11 पुलिसकर्मियों की हत्या कर लूट लिये गये थे 11 हथियार
अब तक चार लोगों की ही गिरफ्तारी
नवादा (सदर) : नवादा जिले के जमुई व गिरीडीह जिले की सीमा पर स्थित कौआकोल प्रखंड का महुलिया टांड़ गांव आज भी पुलिस के जेहन में खौफ भरने के लिए काफी है. इस घटना के बाद से भले ही पुलिसकर्मी किसी समारोह में आमंत्रण से पहले छानबीन कर लेते है. पर, नक्सलग्रस्त इलाकों में बगैर अर्द्धसैनिक बलों के साथ पैट्रोलिंग करना भी सुरक्षित नहीं समझते हैं. सात साल पहले नौ फरवरी 2009 को हुई महुलिया टांड़ की घटना में भले ही अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
पर, इस घटना को अंजाम देनेवाले नक्सलियों के मुख्य सरगना आज भी पुलिस पकड़ से बाहर हैं. इस घटना में नक्सलियों ने कौआकोल थाने के ऑफिसर इंचार्ज सहित 11 लोगों को आमंत्रण देकर बुलवाया. फिर समारोह स्थल के पास ही मौत के घाट उतार कर हथियार ले भागे. दिन दहाड़े हुई इस घटना के बाद पुलिस के जेहन में काफी समय तक नक्सलियों का खौफ बना रहा. घटना की बरसी पर भले ही पुलिस बलों द्वारा कोई शहादत दिवस जैसी कार्यक्रम आयोजित नहीं किये जाते हैं. पर, स्थानीय ग्रामीण को नौ फरवरी व संत रविदास की जयंती आते ही घटना को याद को ताजा कर जाती है.
क्या थी घटना : कौआकोल प्रखंड के महुलिया टांड़ में प्रति वर्ष आयोजित होनेवाले संत रविदास जयंती के मौके पर आयोजकों ने थाना प्रभारी रामेश्वर राम सहित कई लोगों को आमंत्रण देकर बुलाया था.
समारोह के दिन थाना प्रभारी जिला पुलिस बलों के साथ-साथ कई सैप जवानों को लेकर महुलिया टांड़ पहुंचे थे. गांव में पहुंचने के बाद संत रविदास की मंदिर में माला चढ़ाने जाने के दौरान नक्सलियों ने पुलिस बलों की हत्या कर उनके हथियार लूट लिये थे. दिन के दो बजे हुई इस घटना की भनक पुलिस को काफी विलंब से लगी थी.
इस घटना में थानाध्यक्ष रामेश्वर राम, एएसआइ इंद्रदेव सिंह, हवलदार श्यामलाल हंसदा, सिपाही अशोक कुमार सिंह, जितेंद्र कुमार मंडल, कृपालु कुमार, सैप जवान मनोज सिंह, विजय शंकर प्रसाद, अनिल कुमार, सत्यदेव सिंह व बैद्यनाथ प्रसाद की घटनास्थल पर ही मौत हो गयी थी. बाद में घायल दो अन्य जवान की भी मौत पटना में इलाज के दौरान हो गयी थी. तत्कालीन डीजीपी डीएन गौतम, एडीजी नीलमणी, एडीजी विधि व्यवस्था बी नारायण, एडीजी अभियान सुरेश कुमार भारद्वाज तथा तत्कालीन एसपी निशांत कुमार तिवारी ने एक बैठक में रणनीति तय कर इसके खिलाफ अभियान चलाने की बात कही थी. पर घटना के सात वर्षों बाद पुलिस ने अब तक एक चौकीदार, एक पूजा समिति के सचिव सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया है.
परिजनों को मिल चुका है सरकारी लाभ : नक्सली हमले में शहीद हुए पुलिसकर्मियों के परिजनों को सरकार की ओर से सभी को सरकारी लाभ उपलब्ध करा दिया गया है. सरकारी नियम के अनुसार कई लोग अनुकंपा के आधार पर नौकरी भी प्राप्त कर चुके है. नक्सली हमले में शहीद पुलिसकर्मियों के परिजनों को बस एक ही बात का मलाल है कि इस घटना को अंजाम देनेवाले कुछ मुख्य सरगना की गिरफ्तारी पुलिस द्वारा नहीं की गयी.