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18 चिकित्सकों के भरोसे 36 पशु अस्पताल

पशुओं की देखभाल व दूध उत्पादन में बढ़ोतरी की बात सभी करते हैं, लेकिन जिले में संसाधनों का घोर अभाव है. जिले में 36 पशु चिकित्सालयों में केवल 18 डॉक्टर ही कार्यरत हैं. एक डॉक्टर को कई स्थानों का प्रभार लेकर काम करना पड़ रहा है. गरमी के मौसम में पशुओं में होने वाले रोग […]

पशुओं की देखभाल व दूध उत्पादन में बढ़ोतरी की बात सभी करते हैं, लेकिन जिले में संसाधनों का घोर अभाव है. जिले में 36 पशु चिकित्सालयों में केवल 18 डॉक्टर ही कार्यरत हैं. एक डॉक्टर को कई स्थानों का प्रभार लेकर काम करना पड़ रहा है. गरमी के मौसम में पशुओं में होने वाले रोग बढ़ जाते है. इस मौसम में होनेवाली बीमारियों से बचाव के लिए दवा उपलब्ध होने की बात कही जा रही है.
नवादा (नगर) : किसानों को खेती के साथ आर्थिक रूप से संपन्न बनाने के लिए पशु पालन की ओर बढ़ावा दिया जा रहा है. पशुओं के माध्यम से दूध उत्पादन व अन्य प्रकार के लाभकारी प्रोडक्ट के लिए पशुओं की सही देखभाल जरूरी है.
लेकिन जिले में जिस प्रकार से पशुपालन विभाग काम कर रहा है, इससे अधिक उम्मीद नहीं लगायी जा सकती. दुधारू पशुओं की सही देखरेख के लिए खान पान के साथ ही सही चिकित्सिय व्यवस्था होना जरूरी है. जिले के विभिन्न प्रखंडों व ग्रामीण क्षेत्रों में 36 पशु अस्पताल चल रहे हैं. जिला मुख्यालय के पशु अस्पताल के साथ ही अन्य सभी प्रखंड मुख्यालयों में व सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में भी पशु अस्पताल बनाये गये हैं.
अस्पतालों की संख्या पहले ही काफी कम थी. फिलहाल इन अस्पतालों का खुलना भी संभव नहीं हो पा रहा है. एक-एक पशु चिकित्सक के जिम्मे दो से तीन अस्पतालों का प्रभार मिला हुआ है. इसके कारण कार्य काफी प्रभावित होते हैं. जिले में स्थाई रूप से 18 व अनुबंध पर 10 पशु डॉक्टर कार्यरत थे. लेकिन अनुबंध के डॉक्टरों की समय सीमा समाप्त हो जाने के कारण वर्तमान में कम डॉक्टरों के सहारे ही पशु चिकित्सालयों को संचालित किया जा रहा है.
इलाज की है व्यवस्था: पशु अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है. लेकिन इस मौसम में होनेवाले रोगों के दवा की उपलब्धता ठीक ठाक है. हिट स्ट्रॉक के समय जानवरों को चढ़ाने के लिए स्लाइन, डायरिया के समय एंटी डायरियल ड्रग्स, टिक्स के लिए एंटी टिक्स दवा अमित राज आदि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. पशु चिकित्सकों की मानें तो दवा के सही डोज से गरमी में होने वाले बीमारियों से जानवरों को बचाया जा सकता है.
पैथोलॉजिकल जांच भी होती है पशुओं की : अनुमंडल स्तर पर बनाये गये पशु चिकित्सालयों में पैथोलॉजिकल जांच की व्यवस्था है. जहां पशुओं की बीमारी में जरूरत के अनुसार ब्लड, यूरिन आदि जांच की व्यवस्था है. नवादा के अलावे रजौली में यह सुविधा उपलब्ध है. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, एक माह में विभिन्न पशुओं के जरूरत के अनुसार 30 से 35 अलग-अलग तरह की जांच की जाती है. यह व्यवस्था पूरी तरह से नि:शुल्क है.
रजौली में प्रभारी डाॅ सत्यप्रकाश नारायण व नवादा में डाॅ संजय कुमार के नेतृत्व में यह पैथोलॉजिकल लैब काम करता है. यहां ब्लड, यूरिन, स्टूल, स्क्रैप, नेजल डिस्चार्ज आदि की जांच की सुविधा उपलब्ध है. हालांकि दोनों अनुमंडल स्तरीय पैथोलॉजिकल लैब में लैब टेक्निशियन का पोस्ट खाली है. किसी तरह यहां भी काम चलाया जाता है.

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