावेज नहीं मिल पाये हैं.
क्या है मामला : पीएमसीएच में सरकार की ओर से उपलब्ध होने वाले मेरोपेनम 1 ग्राम हायर एंटीबायोटिक इंजेक्शन कंकड़बाग स्थित हनुमान एजेंसी सहित कई प्राइवेट दवा दुकानों में पाये गये थे. इस इंजेक्शन की कीमत 2 हजार रुपये दुकानों में है. यह इंजेक्शन कैसे बाहर की दुकानों में पहुंचा, इसकी जांच के लिए पीएमसीएच में ड्रग विभाग की टीम लगातार जांच कर रही है. टाटा वार्ड सहित कई वार्डों में जांच भी हुई है, जिसमें मामला उजागर भी हो गया. कुल 37 वार्डों में छापेमारी की जानी है.
क्या कहते हैं ड्रग इंस्पेक्टर
जांच दल के द्वारा बीएचटी एवं टीआर चार्ट की मांग की गयी थी. पीएमसीएच अधीक्षक को 2 व 3 जून को दस्तावेज उपलब्ध कराने को कहा गया था. इसके बावजूद अब तक रेकाॅर्ड रूम से दस्तावेज नहीं मिल पाये हैं. इसलिए इंजेक्शन की कालाबाजारी का सही से खुलासा नहीं हो पा रहा है.
सच्चिदानंद विक्रांत, ड्रग इंस्पेक्टरझूठा आरोप लगा रहे
ड्रग इंस्पेक्टर पीएमसीएच पर झूठा आरोप लगा रहे हैं. रेकाॅर्ड रूम के पास दवा से लेकर इंजेक्शन तक सभी तरह की जानकारी है. शनिवार से हम इंतजार कर रहे हैं कि वह आये और हम दस्तावेज सौंप दें, लेकिन ड्रग विभाग का कोई भी इंस्पेक्टर नहीं आया. इंचार्ज के पास रेकाॅर्ड से संबंधित दस्तावेज रख दिये गये हैं.
डॉ लखींद्र प्रसाद, अधीक्षक, पीएमसीएच
पटना : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के केंद्रीय नेतृत्व केआह्वान पर सरकार की नीतियों के विरोध में सरकारी और प्राइवेट डॉक्टरों ने मंगलवार को सुबह सत्याग्रह आंदोलन किया. अपनी मांगों को लेकर पूरे भारत से करीब 70 हजार डॉक्टरों ने एकजुट होकर दिल्ली में रैली निकाली. रैली में बिहार आइएमए से जुड़े 700 डॉक्टर शामिल हुए.
आइएमए के वरीय उपाध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने बताया कि मांगों को लेकर बिहार में सुबह 8 से 10 बजे तक डॉक्टरों ने कार्य बहिष्कार किया. इसका उद्देश्य सरकार को चेतावनी देना था. आइएमए के केंद्रीय अध्यक्ष
डॉ केके अग्रवाल ने बताया कि चिकित्सकों पर हो रहे हमले, एमसीआइ की जगह पीसी पीएनडीटी एक्ट लागू किया जाना आदि समस्याओं को देखते हुए दिल्ली में शांतिपूर्वक सत्याग्रह आंदोलन किया गया था. इसमें एमबीबीएस छात्रों ने भी भाग लिया. उन्होंने कहा कि अगर सरकार हमारी मांगों पर विचार नहीं करेगी तो देश भर के डॉक्टर फिर से एकजुट होकर बड़े स्तर पर आंदोलन के लिए बाध्य हो जायेंगे.
डॉक्टरों की मुख्य मांगें
डॉक्टरों की लापरवाही व लिपिकीय चूक होने पर आपराधिक मामले न चलाये जायें
मेडिकल कर्मचारियों पर हिंसा के खिलाफ केंद्र सरकार कानून बनाये डॉक्टरों पर सीपीए की क्षतिपूर्ति की सीमा तय हो पीसी पीएनडीटी, सेंट्रल सीइए और वेस्ट बंगाल सीइए एक्ट में सुधार हो चिकित्सा प्रणालियों का अवैज्ञानिक तरीके से मिश्रण न किया जाये व एमबीबीएस स्नातकों का सशक्तिकरण हो एक दवा, एक कंपनी, एक दाम सभी एमबीबीएस का एक साथ फाइनल एग्जाम हो
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