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65 स्कूलों में मिड-डे मील बंद

65 स्कूलों में मिड-डे मील बंद यह खबर संपादक जी के पास जायेगीरसोइया का चयन व शिक्षा समिति आदि के चल रहे विवाद जहां बन रहे वहां मीनू का पालन नहीं अधिक छात्रों की संख्या दिखा कर एमडीएम में हो रही लूटगड़बड़ी करनेवालों पर नहीं हो रही कार्रवाईप्रतिनिधि, नवादा (नगर)प्राथमिक व मध्य विद्यालयों के छात्र-छात्राओं […]

65 स्कूलों में मिड-डे मील बंद यह खबर संपादक जी के पास जायेगीरसोइया का चयन व शिक्षा समिति आदि के चल रहे विवाद जहां बन रहे वहां मीनू का पालन नहीं अधिक छात्रों की संख्या दिखा कर एमडीएम में हो रही लूटगड़बड़ी करनेवालों पर नहीं हो रही कार्रवाईप्रतिनिधि, नवादा (नगर)प्राथमिक व मध्य विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को स्कूली शिक्षा से जोड़े रखने के लिए सरकार के तरफ से मध्याह्न भोजन योजना (एमडीएम, मिड-डे मील) चलायी जा रही है. स्कूल अवधि में बच्चों को दोपहर का भोजन उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन जिले के कई स्कूलों में गुणवत्ता को ध्यान में न रख कर मनमाने तरीके से बच्चों को भोजन कराया जाता है. जिले में 1,680 स्कूल हैं. इनमें से 65 स्कूलों को छोड़ कर बाकी में एमडीएम नियमित रूप से मिलने की जानकारी विभाग के पास है. हालांकि, वास्तविकता यह है कि आज भी ऐसे सैकड़ों स्कूल हैं, जहां इसके नाम पर खानापूर्ति की जा रही है. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, जिले में ऐसे 13 स्कूल हैं जहां शिक्षा समिति व रसोइया के चयन में विवाद के कारण एमडीएम नहीं बन रहा है. इन स्कूलों में शिक्षा समिति के सचिव द्वारा चेक पर हस्ताक्षर नहीं किये जा रहे हैं. इसके कारण एमडीएम के रुपये की निकासी नहीं हो पा रही है. दिसंबर, 2015 में अब तक सर्वाधिक कौआकोल प्रखंड के 15 स्कूलों में एमडीएम नहीं बन रहा है. जबकि, नवादा, नरहट, हिसुआ, काशीचक आदि प्रखंडों में केवल एक-एक स्कूलों में एमडीएम नहीं बन रहा है.11 सौ क्विंटल चावल प्रतिमाह होते हैं खर्चजिला के स्कूलों में एमडीएम संचालित करने के लिए लगभग 11 सौ क्विंटल चावल खर्च होते है. कक्षा एक से पांच तक के बच्चों के लिए प्रति बच्चा सौ ग्राम व छठी से आठवीं के बच्चों के लिए प्रति बच्चा 150 ग्राम चावल स्कूलों को उपलब्ध कराया जाता है. स्कूलों तक चावल पहुंचाने की व्यवस्था विभाग द्वारा की जाती है. जिले के सात प्रखंडों में संविदा पर कार्यरत ठेकेदारों द्वारा गोदाम से स्कूल तक चावल पहुंचाया जाता है. जबकि, सात प्रखंडों में संवदेक नहीं होने के कारण बीइओ व बीआरपी चावल पहुंचाने काम करते हैं.गुणवत्ता का नहीं रखा जाता ध्यानएमडीएम की गुणवत्ता काफी खराब होती है. कई स्कूलों में तो ऐसे खाना बनाया जाता है कि बच्चे खा पी नहीं पाते हैं. विभागीय मीनू के अनुसार, सोमवार को चावल, मिश्रित दाल व हरी सब्जी, मंगलवार को सोयाबीन सब्जी व चावल, बुधवार को हरी सब्जी युक्त खिचड़ी व चोखा, गुरुवार को चावल, मिश्रित दाल व सब्जी, शुक्रवार को जीरा चावल व छोला, शनिवार को हरी सब्जीयुक्त खिचड़ी व चोखा निर्धारित किया गया है. लेकिन, स्कूलों में गुणवत्ता को ध्यान में रखे बगैर खाना बच्चों को खिलाया जा रहा है. फर्जी नाम दिखा कर निकासीएमडीएम में फर्जीवाड़ा की लगातार शिकायतें मिलती रहती है. कम छात्रों की उपस्थिति के बावजूद अधिक उपस्थिति दिखा कर एमडीएम के रुपये का गबन करना आम बात हो गयी है. जांच के क्रम में ऐसे सैकड़ों स्कूल पकड़े गये हैं, जहां उपस्थिति तो 15-20 छात्रों की होती है, लेकिन सौ से अधिक छात्रों की उपस्थिति दिखा कर रुपये की निकासी की जा रही है.प्रखंड स्तर पर तैनात है बीआरपीएमडीएम के सफल संचालन के लिए जिला स्तर पर डीपीओ व अन्य कर्मियों के अलावा प्रखंड स्तर पर सभी प्रखंडों में बीआरपी बहाल किये गये हैं. इनके जिम्मे स्कूलों में चलाये जा रहे एकडीएम के देखरेख व अनुश्रवण का जिम्मा दिया गया है. लेकिन, यहां भी जांच के नाम पर वसूली का खेल चलता है. क्या कहते हैं अधिकारीएमडीएम की गड़बड़ी को रोकने के लिए लगातार छापेमारी की जाती है. नवंबर महीने में मेरे द्वारा छह स्कूलों की जांच में गड़बड़ी मिली है. सभी स्कूलों में अनिवार्य रूप से पोषाहार पंजी व गुणवत्ता पंजी रखने का निर्देश दिया गया है. खाने की गुणवत्ता की जांच प्रभारी व रसोइया द्वारा किये जाने के बाद ही बच्चों को खाना देना है. निर्मला कुमारी, डीपीओ, एमडीएमप्रखंड®स्कूल®एमडीएम बंद स्कूल की संख्याअकबरपुर®152®5नवादा®165®1रोह®125®4हिसुआ®115®1नरहट®102®1गोविंदपुर®96®9काशीचक®63®1कौआकोल®123®15मेसकौर®88®11नारदीगंज®107®5पकरीबरावां®129®4रजौली®143®4सिरदला®132®2वारिसलीगंज®140®2

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