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… पर, शहर की बदहाली पर नजर नहीं

हरिश्चंद्र स्टेडियम के पास कई कार्यालयों के पास दुर्गंध से लोगों की परेशानी बढ़ी नवादा नगर : खुले में शौच से मुक्त क्षेत्र बनाने के लिए प्रशासन लिए द्वारा लगातार जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है. जिले में चयनित 24 पंचायतों को दो माह में खुले में शौचमुक्त बनाने के लिए लगातार अभियान चलाया जा […]

हरिश्चंद्र स्टेडियम के पास कई कार्यालयों के पास दुर्गंध से लोगों की परेशानी बढ़ी
नवादा नगर : खुले में शौच से मुक्त क्षेत्र बनाने के लिए प्रशासन लिए द्वारा लगातार जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है. जिले में चयनित 24 पंचायतों को दो माह में खुले में शौचमुक्त बनाने के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है.
लेकिन, शहर में कोई पहल नहीं हो रही है. इसका नतीजा है कि जिला मुख्यालय के कई सरकारी कार्यालय के पास व स्कूल परिसर के पास लोग खुले में शौच कर रहे हैं. नगर के विभिन्न वार्डों में झुग्गी झोंपड़ी में रहनेवाले लोग खुले में शौच जाने को विवश हो रहे हैं. सरकार से मिलने वाली सुविधा का लाभ नहीं उठाने के कारण कई लोग आज भी हरिश्चंद्र स्टेडियम के पास, रेलवे स्टेशन के निकट, सत्येंद्र स्कूल के निकट सहित कई स्थानों पर लोग खुले में शौच कर रहे हैं. कुछ लोग तो मजबूरी में साधन नहीं रहने के कारण खुले में शौच के लिए विवश हैं, जबकि कुछ के घरों में शौचालय होने के बाद भी खुले में शौच करने जाते हैं.
दुर्गंध से मत्स्य कार्यालय जाना मुश्किल : खुले में शौच का सबसे बड़ा खामियाजा जिला मत्स्य विभाग कार्यालय में देखने के मिलता है. हरिश्चंद्र स्टेडियम के पास के इलाकों के झुग्गी झोंपड़ी के महिला-पुरुषों द्वारा कार्यालय कैंपस के आस-पास शौच कर देने से गंदगी व दुर्गंध का आलम कार्यालय में रहता है.
कार्यालय के चारों तरफ तार से घेरा लगाये जाने के बाद भी सुबह व शाम पास के इलाके के दर्जनों लोग शौचालय के लिए जाते हैं. कार्यालय के कर्मचारियों द्वारा इसे रोकने के लिए कई बार कहा गया है. साथ ही अक्सर स्थानीय लोगों से झड़प की घटनाएं भी हो जाती है, बावजूद खुले में शौच की समस्या से शहर का यह प्रमुख संस्थान बेहाल है. कई बार तो कार्यालय के मुख्य गेट पर ही शरारती लोग द्वारा शौच कर दिया जाता है. इसे सफाईकर्मियों को खर्च देकर साफ कराना पड़ता है. इसी प्रकार कन्हाई इंटर स्कूल के बाउंड्री के किनारे व खेल मैदान में भी खुले में शौच करने वाले लोगों द्वारा अक्सर गंदा कर दिया जाता है. हरिश्चंद्र स्टेडियम के मैदान के दक्षिणी भाग भी गंदगी से भरा रहता है. सत्येंद्र इंटर स्कूल के पास रेलवे पटरी के किनारे भी खुले में शौच करते लोग दिखते हैं.
व्यवस्था की है कमी : थोड़ी सी इच्छा शक्ति व व्यवस्था उपलब्ध कराने की जरूरत है. गरीब लोगों के पास आर्थिक तंगी या सुविधा की कमी के कारण खुले में शौच के लिए जाने को मजबूर होना पड़ता है. यदि पर्याप्त संख्या में सार्वजनिक शौचालय या गरीबों के लिए अनुदान पर शौचालय बनाने की सुविधा मिलती है, तो खासकर महिलाओं को इस बड़ी समस्या से रोका जा सकता है. खुले में शौच करने लोग शायद ही शौक से जाते हैं. महिलाओं व स्थानीय लोगों को यदि शौचालय की सुविधा मिले तो लोग इसका लाभ उठा सकते हैं.

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