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फिर भी ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में महिलाएं पीछे

हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधे से कंधे मिला महिलाएं चल रही है़ जिले के प्रखंड मुख्यालय से लेकर गांव तक की लड़कियां कॉलेज से लेकर बाजार तक स्कूटी से आ रही है़ शहर में कई महिलाओं कार से कार्यालय आती हैं़ लेकिन ड्राइविंग लाइसेंस बनाने में रूचि नहीं दिखा रही है़ विगत तीन माह […]

हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधे से कंधे मिला महिलाएं चल रही है़ जिले के प्रखंड मुख्यालय से लेकर गांव तक की लड़कियां कॉलेज से लेकर बाजार तक स्कूटी से आ रही है़ शहर में कई महिलाओं कार से कार्यालय आती हैं़ लेकिन ड्राइविंग लाइसेंस बनाने में रूचि नहीं दिखा रही है़ विगत तीन माह में जहां 1608 पुरुष ने लाइसेंस बनवाने हैं, वहीं केवल 12 महिलाएं ही लाइसेंस बना पायी है़
नवादा (सदर) : जिले में वाहन खरीदनेवालों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. लोगों की जरूरत कहें या फिर शौक, सड़कों पर वाहनों की संख्या काफी बढ़ी है. विगत तीन महीने में जिले में साढ़े चार हजार से अधिक लोगों ने वाहनों (दो पहिया व चार पहिया) की खरीदारी की है. लेकिन, उक्त समय में गाड़ियों की खरीदारी के अनुपात में ड्राइविंग लाइसेंस नहीं बने हैं. पता चला है कि डेढ़ हजार के आसपास ही लोगों ने ड्राइविंग लाइसेंस बनवाये हैं.
इनके अलावा तीन हजार के लगभग वाहनों का रजिस्ट्रेशन भी बाकी है. वाहनों का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए वाहन मालिक हर रोज परिवहन कार्यालय का चक्कर काट रहे हैं. इसी तरह ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के लिए भी सैकड़ों लोगों प्रतिदिन आवेदन देने पहुंच रहे हैं. इन सबके बीच चौंकानेवाली बात यह है किलाइसेंस बनवाने में महिलाओं की रुचि काफी कम है. तीन माह में 1608 पुरुषों ने वाहन चलाने का लाइसेंस प्राप्त किया है, वहीं इतने ही समय में महज 12 महिलाओं ने ही लाइसेंस बनवाये, जबकि सड़कों पर गाड़ी दौड़ाने में वे पुरुषों से कहीं पीछे नहीं है.
नयी पीढ़ी ने दिखाया दम : वाहन चलाना कभी महिलाओं के लिए वर्जित था. इसे लोग संस्कारों से जोड़ कर मानते थे. पर, नयी पीढ़ी की लड़कियों ने इस मिथक को तोड़ा है. भले ही इनकी संख्या अभी दहाई अंक को छुआ ही है. पर यह आनेवाले दिनों के बेहतर प्रतीक माने जा रहे हैं. विभाग के अधिकारी भी कहते हैं कि लड़कियों के ड्राइविंग लाइसेंस आवेदन को प्राथमिकता के आधार पर लिया जाता है. जल्द से जल्द इसे निबटाने के प्रयास किये जाते हैं.
वाहन एजेंसियां भी बांट रहीं रजिस्ट्रेशन नंबर : पिछले एक साल से अधिक समय से दो पहिया व चार पहिया वाहन बेचने वाले भी वाहनों की खरीदारी के साथ ही वाहनों का नंबर दे रहे हैं. तत्काल नंबर तो दिये जा रहे हैं, लेकिन वाहनों का रजिस्ट्रेशन कार्ड नहीं मिल रहा है.
वाहन बेचने वाले एजेंसी संचालकों का भी यही रोना है कि रजिस्ट्रेशन कार्ड मिलने में तीन महीना से भी अधिक समय लगने के कारण वाहनों के खरीददार परेशान करते हैं. परिवहन विभाग भी कुछ नहीं कर पा रहा है. कभी कार्ड की कमी तो कभी साहबों की अनुपस्थिति. नंबर लेने के लिए एजेंसी में प्रति दिन कार्ड लेने के लिए लोगों की भीड़ लगती है.
कार्ड की कमी बनी समस्या
परिवहन विभाग में स्मार्ट कार्ड की कमी भी परेशानी का सबब बना है. कम संख्या में रजिस्ट्रेशन के लिए स्मार्ट कार्ड आने के कारण नये वाहनों का स्मार्ट कार्ड नहीं मिल रहा है. स्मार्ट कार्ड का बैक लॉग काफी पीछे रहने का मूल कारण कार्ड का नहीं होना है.
दलाल रहते हैं हावी
लाइसेंस बनाने के लिए दो माह पहले ही सारा कागजात जमा किया हूं. परंतु अब तक लाइसेंस नहीं मिल पाया है. कभी कार्ड नहीं है तो कभी रिबन नहीं है का बहाना बनाया जाता है.
हसन अली, मोगला खार, नवादा
ड्राइविंग लाइसेंस हो या वाहनों का रजिस्ट्रेशन सभी के लिए दलाल हावी रहते हैं. परिवहन विभाग में जब तक दलाली बंद नहीं होगा लोगों को स्मार्ट कार्ड बनाने में परेशानी होती रहेगी.
सतीश कुमार गुप्ता, नरहट, नवादा
स्मार्ट कार्ड आने पर समस्या होगी दूर
स्मार्ट कार्ड के अभाव में वाहनों का रजिस्ट्रेशन बैक लॉग है. डीएल में यह समस्या नहीं है. डिमांड के अनुसार स्मार्ट कार्ड नहीं मिल रहा है. स्मार्ट कार्ड आने के बाद यह समस्या दूर हो जायेगी.
ब्रजेश कुमार, जिला परिवहन पदाधिकारी, नवादा

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