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स्वरोजगार को लेकर किया जा रहा प्रोत्साहित

उच्च नस्ल के बकरी पालन से उत्पादकता में वृद्धि है उद्देश्य नवादा कार्यालय : राज्य में स्वरोजगार के नये क्षेत्र उन्नत करने के लिए सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है. इसी के तहत वित्तीय वर्ष 2016-17 में जिले के बकरी पालकों के लिए रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर समेकित बकरी व भेड़ विकास योजना आयी […]

उच्च नस्ल के बकरी पालन से उत्पादकता में वृद्धि है उद्देश्य
नवादा कार्यालय : राज्य में स्वरोजगार के नये क्षेत्र उन्नत करने के लिए सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है. इसी के तहत वित्तीय वर्ष 2016-17 में जिले के बकरी पालकों के लिए रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर समेकित बकरी व भेड़ विकास योजना आयी हैं. योजना द्वारा स्वरोजगार के साथ ही बकरी के उच्च किस्म के नस्ल से मांस उत्पादन में भी बढ़ोतरी लाने का प्रयास किया जाना हैं.
जिले के बकरी पालक स्थानीय नस्ल के कम उत्पादकता वाले पशुओं को पालते हैं. पशुपालन विभाग ऐसे पशुपालकों को बकरी व अनुदान देकर इनके रोजगार को बढ़ाने में मदद पहुंचाने का काम करेगा. जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ श्यामसुंदर प्रसाद ने बताया कि बकरी पालकों को योजना के अंतर्गत लागत का 50 प्रतिशत अनुदान उपलब्ध कराया जायेगा, यह अधिकतम एक लाख रुपये तक देय होगा. इसके लिए लाभुक कहीं से भी विभाग के साइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं.
जिला पशुपालन विभाग में भी ऐसे लोगों का आवेदन भरने में मदद दी जा रही हैं.बकरी फार्म विकसित करने में मिलेगी मदद: बिहार पशु प्रजनन नीति 2011 के तहत लाभुक को बिहार ग्रामीण जीवकोपार्जन प्रोत्साहन समिति (जीविका) द्वारा ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरियों की तीन प्रजनन इकाई को निःशुल्क उपलब्ध कराया जायेगा. समेकित बकरी व भेड़ विकास योजना में 20 बकरी व एक बकरे के लिए बकरी फार्म विकसित करने का प्रारूप हैं.
इसके लिए 18 सौ स्क्वायर फुट की जमीन पशुपालक के पास होना चाहिए. इसमें छह सौ स्क्वायर फुट की जमीन पर शेडिंग की व्यवस्था करनी हैं. खुले हुए 12 सौ स्क्वायर फुट में बकरी को चारा, पानी जैसे अन्य चीजें उपलब्ध कराना हैं. व्यवस्था के निर्माण का 50 प्रतिशत रुपये अनुदान में उपलब्ध करा दिया जायेगा. यह अधिकतम एक लाख रुपये तक हैं. जिला में कुल 16 बकरी पालकों को इस योजना में लाभ पहुंचाया जाना हैं. इसमें से पांच सामान्य और 11 अनुसूचित जाति के आवेदक को लाभ दिया जायेगा.
दिया जायेगा प्रशिक्षण :बकरी पालक को अपना पहचान पत्र, फोटो, आधार कार्ड, भूमि का ब्योरा, बैंक खाता, पैन कार्ड, प्रशिक्षण जैसे संबंधित तथ्यों को विभाग में जमा कराना होगा. पशुओं को हरा चारा भी दिया जाना सुनिश्चित किया जाना हैं. चयन किये गये बकरी पालक को निरीक्षण के बाद योजना का लाभ मिलेगा. योजना से जुड़े पशुपालक को प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराया जाना हैं.
फार्म में उपलब्ध कराये गये बकरियां व बकरे का स्वास्थ्य जांच भी पशुपालन विभाग द्वारा प्रत्येक महीने में किया जाना हैं. जिला के निर्धन तबके के पशुपालकों को मदद देकर सरकार आर्थिक रूप से समृद्ध व पशु नस्ल में भी सुधार करना चाहती हैं. इससे बकरी पालन के क्षेत्र में राज्य आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेगा.

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