आजादी के बाद ग्रामीण पगडंडियों के सहारे ही आने-जाने को विवश
बरसात में तीन हजार आबादी को आवागमन में होती है फजीहत
रोह : भट्टा पंचायत के परतापुर व कटहरा गांव के लोग आजादी के छह दशक बीत जाने के बाद भी पगडंडियों के सहारे आवागमन को विवश हैं. इन दोनों गांव की आबादी करीब तीन हजार है, जहां अनैला से पहुंचने के लिए आज तक पक्की सड़क का निर्माण नहीं कराया गया है.
सरकार द्वारा निर्धारित मापदंड के मुताबिक पांच सौ से अधिक आबादी वाले गांवों को मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत पक्की सड़क से जोड़ना है. एक हजार से अधिक आबादी वाले गांवों को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से जोड़ना है. बावजूद परतापुर व कटहरा के ग्रामीण पक्की सड़क के लिए लालायित हैं. सूखे मौसम में तो लोग आहर व पगडंडी पर चल कर गांव से रोह-अनैला मुख्य सड़क तक आवागमन कर लेते हैं. मगर, बरसात में दोनों गांव के लोगों की परेशानी बढ़ जाती है. उन्हें प्रखंड मुख्यालय रोह पहुंचने के लिए गोड़िहारी, कोशी सड़क का सहारा लेना पड़ता है. अनैला होते हुए लोग महज चार किमी दूरी तय करके रोह पहुंच जाते हैं. कोशी होते हुए रोह पहुंचने के लिए लोगों को करीब 14 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है. ग्रामीणों का गांव से कहीं जाना-आना काफी मुश्किल हो जाता है. बरसात में किसी के बीमार पड़ने पर लोगों की मुश्किलें बढ़ जाती हैं. रोगी को खाट पर लाद कर डॉक्टर के पास ले जाना पड़ता है.
सड़क के अभाव में ग्रामीण विकास के मामले में भी पिछड़ रहे हैं. आजादी के समय से ही पक्की सड़क का सपना संजोए गांव के कुछ बुजुर्गों की पहल पर ग्रामीणों ने परतापुर गांव के बाहर कुछ दूर तक मिट्टी डाल कर कच्ची सड़क का निर्माण भी किया. बावजूद इसके पक्की सड़क का सपना अधूरा है. इससे करीब तीन हजार ग्रामीणों को अभिशप्त जीवन जीना पड़ रहा है.