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जिला कोर्ट की सुरक्षा भगवान भरोसे
छपरा कोर्ट में ब्लास्ट के बाद नवादा कोर्ट की सुरक्षा बढ़ दी गयी है. लेकिन कई कमियां को पहले की तरह ही भगवान भरोसे छोड़ दी गयी हैं, जो खतरनाक साबित हो सकती हैं. न्यायालय परिसर के मुख्य द्वार पर मेटर डिटेक्टर के साथ सुरक्षाकर्मी तैनात हैं. पर, कोर्ट परिसर का दूसरा द्वार केवल माननीय […]
छपरा कोर्ट में ब्लास्ट के बाद नवादा कोर्ट की सुरक्षा बढ़ दी गयी है. लेकिन कई कमियां को पहले की तरह ही भगवान भरोसे छोड़ दी गयी हैं, जो खतरनाक साबित हो सकती हैं. न्यायालय परिसर के मुख्य द्वार पर मेटर डिटेक्टर के साथ सुरक्षाकर्मी तैनात हैं. पर, कोर्ट परिसर का दूसरा द्वार केवल माननीय न्यायधीशों व न्यायालय कर्मचारियों के प्रवेश के लिए अधिकृत है.
लेकिन यहां कोई सुरक्षा नहीं है. नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए कई चार पहिया व दो पहिया वाहन इस द्वार से न्यायालय परिसर में बिना किसी जांच पड़ताल के प्रवेश करते हैं. इसको लेकर न्यायकर्मी व उनके परिजन सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं. कोर्ट की चहारदीवारी की ऊंचाई भी काफी कम है. न्यायालय परिसर में पान, गुटखा, बीड़ी, खैनी जैसे नशीले पदार्थों पर रोक के बाद भी लोग बदस्तूर इनका प्रयोग करते हैं. कोर्ट परिसर के बाहर, अंदर व मुख्य स्थलों पर अब तक सीसीटीवी कैमरे तक नहीं लगे हैं.
नवादा : सोमवार सुबह साढ़े छह बजे. न्यायालय परिसर के मुख्य द्वार पर हरेक आंगतुक की गहन तलाशी में सुरक्षाकर्मी जुटे हैं. दो मेटल डिटेक्टर से एक-एक पुरुष व महिला सुरक्षाकर्मी परिसर में जाने वालों के सभी सामान की जांच कर रहे हैं. प्रभात खबर की टीम के पहुंचते ही सुरक्षा बल के जवान अधिक सजग व चौकन्ने होकर अपने कार्य में लग जाते हैं. विगत 18 अप्रैल को छपरा कोर्ट में बम ब्लास्ट हुए, इसके बाद सूबे के प्रत्येक जिले में न्यायालय परिसर की सुरक्षा को लेकर सरकार व प्रशासन काफी एहतियात बरत रही है.
फिर भी न्यायकर्मी व उनके परिजन सुरक्षा को लेकर चिंतित है. कोर्ट परिसर का दूसरा द्वार केवल माननीय न्यायधीशों व न्यायालय कर्मचारियों के प्रवेश के लिए अधिकृत है. इस दूसरे दरवाजे पर एक भी सुरक्षाकर्मी तैनात नहीं है. अधिवक्ता, मुवक्किल, मुंशी व आमजन के लिए इस द्वार से प्रवेश प्रतिबंधित है. बावजूद नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए कई चार पहिया व दो पहिया वाहन इस द्वार से न्यायालय परिसर में बिना किसी जांच पड़ताल के प्रवेश करते हैं.
कोर्ट के पिछले हिस्से में इनकी पार्किंग होती है, ऐसे में मुख्य द्वार पर कड़ी जांच पड़ताल का कोई मतलब नहीं रह जाता. विधिक सूत्रों के अनुसार, इस द्वार पर भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम होने चाहिए. बिहार पुलिस के लगभग चार जवान सादे लिबास में कोर्ट परिसर के अंदर लोगों पर नजर बनाये रखते हैं. किसी भी अवांछित, संदिग्ध व बिना मकसद घूमनेवाले व्यक्तियों से कड़ी पूछताछ की जाती है. ये जवान न्यायालय परिसर जहां-तहां बैठे लोगों को हटाने के साथ भवन के मुख्य द्वार पर होने वाले भीड़ को रोकने का भी भार संभालते हैं. इन सुरक्षाकर्मियों के रहने के बावजूद पेशी के लिए आनेवाले कैदियों से लोग मिलते है. इससे कोर्ट परिसर में भीड़ बढ़ जाती है. इससे इन कैदियों की सुरक्षा पर भी सवालिया निशान खड़ा हो जाता है.
सुरक्षा व्यवस्था में हैं कई कमियां
व्यवहार न्यायालय की सुरक्षा को लेकर प्रशासनिक पहल पूरजोर है. परंतु परिसर में कई कमियों के कारण सुरक्षा घेरे में कई सुराख दिख जाते हैं. न्यायालय परिसर को घेरने वाली चहारदीवारी की ऊंचाई काफी कम है. दक्षिण-पूर्वी हिस्से में चहारदीवारी पर लगा लोहे का ग्रील ही गायब है. हाजत से सटे पिछले चहारदीवारी में ग्रील के नहीं रहने से कोई भी इसे लांघ सकता है.
साथ ही उत्तर पूर्वी कोने पर कोर्ट के बाहर मिट्टी गिरा दिये जाने से चहारदीवारी की ऊंचाई महज तीन से चार फुट रह जाती है. ऐसे में इसे लांघ कर कोर्ट परिसर में आसानी से प्रवेश किया जा सकता है. विधिक सूत्रों के अनुसार, कोर्ट परिसर की चहारदीवारी की ऊंचाई कम से कम 12 फुट की जानी चाहिए. इसके ऊपर कंटीली तारों की फेसिंग की जाये. परिसर के चारों कोनों पर संतरियों की तैनाती की जाये,जिससे पुख्ता सुरक्षा का इंतजाम हो सके. न्यायालय परिसर में पान, गुटखा, बीड़ी, खैनी जैसे नशीले पदार्थों को ले जाने की रोक है. बावजूद लोग यत्र-तत्र खैनी रगड़ते व खाते दिख जायेंगे. परिसर की दीवारों पर पान की पीके भी दिख जाना आम बात है.
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